""मैं अंतिम आदेश की तरफ अग्रसर हूँ"" : न्यायमूर्ति ने कहा

प्रातः साढ़े 10 बजे कोर्ट की कार्यवाही आरम्भ हुयी ।एक एक मिनट कुछ एक केस सुने गए तत्पश्चात शिक्षा मित्रों की तरफ से मेंशनिंग की गयी ।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राकेश द्विवेदी की पुत्री अघिवक्ता सुश्री कृतिका द्विवेदी ने न्यायाधीश द्वय के समक्ष यह तथ्य रखा कि माननीय न्यायमूर्ति R F नरीमन सिविल अपील 4347 में बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता पेश हो चुके हैं। किन्तु इस बात को कोर्ट ने कोई ख़ास तवज्जो नही दी ।
फिर थोड़ी देर पश्चात अवशेष शिक्षामित्रों के समायोजन से सम्बंधित एक अन्य मामला सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ जिस पर कोर्ट ने किसी भी प्रकार के समायोजन से 2 टूक मना कर दिया।
इसी दौरान न्यायाधीश महोदय के समक्ष याची लाभ से सम्बंधित प्रश्न उठा और साथ ही साथ यह बात भी हुयी कि 7 दिसंबर और 24 फरवरी के आदेश का अनुपालन एवं अनुसारण सुनिश्चित कराया जाए इसके परिपेक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया जाये जिसपर माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा जी ने स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश से सम्बंधित साधारण मामला नहीं ।यह सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में निःशुल्क एवम् अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के सम्पूर्ण एवम् सफल क्रियान्वयन का असाधारण मामला है जिसके सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से पहले ही दो महत्वपूर्ण अंतिम आदेश पारित हो चुके हैं ।मैं इस मामले को अच्छी तरह समझ चूका हूँ ।
मैं इस मामले में भारतीय संविधान के अनु.21 A की की व्याख्या एवम् क्रियान्वयन विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य तथा शिक्षकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में करूंगा ।
""मैं अंतिम आदेश की तरफ अग्रसर हूँ""
न्यायमूर्ति ने कहा की हम 21 A की वास्तविक व्याख्या के अंतिम आदेश की तरफ अग्रसर हैं ।
आप सभी अपना रिटेन सब्मिसन दाखिल कर दें और यह तय कर लें की आप की तरफ से कौन आपका पक्ष रखेगा क्योंकि सभी को मौका दिया जाना सम्भव नहीं है ।
मैं पहले भी कह चुका हूँ कि अब ये भर्ती 72825 की सीमा को पार कर चुकी है। निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अब शीघ्र ही माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ऐतहासिक फैसला आने वाला है जो कई दशकों तक नजीर रहेगा। धन्यवाद!
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