UNESCO: यूनेस्को की यह रिपोर्ट शिक्षामित्रों को कोर्ट में दिला सकती है विजय, जो कहते हैं शिक्षामित्रों के पास योग्यता नहीं उनको करारा जवाब

सबसे पहला बिंदु ये है की लोग बोलते हैं कि शिक्षमित्रा के पास योग्यता नहीं है जितनी टेंट वालों के पास है । तो इस बात पर ग़ौर कीजिए की जब शिक्षमित्रा की भर्ती हुई थी तब किसी के पास योग्यता नहीं थी इसलिए तो शिक्षमित्रा की भर्ती हुयी थी ।
ये तो कोई बात नहीं हुयी की आज आपको हम आपको चपरासी बना दे आपके पास केवल १० की डिग्री हो तो और कल को कोई १२ की डिग्री लेकर आ जाए तो हम आपको हटा कर उसे आपकी जगह रख ले । जॉब सिक्यरिटी भी एक मुख्य बिंदु है गवर्न्मेंट जॉब में ।
२ . दूसरी बात ये है की 2009 टेंट की रेक्वायअर्मेंट आने के बाद शिक्षमित्रा की भर्ती बंद कर दी गयी इसका मतलब सरकार उन्हें टीचर मानती थी । इसीलिए उनकी भर्ती आगे से बंद कर दी ताकि और शिक्षमित्रा ना आए । तो अब किस बात के लिए उन्हें निकला जाएगा । फिर हर शिक्षमित्रा में दस साल से  ज़्यादा जॉब tenure है तो अब उन्हें वैसे ही रेगुलारिसे कर देना चाहिए । याद रखिए कल लगभग आख़िरी सेमीफ़ाइनल है ।
मैंने एक रिपोर्ट से जो की UNESCO से है उनके कुछ पेज share कर रहा हूँ जो की शिक्षमित्रा को हेल्प कर सकते हैं कोर्ट में । उस pdf की लिंक है
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Para Teachers in India: A Review पैरा टीचर्स इन इंडिया 

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