Sunday 20 November 2016

मा. न्यायमूर्ति कभी आपका ध्यान सुप्रीम कोर्ट के बाहर लगने वाली लाइन पर क्यों नही जाता?

कल मुख्य न्याय मूर्ति माँ. टी यस ठाकुर जी ने एक मुद्दे की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की नोट बंदी से लोगों को परेशानी हो रहे हैं ATM की लाइन में खड़े लोग गुस्से में हैं देश में दंगे हो सकते हैं।
मा. न्यायमूर्ति की टिप्पणी पर हमे कोई भी कमेंट करने का अधिकार नहीं है और न ही उन की टिप्पणी पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। हमारा उद्देश्य मात्र यह है की कभी आपका ध्यान सुप्रीम कोर्ट के बाहर लगने वाली लाइन पर क्यों नही जाता? हर डेट पर 3 लाख युवा न्याय के मंदिर के चौखट पर अपनी फरियाद लेकर पहुँचता है 100-50 रूपये जोड़-तोड़ कर इकट्ठे करके किसी तरह सीनियर, जूनियर,AOR वकीलों की फीस के लिए लाखों रूपयों का इन्तजाम करता है, वहां पहुच कर पता चलता है की मा. न्यायधीश ने मामले को सुने बिना ही अगली डेट लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी होती है की I Knew croud.
कोर्ट रूम, कोर्ट गैलरी, पास खिड़की, मीडिया ग्राउंड, दफ़्तरी ग्राउंड, वकीलों के चैंबर, केस स्टेटस स्क्रीन के सामने हजारों युवा कुछ अच्छा सुनने की आशा में इकट्ठे रहते हैं। पर एक झटके में हमारे पचासों लाख बर्बाद हो जाते हैं बिना किसी परिणाम के। मिलता है तो बस एक डेट और इंतजार..........
आपको ये लाइनें क्यों नही दिखीं? क्या सही न्याय न होने से दंगे होने की सम्भावना नहीं है? क्या न्याय मिलना हमारा अधिकार नही है?
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
发表于 , /