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UP Shiksha Mitra : शिक्षामित्रों को हटाने जा रही है सरकार, कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट पर लागू होगी नई शिक्षा नीति

लखनऊ. शिक्षामित्रों (UP shiksha mitra ) की नौकरी पर संकट के बादल छा रहे हैं। डॉ. कस्तूरीरंगन की रिपोर्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार शिक्षामित्रों के पद खत्म करने पर विचार कर रही है। नई शिक्षा नीति (National Education Policy) की अनुशंसाओं को नरेंद्र मोदी सरकार अगर लागू करती है तो शिक्षामित्रों का पद खुद ही खत्म हो जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले 50 वर्षों में तीसरी शिक्षा नीति बनाने का ड्राफ्ट हाल ही में जारी हुआ है। प्रस्तावित इस शिक्षा नीति में कहा गया है कि सभी तरह के पैरा टीचर की बहाली पर 2022 तक रोक लगा दी जाये। इसके अलावा पूर्व से चले आ रहे पारा टीचर के पद को भी खत्म करने की बात कही गई है। आपको बता दें कि अंशकालिक टीचरों को पारा टीचर कहा जाता है। इन्हें कुछ समय के लिए मानदेय पर रखा जाता है। इस श्रेणी में शिक्षामित्र भी आते हैं।
इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति ने बीते दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री (एचआरडी) रमेश पोखरियाल निशंक को राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (National Educational Policy) का मसौदा सौंपा। इसमें पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणालियों को शामिल करने, एक राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन और पारा टीचर की बहाली व उनके पद को खत्म करने समेत कई सिफारिशें लागू की गई हैं। पारा टीचर को लेकर इस तरह की अनुशंसा ऐसे वक्त में आई है, जब उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इनकी नियुक्ति को लेकर बड़ा आंदोलन किया जा रहा है। समिति का कहना है कि पारा टीचर्स की नियुक्ति में स्तर का ख्याल नहीं रखा गया, जिससे शिक्षा-व्यवस्था प्रभावित हो रही है।


स्थायी करने की मांग कर रहे शिक्षामित्र
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन कैंसिल कर दिया गया था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया। कई शिक्षामित्रों के सुसाइड की खबरें भी आईं। योगी सरकार ने उनका मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया, लेकिन शिक्षामित्र नियमित किये जाने की मांग कर रहे हैं। अपनी मांगों के लेकर शिक्षामित्र लगातार सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं।
दूसरे पेशे के लोग भी बन सकेंगे प्राइमरी टीचर
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में सरकारी स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से परिवर्तित करने की बात कही गई है। साथ ही प्राइमरी स्तर पर दूसरे क्षेत्रों के लोगों को भी शिक्षक बनाने की बात कही गई है। समिति ने कहा कि दूसरे पेश वाले व रिटायर्ड लोग भी बेहतर शिक्षक साबित हो सकते हैंं। रिपोर्ट में दूसरे पेशे या फिर रिटायर्ड लोगों को टीचर बनाने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी करने की बात कही गई है।


...और क्या खास है नई शिक्षा नीति में
- ग्रेजुएशन की पढ़ाई में कोई भी छात्र विज्ञान (साइंस) और कला (आर्ट्स) दोनों विषय लेकर पढ़ाई कर सकता है। इसके अलावा चार साल के कोर्स के दौरान उसे बीचे में पढा़ई छोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। इतना ही नहीं उसे हर स्तर पर डिग्री की व्यवस्था भी की जाएगी।
- नई शिक्षा की नीति अनुशंसा अगर लागू होती है तो कोई भी प्राइवेट स्कूल अपने नाम में पब्लिक शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। इतना ही नहीं, जिन स्कूलों के नाम के आगे पब्लिक लगा है, उन्हें हटाना पड़ेगा। समिति की अनुशंसा के मुताबिक, सिर्फ ऐसे स्कूल ही अपने नाम के साथ पब्लिक शब्द जोड़ सकेंगे, जिन्हें सरकारी अनुदान मिलता है या फिर सरकार के तहत संचालित होते हैं।
नई शिक्षा नीति (National Education Policy)
इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट में शिक्षा व्यवस्था को लेकर ड्राफ्ट में नई नीति (National Education Policy) लागू करने की अनुशंसा की है। इसमें शिक्षामित्रों (UP Shiksha Mitra) सहित पारा टीचर की बहाली पर रोक लगाने की बात कही गई है। हालांकि, एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल का कहना है कि अभी यह सिर्फ ड्राफ्ट है, अंतिम नीति नहीं।

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