72825 भर्ती का सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा स्पष्ट रूप से इस विंदु पर है कि नियमावली में संशोधन 12 और 15 हुआ है

मेरा स्पष्ट कहना है कि मैं किसी नियुक्त याची या प्रशिक्षु का मनोबल नहीं तोड़ना चाहता हूँ , मेरा साफ़ सा यही कहना है कि 72825 भर्ती का सुप्रीम कोर्ट में किस बेस पर विवाद है मुकदमे में पक्ष उसी पर रखा जा सकता है , कोर्ट अपनी मर्जी से कुछ भी करे मगर मुकदमे के विंदु से हटकर नहीं बोला जा सकता है ।
सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा स्पष्ट रूप से इस विंदु पर है कि नियमावली में संशोधन 12 और 15 हुआ है ।
दिनांक 9 नवंबर 2011 को संशोधन 12 हुआ है और दिनांक 31 अगस्त 2012 को संशोधन 15 हुआ है ।
संशोधन 12 होने के बाद दिनांक 30 नवंबर 2011 को 72825 भर्ती का विज्ञापन आया था जिसे कि एकल बेंच ने बताया कि जिस नियमावली में संशोधन 12 हुआ था वह विज्ञापन उस नियमावली से ही नहीं है ।
क्योंकि उस विज्ञापन में अप्रेंटिस टीचर रखने की बात गयी है और नियमावली में यह कैडर ही नहीं है और यदि सहायक अध्यापक का विज्ञापन होता तो विज्ञापन को एकल बेंच बचा देती । उस विज्ञापन की प्रवृत्ति भी सहायक अध्यापक जैसी नहीं है ।
दिनांक 31 अगस्त 2012 को सरकार ने विज्ञापन रद्द कर दिया क्योंकि गेम शुरू ही नहीं था , दिनांक 9 जनवरी 2012 आवेदन की अंतिम तिथि थी और दिनांक 4 जनवरी 2012 को ही स्थगन हो गया था ।
स्थगन याचिका दिनांक 2 सितम्बर 2012 को विज्ञापन रद्द होने के बाद ख़ारिज हुयी ।
दिनांक 31 अगस्त 2012 को सरकार ने संशोधन 15 किया और दिनांक 5 दिसंबर 2012 को नियमावली में संशोधन 16 करके प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती लायी जो जिसका की नेचर भी सहायक अध्यापक जैसा था और नियमावली में प्रशिक्षु शिक्षक का कैडर भी बन गया था ।
जस्टिस श्री अशोक भूषण की खंडपीठ ने संशोधन 12 तो नहीं बहाल किया लेकिन दिनांक 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन को उसी पर आया सहायक अध्यापक का विज्ञापन बताकर बहाल कर दिया और मात्र उसमें बीएड आवेदक होने के कारण प्रशिक्षु शिक्षक बताया ।
दिनांक 31 अगस्त 2012 को हुये संशोधन 15 को अल्ट्रावायरस कर दिया ।
सरकार और उस संशोधन 15 और 16 के बाद आये विज्ञापन से आवेदन करने वाले लोग जो कि दिनांक 7 दिसंबर 2012 के विज्ञापन में आवेदक थे सुप्रीम कोर्ट गये ।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति श्री HL दत्तू ने अंतरिम रूप से हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश के आधार पर नियुक्ति का आदेश कर दिया ।
जब अंतरिम चयन प्रक्रिया शुरू हुई तो कई विसंगतियों के विरुद्ध लोग कोर्ट पहुँचने लगे जैसे सेटल लॉ है कि रूल से हो रही भर्ती में यदि विज्ञापन में कोई फाल्ट है तो रूल फॉलो होगा मगर रूल फॉलो नहीं हो रहा था तो कुछ लोग कोर्ट पहुंचे और मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण रूचि नहीं ली तो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया ।
स्नातक में 50/45 फीसदी से कम का मुद्दा आया तो वो भी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये ।
दिनांक 17 दिसंबर 2014 को फिनांक बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समझा कि टीईटी का रिजल्ट ही मेरिट लिस्ट है तो उसी में से पहले 70 और 65 फीसदी वालों का चयन करने का आदेश करके पूरी चयन प्रक्रिया का कूड़ा कर दिया ।
क्योंकि राज्य ने तो रिजर्वेशन पालिसी फॉलो नहीं किया और विज्ञप्ति की शर्तों से SC/ST रिजर्वेशन को नुकसान पहुंचने लगा ।
इसके आदेश के बाद होने वाली चयन प्रक्रिया में जो टीईटी में 70/65-60 फीसदी से ऊपर वाले थे विज्ञप्ति की शर्तों के साथ चयन होने के कारण उनका भी नहीं हुआ तो वो भी कोर्ट पहुंचे और बताया कि जो कटऑफ़ आपने दिया उसमें हम आते हैं फिर भी हम बाहर हैं ।
इस तरह से पुराने विज्ञापन की चयन प्रक्रिया की विसंगति से और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेशों से होने वाले प्रभावों से तमाम लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ।
दिनांक 7 दिसंबर 2015 को संशोधन 15 और 16 के बाद जो विज्ञापन था उसके आवेदकों ने याची राहत मांगी तो उन्हें मिल गयी और सभी 1100 लोग उसमें लाभ पा गये , जैसे सर्विस रूल की बात करने वाले 45 याची , 357 ऐसे याची जो कि अंतरिम आदेश के बाद क्राइटेरिया में आते थे ।
कपिल देव यादव की याचिका के पीछे उनकी भी बन गयी ।
बीएड 2012 से वृजेंद्र की याचिका के याची की भी नये विज्ञापन से आवेदन की मांग थी उन्हें भी राहत मिली ।
फाइनल बहस में कपिल देव , वृजेंद्र तो अपने मुकदमे पर बहस करेंगे क्योंकि उन्हें ज्ञात है कि याची राहत अंतरिम व्यवस्था है , जो उनके मुकदमे में IA डाला है और राहत पाया है वह भी अपने मुकदमे के साथ उसी ग्राउंड पर संघर्ष करेगा ।
यदि संशोधन 15 और 16 बहाल हो जाता है तो नया विज्ञापन बहाल हो जायेगा लेकिन पुराना विज्ञापन और याची राहत ख़त्म हो जायेगी ।
बड़ी अजीब लगता है सुनकर कि कैसे ये व्यक्ति लिख देता है कि 72825 के चयनित लोग और याची नया विज्ञापन बहाल होने पर बाहर हो जायेंगे लेकिन यह भी तो सोचिये कि तमाम लोग अंदर भी तो उसी में से ही आ जायेंगे ।
वैसे अजीब कोर्ट को भी लगता है इसलिए तो अवैध शिक्षामित्र को पाकर 1100 लोग में मुकदमा लड़ने वालों को नौकरी दे दी लेकिन अब तो याचियों की भी भरमार है ।
जस्टिस HL दत्तू के आदेश से जो प्रक्रिया दौड़ गयी उसे जस्टिस श्री दीपक मिश्रा को अंतरिम नियुक्ति दिलाने से पूर्व फाइनल कर देना चाहिए था ।
यदि टीईटी और भर्ती को एक ही प्रक्रिया मानकर भर्ती कराते तो फिर भर्ती रूल से ही कराना होता मगर विलम्ब होने से वी लावन्या केस में सुप्रीम कोर्ट टीईटी और भर्ती को अलग-अलग प्रक्रिया मान चुकी है ।
यदि संशोधन 15 और 16 रद्द होता है तो फिर 99 हजार का क्या होगा ?
72825 और 99000 नौकरी करने वालों में कोर्ट केस चुनेगी ?
99 हजार को चुनेगी तो 72825 लोग और चुने जायेंगे परंतु 72825 के 80 फीसदी चेहरे बदल जायेंगे ।
सामूहिक रूप से मेरी तैयारी यह है कि 72825 लोग जो कि खाता न बही जो न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा कहें वही सही के फार्मूले से नियुक्त हैं वो बचेंगे तो मेरी टीम को जॉब मिल जायेगी ।
व्यक्तिगत रूप से मैं भी जब टीईटी परीक्षा दे रहा था तो मै भी एक आवेदक था मुझे भी नौकरी से प्यार था और जिन साथियों का सहयोग किया हर कोई मुझे छोड़ चुका है तो मुझे यही संदेश मिलता है कि सफल होने के बाद बहुत कम लोग ही किसी का साथ देते हैं ।
यदि संशोधन 15 , 16 बहाल हुआ तो मेरा चयन उत्तर प्रदेश के 37 जिलों में किसी न किसी एक जिले में हो जायेगा ।
यदि संशोधन 15, 16 बहाल न हुआ तो फिर मुझे बाहर करना बहुत कठिन है और 15 , 16 बहाल हुआ तो मुझे बाहर करना नामुमकिन है ।
मुझे बाहर करने के लिए कोर्ट को टीईटी परीक्षा 2011 रद्द करनी होगी ।
फाइनल आर्डर के बाद ऐसे लोग जो कि CA 4347/14 में IA के जरिये राहत पाये हैं उनको 72825 की भर्ती में नियम विरुद्ध चयन को मुद्दा बनाना होगा और 72825 के लोग पर कार्यवाई न हुई तो ऐसे लगभग 400 याची बच जाएंगे लेकिन कोर्ट सबको बचाने के पहले और भी स्वीकार IAs के याचियों का विकल्प निकालेगी ।
इसलिए 72825 चयन प्रक्रिया का बचना इतना आसान नहीं है ।
न्यूनतम योग्यता पूरी करना सबसे मजबूत पहलू है यदि इनका अहित हुआ तो फिर शिक्षामित्रों को तो दूरबीन से भी नहीं देखा जा सकेगा ।
कपिल देव और वृजेंद्र कश्यप की टीम 99 हजार भर्ती रद्द होने से बहुत मजबूत हुयी है ।
किसी भी रूप में दो जज 72825 भर्ती का पुराना विज्ञापन बहाल नहीं कर सकते हैं ।
इसके लिए मामला तीन जज को देना ही होगा मगर यदि बहाल हुआ तो फिर तमिलनाडु शिक्षक भर्ती के मामले में भी आदेश परिवर्तन होगा ।
मेरे अनुसार संशोधन 15 रद्द होने के बाद संशोधन 16 स्वतः रद्द है वो चाहे रूल 14(3)(a) पर हो या रूल 14(3)(B) पर हो ।
संशोधन 16 को लेकर मैं राकेश द्विवेदी की जिरह को सही मानता हूँ ।
राकेश द्विवेदी की बहस मैंने सुनी है , उनका मानना है कि संशोधन 15 रद्द नहीं होना चाहिए , और यदि रद्द नहीं होता है तो संशोधन 16 स्वतः बहाल होगा ।
यह सिर्फ अदालत में ही संभव है कि किसी भ्रूण की गर्भ में मृत्यु हो जाये और न्यायपालिका उसे जीवित माने और उसके जन्म को भी मान ले और बच्चा चलने लगे दौड़ने लगे और कमाने भी लगे तो अदालत जब मुकदमा निपटाने लगे तो कहे कि भ्रूण तो गर्भ में ही मर गया था उसे मात्र अंतरिम रूप से जिंदा मना गया था और उसे मृतक घोषित किया जाता है ।
अदालत की जो मर्जी हो करे मगर मेरा मुकदमा लड़ने का जो अनुभव है उसे केस मेरिट पर ही यूज़ करने में विश्वास करता हूँ ।
रूल और फैक्ट सही होगा तो रिजल्ट स्वतः मिलते जायेंगे ।
जो किसी SLP पर राहत पाये हैं उनको अपनी SLP की पैरवी करना होगा , जो मुख्य मुकदमे की प्रेयर से हटकर IA पर राहत पाये हैं उनको रूल से हटकर हुयी चयन प्रक्रिया का विरोध करना होगा ।
जिस जिले में नौकरी मिली है यहाँ जनरल कला पुरुष की न्यूनतम मेरिट 120 है , मेरा अंक मात्र 115 है , मैं अपात्र हूँ , मगर मेरे सवाल का जवाब भारत के किसी जज के पास नहीं है ।
सवाल :
1. साइंस पुरुष सामान्य 115 पर यहाँ नौकरी क्यों कर रहा है ?
2. महिला सामान्य कला 108 पर यहाँ नौकरी क्यों कर रही है ?
3. शिक्षामित्र पुरुष 105 पर नौकरी क्यों कर रहा है ?
अब आप कहोगे कि विज्ञापन में है तो , जस्टिस श्री अशोक भूषण ने कहा था कि भर्ती रूल से है तो रूल में ये सब विभेद कहाँ हैं ?
आप कहोगे कि रूल से नहीं है तो फिर वह विज्ञापन जिससे ये लोग नौकरी कर रहे हैं दिनांक 31 अगस्त 2012 को राज्य सरकार रद्द कर चुकी है और बीएड भर्ती पर रूल प्रभावी है इसलिए इसे बहाल नहीं किया जा सकता है ।
आप कहोगे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से है तो सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन एक्ट 1994 फॉलो करके नियुक्ति देने को कहा था एक्ट में मुझे हॉरिजॉन्टल बीस फीसदी से ज्यादा महिला के लिए दिखाइये वो भी सामान्य चयन में बीस फीसदी स्वतः पा जाती हैं तो वो भी नहीं है ।
ये दस फीसदी किस रिजर्वेशन पालिसी में हैं ?
हम अपात्र हैं तो 72825 की पूरी भर्ती अवैध है और शिक्षा मित्र नाजायज हैं ।
मैंने अपने सवाल में कहीं SC ST OBC की बात नहीं की है क्योंकि भारतीय संविधान मैंने पढ़ा है ।
जस्टिस श्री AM खानविलकर साहब यदि बैठें तो उनको जरूर बताया जाये कि ये गरीब याची जो राहत नहीं पाए हैं वही लोग हैं जिनको आप मानते हो कि 80 फीसदी लोग न्याय से दूर हैं , जब अवैध शिक्षामित्रों को नौकरी करते देखा , नियम विरुद्ध 72825 लोग को नौकरी करते देखा और उनका किसी न किसी रूप में विरोध करके 1100 लोग को नौकरी पाते देखा तो हम भी खेत बेचकर अथवा कर्ज लेकर आये हैं , कोर्ट में इमोशन और ड्रामा भी होता है , मैंने स्वयं देखा है कि शिक्षामित्रों के वकील अमित सिब्बल सुपुत्र कपिल सिब्बल ने जस्टिस श्री दीपक मिश्रा और जस्टिस श्री ललित से कहा कि मायलार्ड बाहर चलकर प्रगति मैदान देखिये प्रगति मैदान शिक्षामित्रों से भरा है ।
जस्टिस श्री ललित पिघल गये और दुनिया के सबसे बड़े विद्वान जज जस्टिस श्री DY चंद्रचूड के आदेश पर स्टे हो गया और एक वर्ष से अधिक समय से वो पढ़ा रहे हैं ।
और क्या लिखूं , मेरे लिखने से कोर्ट फैसला नहीं करेगी ।
पुनः बता रहा हूँ डराना मेरा मकसद नहीं है ।
धन्यवाद ।
राहुल
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