सुप्रीम कोर्ट ने जब खुद 1100 याचियों के लिए भी विज्ञापित पदों में से कुछ पद सुरक्षित कर के उन्हें अंतरिम राहत दी हुई है, तो 72825 पदों के अतिरिक्त जो अब सीधा सुप्रीमकोर्ट में नए याची बन के लाभ पाने की मुहीम शुरू की गई है वो सिर्फ लूटने का एक बहुत ही बड़ा षड्यंत्र था जोकी पूर्णतयः सफल भी हो चुका है ।
सपना बेचने वालो ने बहुत चतुराई से 24 फ़रवरी की सुनवाई के बाद से एक बात का प्रचार किया की सुप्रीमकोर्ट ने पूर्व में उसके द्वारा दिए गए आदेश जिसमे 1100 याचियों को अंतरिम नियुक्ति वो भी एडहॉक में देने की बात थी ठीक उसी आधार पे आज यानी 24 फ़रवरी को जितनी भी IA अलाऊ की गई है उन सब को भी 10 सप्ताह के अंदर नियुक्ति का आदेश दिया गया है असली खेल यंही पर हुआ क्योकी किसी भी नेता ने या अभ्यर्थी ने इस बात गौर ही नहीं किया की सुप्रीम कोर्ट ने 1100 लोगो को सिर्फ 72825 पदों में शेष बचे 3500 पदों को सुरक्षित कर के उन्ही में से नियुक्ति का आदेश दिया था यानी का 24 फ़रवरी के याचियों को भी उन्ही रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति के लिए विचार के लिए कहा था। 3500 में से 1100 लोग तो हो ही चुके है तो कुल पद बचे 2400 और याची 20000 से भी अधिक इसीलिए सरकार ने किसी को भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया और ना ही देगी क्योकी खुद सुप्रीमकोर्ट ने उसे सिर्फ रिक्त पदों तक बाध्य किया हुआ है।
अब अगर नए याचियों को नियुक्ति चाहिए तो पहले पद बढ़वाने होंगे और अगर पद बढ़ेंगे तो वो सुप्रीमकोर्ट जो भी नियुक्ति का फॉर्मूला तय करेगा केस को फाइनल कर के उस फॉर्मूले से वो पद भरे जाएंगे नाकी याची बनने वालो को कोई नियुक्ति मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार खुद और शिक्षामित्र मामले में हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने समायोजन जैसे किसी भी स्थिति को पूर्णतयः असंवैधानिक बता के समायोजन को खारिज कर दिया था, क्योकी इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है। उत्तर प्रदेश की नियमावली में भी कंही पर याची बनो और नौकरी पाओ का उल्लेख नहीं है और जब चयन की नियमावली में ही उललेख नहीं है तो कुछ भी नहीं हो सकता।
सुप्रीमकोर्ट ने जब 1100 याचियों तक की नौकरी एडहॉक पे प्रदान की और उसे भी अंतिम आदेश के आधीन कर दिया वो भी विज्ञापित पदों के अंदर ही तो ये बात स्पष्ट है की किसी को भी याची बन जाने मात्र से कुछ भी नहीं मिलेगा ना एडहॉक पे ना पूर्ण रूपेण,,
सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश भर के लिए नज़ीर होता है और मान्नीय दीपक मिश्रा जी देश को ऐसी कोई नज़ीर नहीं देंगे जो समानता के अवसर का उल्लंघन कर और सरकार द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया को किनारे कर सिर्फ याची बन जाने से नौकरी दे देने का आधार बन जाए।।
अंतिम बात जब तक लोग पैसा देंगे ये केस नहीं खत्म होगा , अगर वास्तव् में कोई कुछ करना चाहता है तो इस मुकदमे का अंतिम निस्तारण कराते हुए कुछ ऐसा करे जिससे कम से कम 72825×2 या फिर इससे भी जायदा पदों को भरने का आदेश माननीय उच्चतम न्यायालय करे।
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अब अगर नए याचियों को नियुक्ति चाहिए तो पहले पद बढ़वाने होंगे और अगर पद बढ़ेंगे तो वो सुप्रीमकोर्ट जो भी नियुक्ति का फॉर्मूला तय करेगा केस को फाइनल कर के उस फॉर्मूले से वो पद भरे जाएंगे नाकी याची बनने वालो को कोई नियुक्ति मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार खुद और शिक्षामित्र मामले में हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने समायोजन जैसे किसी भी स्थिति को पूर्णतयः असंवैधानिक बता के समायोजन को खारिज कर दिया था, क्योकी इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है। उत्तर प्रदेश की नियमावली में भी कंही पर याची बनो और नौकरी पाओ का उल्लेख नहीं है और जब चयन की नियमावली में ही उललेख नहीं है तो कुछ भी नहीं हो सकता।
सुप्रीमकोर्ट ने जब 1100 याचियों तक की नौकरी एडहॉक पे प्रदान की और उसे भी अंतिम आदेश के आधीन कर दिया वो भी विज्ञापित पदों के अंदर ही तो ये बात स्पष्ट है की किसी को भी याची बन जाने मात्र से कुछ भी नहीं मिलेगा ना एडहॉक पे ना पूर्ण रूपेण,,
सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश भर के लिए नज़ीर होता है और मान्नीय दीपक मिश्रा जी देश को ऐसी कोई नज़ीर नहीं देंगे जो समानता के अवसर का उल्लंघन कर और सरकार द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया को किनारे कर सिर्फ याची बन जाने से नौकरी दे देने का आधार बन जाए।।
अंतिम बात जब तक लोग पैसा देंगे ये केस नहीं खत्म होगा , अगर वास्तव् में कोई कुछ करना चाहता है तो इस मुकदमे का अंतिम निस्तारण कराते हुए कुछ ऐसा करे जिससे कम से कम 72825×2 या फिर इससे भी जायदा पदों को भरने का आदेश माननीय उच्चतम न्यायालय करे।
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