शर्म करिये अखिलेश वीएड टीईटी धारकों को आपने, क्या करने के लिए मजबूर किया???

इससे अधिक और शर्मनाक क्या हो सकता,है यूपी सरकार को यह नही दिखता है, शर्म करिये अखिलेश वीएड टीईटी धारकों को आपने, क्या करने के लिए मजबूर किया???
B.ED : बेरोजगारी की मार : बीएड की डिग्री घर में छोड़ी, उठाया झाड़ू-पंजा , संविदा सफाईकर्मी की भर्ती में आए पढ़े-लिखे लोग, साफ किए नाले
बेरोजगारी की मार
नगर निगम में संविदा सफाईकर्मी की भर्ती में आए पढ़े-लिखे लोग, साफ किए नाले
बुद्धिसागर (ऊपर) समेत कई िशक्षित अभ्यर्थियों ने संविदा सफाई कर्मी की भर्ती में नाले साफ िकए
लोगों के पास ही (हर एक हजार की आबादी में) है रोजगार।
वीं पोजिशन पर है बेरोजगारी के मामले में यूपी देश भर में।
लाख से ज्यादा लोग हर साल यूपी में ग्रैजुएट बनते हैं।
बीएड की डिग्री घर में छोड़ी, उठाया झाड़ू-पंजा
बाराबंकी के बुद्धिसागर बीएड कर चुके हैं लेकिन अब सफाईकर्मी बनने के लिए तैयार हैं। गुरुवार को भर्ती में पहुंचे और नाले में उतर कर सफाई भी की। बुद्धिसागर के मुताबिक, बेरोजगार रहने से अच्छा है कि सफाई ही करें। कुछ पैसे तो आ जाएंगे। बाकी कोशिशें जारी रहेंगी।
रुदौली से आई कलावती ने इसी साल फर्स्ट डिवीजन में यूपी बोर्ड से इंटर पास किया था। बीए में दाखिला भी लिया है। कलावती साफ कहती हैं कि इस नौकरी में आने का मन नहीं था, लेकिन पारिवारिक स्थितियों के चलते आना पड़ा। कहती हैं, हाथ में पैसा होगा तो यह चिंता तो नहीं रहेगी कि समाज क्या सोचेगा।
3गोंडा से आए जुनैद अहमद बीए पास हैं। जुनैद का कहना है कि फॉर्म भरने में भी पैसा लगता है। सफाईकर्मी की नौकरी में उम्मीद है कि फॉर्म भरने का पैसा तो निकल ही आएगा। फिलहाल तो जेब में चार पैसे भी नहीं हैं, ऐसे में खाली डिग्री होने का कोई मतलब नहीं हैं। झाड़ू भले लगाएं, जिंदगी तो आगे बढ़ेगी ही।• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ : नगरनिगम मुख्यालय के सामने गुरुवार को 128 बेरोजगार खड़े थे। इनमें से 30 ग्रेजुएट थे और 9 के पास एमए की डिग्री भी थी। बीएड कर चुके कुछ लोग भी इनमें थे। लेकिन ये ऐसी नौकरी के लिए आए थे, जिसके लिए साक्षर होना भी अनिवार्य नहीं था। यह भर्ती संविदा सफाईकर्मी की थी। कुछ देर बाद सभी को झाड़ू-पंजा देकर जेपी नगर, सुग्गादेवी रोड, बीएनरोड और शिवपुरी कॉलोनी पहुंचा दिया गया। यहां इन्हें 'फिजिकल टेस्ट' देना था।
फिजिकल टेस्ट में अभ्यर्थियों को दिखाना था कि वे कितनी कुशलता से नाले-नालियों की सफाई कर पाते हैं। नगर निगम के जोनल अधिकारी अशोक सिंह भी हैरान थे। उन्होंने बताया कि कुछ अभ्यर्थियों से पूछा कि इतना पढ़कर सफाई कैसे करोगे, तो जवाब मिला कि बेरोजगारी के ठप्पे से यह ठप्पा बेहतर है। संविदा सफाईकर्मी के पद पर 15 हजार रुपये वेतन दिया जाना है। सैनिटरी इंस्पेक्टर पंकज शुक्ला ने बताया कि गुरुवार को 200 कैंडिडेट्स बुलाए गए थे। 128 आए और फिजिकल टेस्ट से पहले 13 और चले गए। यह सभी जनरल कैटिगरी के बीए पास अभ्यर्थी थे
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