आज हम बात करेंगे टीईटी मोर्चे के एक अनमोल नगीने के बारे में...........

वो व्यक्ति हैं भाई S.K. PATHAK जी .....जिनका योगदान बीएड टीईटी भर्ती में अप्रतिम रहा है.....वर्तमान समय में जिसमे परीक्षाओं में बेइंतहा नम्बर लुटाए जा रहे हैं.....50-55 एकेडमिक गुणांक लेकर कोई प्राथमिक अध्यापक बनने के विषय में सपने में भी नही सोच सकता..........
परन्तु पाठक जी के विधिक ज्ञान, जुझारूपन,निडरता एवं सभी को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति के कारण उत्तर प्रदेश प्राथमिक भर्ती की दुनिया में एक ऐसा इतिहास रचा गया......जो वास्तव में अकल्पनीय था.....विराट व्यक्तिव के स्वामी एस के पाठक जी ने टीईटी मेरिट का सपना ही नही देखा वरन उसको जिया है......आज मोर्चे में बड़े-बड़े स्वघोषित नेता भले ही पैदा हो गए हों.......लेकिन यदि ईमानदारी से तुलना किया जाय तो इस अद्भुत व्यक्तिव के आगे ये सब बिल्कुल बौने हैं......
नेतृत्वकर्ता बनने का लेवल लगाना और नेतृत्व करने दो अलग-अलग चीज़े हैं.......नेता बनने की चाहत/महत्वकांक्षा सभी में होती है....परन्तु वो गुण जो वास्तव में एक नेतृत्व कर्ता में होनी चाहिए .....वो सभी में नही होता......और जिसके अंदर होता है वो लाखों की भीड़ में अलग ही नज़र आता है .........कोर्ट-कचहरी की लड़ाई और सड़क पर सिस्टम के विरुद्ध लड़ाई ये दोनों भी अलग-अलग चीजें हैं.....लेकिन पाठक जी ने अनवरत 5 वर्षों से इन दोनों लड़ाई का नेतृत्व बिल्कुल कुशलता और कुटिलता से किया है........यद्यपि इनका चयन हो चुका है फिर भी अपनी नौकरी को किनारे करते हुए ये समस्त टीईटी उत्तीर्ण बीएड 2011 भाइयों/बहनों के कल्याण के लिए तन-मन-धन हर तरह से सक्रिय हैं.....क्योंकि ये सभी को टीईटी परिवार का एक हिस्सा मानते हैं......72825 के कुछ सामान्य चयनित नेताओं द्वारा इनपे समय-समय पर कटाक्ष करने के साथ-साथ तरह-तरह के आरोप भी लगाये जाते हैं .......कि चयनित होने के बावजूद अचयनितो की बात क्यों.........फिर भी ये इंसान हृदय का इतने विशाल है कि इन आरोपों को हँसते हुए टाल जाते हैं.....अभी जल्द ही पिछले महीने लखनऊ की धरती पर अचयनितों द्वारा एक आंदोलन किया गया था...जब प्रशासन ने नेतृत्वकर्ता के बारे में पूछा तो सबसे पहला हाँथ पाठक जी का उठा......
चयनितों के साथ-साथ कुछ अचयनित भी इन पर तरह-तरह के बेबुनियाद आरोप लगाते हैं लेकिन वास्तव में जो ज़मीनी अचयनित भाई हैं वो इनकी कीमत अच्छी तरह समझते हैं......और इन्हें पूरा सम्मान देते हैं.....अभी पिछले महीने आंदोलन के फलस्वरूप प्रशासन ने मोर्चे के कुछ प्रतिनिधिमंडल को वार्ता हेतु आमंत्रित किया था.....जिनमे पाठक जी भी थे......जब शिक्षा निदेशक श्री डी बी शर्मा जी के पूछने पर इन्होंने अपना नाम बताया तो वो भी आवाक हो के पूछने लगे कि क्या एस के पाठक आप ही हैं......
अपने विधिक कुशलता एवं वाक् पटुता से इन्होंने अधिकारियों के समस्त प्रश्नों के सटीक जवाब देकर उन्हें भी मानने पर मजबूर कर दिया कि वास्तव में हर तरह से योग्य होने के बावजूद, हमारे साथ बहुत अन्याय हुआ है .......
वर्तमान में चल रहे प्रयासों में भी इनका पूरी तरह से सक्रिय योगदान है जो कि सार्थक परिणाम प्राप्त होने के उपरांत अवगत कराया जाएगा.....जब कभी टीईटी मोर्चा का इतिहास लिखा जाएगा, 90% पन्नो पर आपके योगदान की गाथा होगी...
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