Saturday 19 November 2016

शिक्षा मित्र करेगे सरकार से गुहार, डेट बढ़ने की चाल का दाँव ऊल्टा पड़ गया है शिक्षा मित्रों पर

शिक्षा मित्र करेगे सरकार से गुहार ,दे दो 862 को नीयोक्ती और कर लो याचीवो पर विचार ,नहीँ तो शिक्षा मित्रों को हो जायेगा बंटाधार ।।।।।।।जी हाँ मित्रों ,मिश्रा जी तो भूकंप शब्द का प्रयोग क्या किये की शिक्षा मित्रों में ही भूकंप आ गया है ,ऊंहे ये डर सता रहा की सरकार पर वो दबाव डालकर कोई आदेश न मानवाकर कहीँ अपने पैर पर कुल्हाडि तो नहीँ मार लिये ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
आइऐ हम आपको कुछ पीछे लिये चलते है ,इलहाबाद से हारने के बाद शिक्षा मित्रों को पूरा भरोसा था और है की वो सुप्रीम कोर्ट में नहीँ जीतेंगे इसलिये वो डेट पर डेट चाहते थे ,तब सरकारी वकील गौरव जी होते थे ,वो शिक्षा मित्रों को समझाये की डेट बढ़वाने के बजाय निर्णय होने दो ,यदि निर्णय विरोध में आया तो सरकार भले सहायक पद पर न रख पाये पर आपका मानदेय बढा देगी जिस पर कोर्ट भी मान जाये ,पर शिक्षा मित्रों का एकमेव उद्देश्य था डेट डेट और वो सफल हो रहे थे इसी बीच 1100 का आदेश आया तो सही सलाह देने वाले गौरव जी पर शक कर बैठे और वो हट गये या हटा दिये गये शिक्षा मित्रों के दबाव में ।।।।।।।।।।इसी बीच डेट पर डेट लगती रही ,हर डेट पर अगली डेट की घोषणा कर दि जाती थी और कुछ नहीँ होगा ये बता दिया जाता था शिक्षा मित्रों और tet विरोधीवो के द्वारा ,और इन सब बातों का असर पड़ता था टीम अमेठी जैसे लोगो पर जो दो दो वकील अपने दम पर हायर किये थे ,उन्हे तो वकील क्या दिल्ली जाने तक के लिये पैसे बामुश्कील से मिल पाते है और जेब से ही लगाने पड़ते ।
जो मदद पहले से करते थे वो हमेशा से किये और कुछ तो कभी नहीँ किये इस तरह डेट डेट के खेल में शिक्षा मित्र और विरोधी अपनी जीत समझ रहे थे और टेट वाले निराशा का दौर झेल रहे थे ,लेकिन सभी वकीलों ने ये कहा था की जज के मन में कुछ बड़ा ज़रूर चल रहा है ,और इसकी बानगी 24aug को देखने को मिली जब जज साहब ने होशियारी से शिक्षा मित्रों के केस detag कर दिया और शिक्षा मित्रों के वकील जो की बड़े नाम वाले थे (इनके आगे टेट के सारे वकील नाम में छोटे थे ) को कोर्ट छोड़ने को कहा और उसके बाद अगले 45 मिनट तक याची लिस्ट पर विचार किया जाहिर है की जब कोर्ट से बाहर आये तो हम लोग तो बहुत खिन्न थे की करीब 55 min hearing चली और हमें क्या मिला 5 अक्टूबर की फ़िर वही डेट ,लोगों ने घर बैठे कोसना भी शुरू कर दिया की ये टैग डीटैग चलता रहेगा ,कूछ तो न्यायपालिका को कोसने भी लगे ,बहरहाल घर बैठे लोगों की तुलना में कोर्ट में उपस्थित लोगों को ज्यादा तकलीफ भी होती है ,और जानकारी भी , बहरहाल 24aug को हियरिंग के बाद हम अपने वकील के साथ बाहर आये कोर्ट से, और कैंटीन में गये ,उस दिन हियरिंग में हम चार लोग अमेठी से गये थे मेरे अलावा रमेश शुक्ल जी ,रमेश उपाध्याय जी और अमित ठाकुर जी भी थे ।
हम सब निराश थे पर जो हमारे वकील श्री राकेश त्रिपाठी जी ने कहा की आप लोग यानी याची गण आज़ 24aug को ही जज की निगाह में आये है ,आज़ जज को पता चला की वास्तव में कितने याची है और नयी ia,s स्वीकार करके आप लोग को सेफ कर लिया है ,यही नहीँ जज न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच के टकराव को कम करने के लिये खुद समय का चुनाव करेगे और तब फैसला देगे क्योंकि याची लाभ पर सरकार कोर्ट में पसर जाती और तरह तरह के बहाने बनाती ।मित्रों यही कारण है की जब 5 अक्टोबर को कुछ नहीँ हुआ तो दुख नहीँ हुआ और डेट 17 नवम्बर मिली पर विरोधी खुश थे ,और 17 नवम्बर को डेट 22 फरवरी की मिली ,हम पर कोई असर नहीँ हुआ पर डेट बढ़ने का ग़म इस बार विरोधियों को हुआ और बहुत हुआ ।।।।।।।।।मित्रों दरसल ये पूरा माइंड गेम था डेट बढ़ने की चाल का दाँव ऊल्टा पड़ गया है शिक्षा मित्रों पर ,दरसल अब तक कोर्ट में शिक्षा मित्र सिर्फ़ सरकार और सरकारी तंत्र के दम पर टिके थे न की अपने दम पर ।यदि टेट की वलिडिटी का ऑर्डर यदि ऑर्डर में मेन्शन्ड हुआ तो टेट 2011 का सम्पूर्ण समायोजन तय है और शिक्षा मित्रों को तब न पूरानी और न ही नयी सरकार बचा पायेगी ।।।।। ॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥ dr santosh tiwari टीम अमेठी
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