6 माह का प्रशिक्षण करके परीक्षा पास करने के बावजूद आज भी मौलिक नियुक्ति से वंचित : Shalabh Tiwari

6 माह का प्रशिक्षण करके परीक्षा पास करने के बावजूद आज भी मौलिक नियुक्ति से वंचित हैं तो इसके पीछे कहीं ना कहीं विधाता की यह इच्छा है कि शिवकुमार पाठक तब तक मौलिक नियुक्ति ना पायें जब तक प्राथमिक का uptet 2011 पास सभी बीएड डिग्रीधारकों की जॉब सुनिश्चित ना हो जाए ......

24 अगस्त का आदेश यदि ध्यान से देखा जाए तो क़ानून की तनिक भी जानकारी ना रखने वाला व्यक्ति भी समझ जाएगा कि सुप्रीमकोर्ट आफ इण्डिया याचियों की जॉब को अपनी ओर से हरी झंडी दिखा चुका है लेकिन वह इस बात को भी समझ रहा है कि सरकार की सहमति के बिना यदि उसने सीधा आदेश दे भी दिया तो उसके आदेश का अनुपालन नहीं हो सकेगा ,,,,, अधिकाँश याचियों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि बिना किसी विज्ञापन और चयन आधार के 50 हजार से अधिक याचियों को नियुक्ति देना कितना मुश्किल कार्य है वो भी तब जब बीएड डिग्रीधारकों की प्राथमिक में नियुक्ति की समय सीमा 31 मार्च 2014 को ही समाप्त हो चुकी है ,,,,, अधिकाँश लोगों को यह भी नहीं पता है कि याचियों की पहली खेप को नियुक्ति देने का समझौता एकेडमिक टीम के वकील राकेश द्विवेदी और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुआ था जिसमें सुप्रीमकोर्ट की भूमिका सिर्फ उस समझौते को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने तक ही सीमित थी ,,,,, यदि कोर्ट अपनी ओर वह आदेश देता तो उस आदेश का अनुपालन ना करने के सरकार के पास दसियों विधिसम्मत बहाने थे ,,,,,
याचियों को दो बातें साफ़-साफ़ समझ लेनी चाहिए....
भारत में न्यायपालिका सर्वशक्तिमान नहीं है बल्कि उसकी भी अपनी सीमाएं हैं ,,,,
सरकार भले ही सर्वशक्तिमान नहीं है लेकिन अपने अधीन पदों पर नियुक्ति के मामले में अड़ंगा लगाने के उसके पास बहुत सारे तरीके हैं ,,,,,,,
यदि उपरोक्त दोनों बातें सत्य ना होतीं तो टेट मेरिट 72825 भर्ती 2012 में ही सम्पन्न हो चुकी होती ...... यदि टेट संघर्ष मोर्चा 72825 भर्ती टेट मेरिट से कराने के लिए जीतने तक लड़ते रहने के लिए कटिबद्ध ना होता तो और उसपर ईश्वर की कृपा ना होती तो यह भर्ती कभी ना हो पाती ......
Respondents और शिवकुमार पाठक को जॉब ना देकर सरकार ने टेट संघर्ष मोर्चे के मुख्य पैरवीकार पर यह जिम्मेदारी डाल दी है कि वो कोर्ट कार्यवाही से स्वयं को अलग रखते हुए एक राजनेता की भूमिका निभाएं और याचियों को राजनैतिक रूप से संगठित करके उन्हें वर्तमान या अगली सरकार का समर्थन दिलाकर उन्हें भी टीचर बनाएं क्योंकि तदर्थ आधार पर नियुक्ति पाए याची सरकार की मर्जी के विरुद्ध कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं ,,,,,
Shalabh Tiwari
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