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सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई की मूल बातें , कोर्ट का कड़ा रुख : मामले में चिट्ठियां लिखने से नहीं बनेगी बात

SUPREME COURT : शिक्षामित्र मामला, सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार आज रखती अपना पक्ष, पर नहीं हुई बहस, शिक्षामित्रों और 72825 के प्रकरण पर सुनवाई टालते हुए 24 अगस्त की डेट हुई निर्धारित ।

आज की सुनवाई  की मूल बातें:
🌕 आज कोई भी बहस नहीं हुई।
🔵 अन्तरिम आदेशों की मांग कोर्ट ने ठुकराई
🌑 मामले के अंतिम निबटारे की कही बात
🔴 जस्टिस नरीमन  के मामले से अलग होने की खबर
कोर्ट का कड़ा रुख : मामले में चिट्ठियां लिखने से नहीं बनेगी बात
📌 नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों की याचिका पर जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है क्योंकि वे केस में पैरवी कर चुके हैं। मामले की सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार साफ किया कि अब किसी को अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी और केस में अंतिम बहस होगी।

🔴 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चिट्ठियां लिखने से बात नहीं बनेगी। हमें इस मामले में हिंदी और अंग्रेजी में बहुत चिट्ठियां आ रही हैं। लेकिन हमने इन चिट्ठियों के लिए WPB यानी वेस्ट पेपर बास्केट का इंतजाम किया है।

🌕🔵 "मा0 सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी प्रकार के अन्तरिम आदेश दिये जाने की मांग को ठुकराते हुये सीधे अंतिम आदेश देने की बात कहते हुये शिक्षामित्र समायोजन और 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के सभी मामलों की अगली डेट : 24 अगस्त 2016 निर्धारित की गई। जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है क्योंकि वे केस में पैरवी कर चुके हैं।"

🔴 breaking दिल्ली-यूपी के शिक्षामित्रों,72,825 शिक्षकों की भर्ती का मामला,#SupremeCourt में 24 अगस्त तक शिक्षामित्रों के मामले पर सुनवाई टली

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में प्राथमिक पाठशालाओं में कार्यरत शिक्षामित्रों की सेवा को स्थायी रूप से बहाल करने को लेकर राज्य सरकार आज अपना पक्ष रखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा सचिव और विशेष सचिव को हाज़िर रहने की हिदायत दी है। साथ ही जस्टिस दीपक मिश्रा और सी. नागप्पन की पीठ ने यह चेतावनी दी है कि सुनवाई के दौरान यदि एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में घुसा तो मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी।

शिक्षामित्रों के लिए आज का दिन काफी अहम हो सकता है, क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के पक्ष में अपनी बात रखेगी। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि भारी संख्या में शिक्षामित्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए उच्चतम न्यायालय इनकी सेवा को स्थायी रूप से बहाल भी कर दे।

गौरतलब है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की भरपाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का विकल्प तैयार किया। शुरुआती दौर में तो मामूली रकम पर ही शिक्षामित्रों ने काम किया लेकिन कुछ समय के बाद जब शिक्षामित्रों ने वेतन बढ़ाने और स्थायी सेवा बहाल करने की तो विवाद शुरू हुआ। परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन को दो चरणों में पूरा किया। पहले चरण में 58726 और दूसरे चरण में 77000 शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया था।

इसी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस प्रकार के समायोजन को निरस्त करने का आदेश दिया, साथ ही नियुक्ति के संदर्भ में “शिक्षक योग्यता परीक्षा”(TET) को अनिवार्य बताया था। उच्च न्यायालय के इस फैसले ने शिक्षामित्रों की मुश्किलें बढ़ा दी। छिटफुट शिक्षामित्रों की आत्महत्याएं सुर्ख़ियों में बनी रहीं। ऐसी घड़ी में राज्य सरकार शिक्षामित्रों के साथ खड़ी नज़र आई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया का सभी को इंतज़ार है। देखना यह है कि एक लाख बहत्तर हज़ार शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट अपनी मुहर लगाता है या इसे अवैध करार देते हुए निरस्त करता है।
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