षड्यंत्र जी ओ एक विश्लेषण : जब जितेंद्र सिंह सेंगर ने याची नेताओं की बैठक कर जी ओ निकलवाने जैसी बात कही

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी चिट्ठी की खोजबीन,मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी कार्यक्रम,प्रमुख सचिव के साथ आला अधिकारियों की बैठक ये सब उस समय निष्प्रभावी और महत्वहीन हो गये जब जितेंद्र सिंह सेंगर ने याची नेताओं की बैठक कर जी ओ निकलवाने जैसी बात कही।
इस बैठक में जितेंद्र सेंगर की बात को सही सिद्ध करने 'हिमांशु राणा'न सिर्फ स्वयं पहुँचे बल्कि आवश्यक आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवायी।आज बेरोजगार याचियों की भावनाओं से खेलते हुये इनकी पोस्ट के आखिरी पैरा में जी ओ जैसी बात को झुठलाते हुये दिखे।जब पहले दिन से इन्वॉल्व थे पूरे खेल में तो शुरू से ही विरोध क्यों नही किया?आर्थिक मदद क्यों उपलब्ध करवायी?मेरठ से लखनऊ तक मीटिंग में जान फूँकने क्यों आये?क्या ये सेंगर की दुकान चलवाने की साज़िश तो नही?क्या हिमांशु राणा ने प्रदेश भर को गुमराह नही किया?
अभी सेंगर से दोगुनी राशि किस तरह की जाये सब यही जुगाड़ पानी में लगे हैं।फ़िलहाल तब तक आप लोग 'हिमांशु राणा'के डेढ़ लाख के कुत्ते में आस्था दिखाते रहिये।ये इनकी टीम में जो जंग पब्लिक में चल रही है कुछ भी नही है,सब स्पेशल 26 टीम की चाल है,जिसमें याची नेता भी गच्चा खा गये हम आप कौन चीज़ हैं?नोटबंदी के बाद खातों पर रखी जा रही नज़र की वज़ह से हमे दूसरे खाते की ज़रूरत थी और आप जैसे डूबतो को तिनके की।

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