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लंबे इंतजार के बाद नई सरकार की नई शिक्षा नीति आने की पूरी संभावना, सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिये जाने पर होगा जोर

नई दिल्ली : अपना आधे से ज्यादा कार्यकाल पूरा कर चुकी मोदी सरकार इस वर्ष के दौरान सामाजिक क्षेत्र में कुछ कर दिखाने के लिए सबसे ज्यादा आतुर होगी। इस वर्ष के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी धन के रिसाव को रोकने और इसे हुनर के साथ जोड़ने पर सरकारी कोशिशों का असर जमीन पर दिखाई देने लगेगा।
इसी तरह लंबे इंतजार के बाद नई सरकार की नई शिक्षा नीति भी आने की पूरी संभावना है। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून में कई जरूरी संशोधनों को मंजूरी देकर स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता को सुनिश्चित करने पर भी बल दिया जाएगा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया जाना है। इसके लिए आरटीई कानून के तहत ऐसे पैमाने सुनिश्चित किए जाएंगे, जिनसे क्लास में हुई पढ़ाई के प्रभाव (लनिर्ंग आउटकम) का आकलन किया जा सके। बच्चों पर परीक्षा का दबाव नहीं होना चाहिए।
इसे सैद्धांतिक रूप से तो सभी स्वीकार करते हैं, लेकिन आठवीं तक फेल नहीं करने की मौजूदा नीति की वजह से सरकारी स्कूलों में हो रही लापरवाही एक व्यवहारिक सच है। ऐसे में नए साल में राज्यों को यह अधिकार मिल सकेगा कि वे यह तय कर सकें कि पांचवीं के बाद की क्लास में इस नियम को लागू रखना चाहते हैं या नहीं। विभिन्न योजनाओं के तहत स्कूलों में छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही मदद की निगरानी को बेहतर करने की सरकारी तैयारियों का नतीजा इस वर्ष के दौरान दिखाई दे सकता है।
इसी तरह शिक्षकों की उपस्थिति पर नजर रखने और शिक्षकों की जगह किसी और फर्जी शिक्षक की ओर से पढ़ाए जाने के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों से भी उम्मीद रखी जा सकती है। इसी वर्ष के दौरान पहली बार देश में छात्रों को अपने सर्टिफिकेट डिजिटल लॉकर में रखने की सुविधा मिल सकेगी।
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