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शिक्षामित्रों के लिए 9 जनवरी की डेट 22 फरवरी से ज्यादा महत्वपूर्ण: जानिए क्यों ?? हल्के में न लें शिक्षामित्र

मित्रों जैसा कि आपको पता है कि 9 जनवरी, 22 फरवरी से ज्यादा महत्वपूर्ण है।।वैसे हर डेट्स महत्वपूर्ण होती है पर इस आगामी 9 में जरूर हमारी स्थिति स्पष्ट होगी हमारे विरोधी यह बात जानते हैं कि हम इनकी ट्रैनिंग का बाल बाका नहीं कर सकते हैं फिर भी हमें चारों ओर से घेर कर मारना चाहता है
और फिर यह दीपक जी के दिमाग में हमारे प्रति गलत संदेश भेजना चाहते हैं
हमारे विरोधी इस समय कोई भी ऐसा तरीका नहीं छोड़ रहे हैं जिससे हमें परेशानी हो चाहें बात ncte व राज्यसरकार की हो।।
दूसरी तरफ हमारे ऐसी स्थिति में भी हमारे संघ व टीम सहयोग के लिए सिर पीट रहे हैं और अब हमारे संघों को एक माह तक कुछ नहीं करना है और सिर्फ चन्दे के लिए ब्लैकमेल करना है और वही दूसरी तरफ हमारे विरोधी एक सटीक चाल चल रहे हैं वह भी नाम मात्र के पैसें से।।

आज आप खुले मन से अपने व विरोधियों के पैरवीकारो की पोस्ट पढ़िएतो इनमें कई मुख्य अंतर होगे जो हमारे पैरवीकारो के ip.लैवल को दर्शाता है विरोधियों की पोस्ट में सिर्फ हमें टारगेट किया जाता है व हमें मानसिक रूप से गिराने के लिए पोस्टें होती हैं और वही दूसरी तरफ हमारे पैरवीकार रूपये का रोना ,एक दूसरे को नीचा दिखाने व अपनी प्रसंशा की लंबी लंबी पोस्ट करते हैंयही अंतर है हमारे पैरवीकारो में ,,क्या हम ऐसे पैरवीकारो से जीत की उम्मीद कर सकते हैं❓🤔

आज हमारे विरोधियों ने एक कहावत को सार्थक कर दिया है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा

हमारे संघ व टीमों को इन बेरोजगारों से सीख लेना चाहिए कि मात्र कुछ रूपये खर्च करके हमें धूल चटाए है और दूसरी तरफ हमारे यह योद्धा करोड़ों रुपए फूँक कर भी दीपक जी के नजरिए को 1%भी हमारे पक्ष में नहीं बदल पाए हैं❗❗इसे कहते हैं कि सत्य, निष्ठा व ईमानदारी से किया गया कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।।

सबसे मजे की बात यह है कि जिसमें स्वयं ही अनगिनत खामियां हैं व जिनका लोकस बेसिक शिक्षा में खत्म हो चुका है ,वह हमें धूल चटाने का दुस्साहस कर रहे हैं।।और आज तक वे काफी हद तक सफल हुए हैं।।

आज मैं दिनेश कुर्मी दावे के साथ कहता हूँ कि हम वास्तव में अयोग्य हैं और हमारे नेता अंधों के काने राजा हैंआज के समय में हर संघ व टीम का एक ही उद्देश्य बन गया है कि रूपये पैसे का रोना।।

मैं मानता हूँ कि बिन पैसे सब कुछ बेकार है लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करके आपने क्या हासिल किया है❓ कुछ सोचो🤔

लगभग सभी की नजरें रूपये पैसे पर टिकी है और इससे बाहर कोई भी नहीं निकल रहा है
अगर बेहतर रणनीति बनाकर सटीक चाल चली जाए तो परिणाम अपने पक्ष में होगा।।

उदाहरणार्थ ----
गाजी संघ सिर्फ सरकार व परिषद को वकील हायर कराने जिम्मेदारी अपने ऊपर ले, इसके अलावा वह अन्य कोई दूसरा वकील न करें❗❗

शाही संघ ncte व mhrd पर अपने पक्ष के लिए दवाब बनाएं व इनके वकीलों पर भी अपनी पकड़ बनाए

अब बची दो मुख्य टीमें सयुंक्त सक्रिय टीम व मिशन सुप्रीम कोर्ट टीम ये दोनों कोर्ट में पैरवी की जिम्मेदारी ले और अपना पक्ष दीपक जी के दरबार में मजबूती से रखें❗❗इसके अलावा इन दोनों टीमों की जिम्मेदारी यह भी है कि यह हमारे विरोधियों के खिलाफ कोर्ट में रिट डालें कि यह जानबूझकर कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं और दीपक जी के सामने इनको नंगा करें ।।फिर देखिए यह अपनी रक्षा करेगे या आप पर आक्रमण❗❗

बशर्ते आप लोग सहयोग सभी से ले, पर रूपये लेकर अपनी रणनीति के तहत काम करें।।

मुझे पता है कि कुछ भक्तों को मेरी बातें बुरी लगी होगी परंतु यह सच्चाई है कि कम से कम पैसे से हम बेहतर रणनीति बनाकर सफल हो सकते हैं।।

और अगर आप अपने पुराने मोह का त्याग नहीं कर पा रहे हैं तो आप महान है

अगर आप पैसे से केश जीत सकते हैं तो आपको यह बेरोजगार कभी नहीं हरा सकते

मित्रों, रूपया ऐसी चीज है कि जितना होता उतना कम ही दिखता है और यही कारण है कि पिछले एक वर्ष में करोड़ों रुपये बर्बाद करके भी हर रोज पैसे का रोना रोया जाता है।। हर पैरवीकार सिर्फ आम शिमि को सहयोग के लिए खरी खोटी सुना रहा है पर अपनी रणनीति पर विचार नहीं कर रहा है

दीजिए गालियाँ आम शिमि को सहयोग के लिए कम से कम आपका भला तो हो।।

आज भी समय है वर्ना नेस्तनाबूद हो जाओगे।।

क्योंकि कानून अंधा होता है और हमारे विरोधी यह जंग कानून की आँखों में धूल झोंक कर जीत सकते हैं जैसाकि हमारे विरोधी पीछे यह कारनामा कर चुके हैं ।।

यह भारतीय कानून है।।

नोट - यह मेरे निजी विचार हैं और मैंने यह सब शिमि हित में लिखा है और कोई गलती हुई हो तो माफ करना।।

   आपका साथी
   दिनेश कुर्मी (रामपुर )
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