Breaking News

एक कविता उनके नाम जो ये कहते हैं कि सरकारी अध्यापक कुछ नहीं करते हैं

एक कविता उनके नाम जो ये कहते हैं कि  सरकारी अध्यापक कुछ नहीं करते हैं
==========================
शिक्षक की भूमिका के गीत
==========================
सरस्वती को वन्दन करके
शीश झुकाने आया हूँ
मैं शिक्षक की पीड़ा के
कुछ गीत सुनाने आया हूँ
बाल गणना की खातिर
हम भेज दिए गलियारों में
हमें डाकिया बना दिया है
इन की सरकारों में
दरबाजे की वेल बजाकर
हर दरवाजे जाते हैं
किस घर में कितने बच्चे हैं
ये खोज खोजकर लाते हैं
भारत की हर जनगणना का
इतिहास हमें बतलाता है
बिन शिक्षक हुई न जनगणना
ये साफ़ साफ़ समझाता है
पल्स पोलियो किट पकड़ाकर
हमें डॉक्टर बना दिया
दो बूँद जिन्दगी की देकर के
हमें मास्टर बना दिया
शिक्षक अब शिक्षक नही रहा
मैं ये बतलाने आया हूँ
मैं शिक्षक की पीड़ा के
कुछ गीत सुनाने आया हूँ ।।
B.L.O.का बैग थामकर
पहुँचे बूथ इलेक्शन में
मानो कोई कमी रह गई
इनके किसी सिलेक्शन में
मतदाता पहचान पत्र भी
बाँटी सभी जनाबों की
घर घर पर्ची बाँट रहे हैं
शिक्षक सभी चुनावों की
बैंक में खाता खुलवाने को
शिक्षक बना दिए बाबू
भूल जरा सी हो जाये
अभिभावक होते बेकाबू
खाते में पैसे ना पहुँचे तो
गाली भी मिल सकती है
अभिभावक की वक्रदृष्टि से
धरती भी हिल सकती है
शिक्षक से बढ़कर अभिभावक
मैं ये समझाने आया हूँ
मैं शिक्षक की पीड़ा के
कुछ गीत सुनाने आया हूँ।।
मिड डे मिल की पूरी भी
शिक्षक को पहले खानी है
भले छिपकली इसमें हो
खाकर के हमें दिखानी है
शायद अमरौती खाकर
शिक्षक दुनियाँ में आया है
इसीलिए खाना चखने का
नियम यहाँ पर पाया है
बागवानी का काम कराकर
हमको माली बना दिया
एक हाथ से बजने वाली
हमको ताली बना दिया
आये दिन अधिकारी भी
कक्षा में आकर झाँक रहे
केवल
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines