बजट उम्मीदें लंबी अवधि की बचत पर मिले विशेष कर रियायत स्थिर सरकार, नरम पड़ चुकी मुद्रास्फीति और निवेश परिदृश्य में आए सुधार के
बीच आम बजट 2015 पेश किया जाएगा। इस वर्ष के बजट में प्रमुख पॉलिसी
घोषणाओं पर नजर रखनी चाहिए तथा सरकार का दृष्टिकोण वित्तीय समेकन की ओर
होना चाहिए।
वित्त कानून, 2012 में उल्लेख किया गया है कि धारा 80 सी और धारा 10 (10डी) के अंतर्गत कर लाभ उठाने के लिए पेंशन प्लान को छोड़कर सभी बीमा पॉलिसी द्वारा वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 10 गुणा अधिक कवर पेश किए जाने की जरूरत है। जीवन बीमा उद्योग ने पहले सुझाव दिया था कि कर राहत को सम एश्योर्ड के बजाय पॉलिसी की अवधि से जोड़ा जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि 10 से अधिक वर्ष की पॉलिसी की अवधि वाले प्रस्ताव को कर राहत प्रदान की जानी चाहिए इससे दीर्घकालिक बचत की आदत को बढ़ावा मिलेगा ।
पेंशन फंड में योगदान के लिए 1 लाख रुपये की सीमा को समाप्त करना चाहिए और पेंशन के लिए सम्पूर्ण योगदान को कर मुक्त किया जाना चाहिए। पेंशन स्कीम के अधिकांश कर्मचारी/सदस्य पेंशन स्कीम के लिए 1 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर विचार करना पसंद करेंगे, क्योंकि इससे उन्हें अधिकतम अंतिम एन्युटी भुगतान मिलेगा और उनकी सेवानिवृत्ति संबंधित जरूरतें भी पूरी हो पाएंगी।
सरकार को अलग से दीर्घकालिक बचत उपकरणों के लिए विशेष कर रियायत पर विचार करना चाहिए इसे मौजूदा कर सीमा से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इससे व्यवस्थित एवं निरंतर दीर्घकालिक बचत की आदत को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा हमारा सुझाव है कि विभिन्न बीमा उत्पादों पर लागू सेवा कर की दरों पर दोबारा विचार करना चाहिए। खासतौर से पारंपरिक और सिंगल प्रीमियम उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इन पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर बहुत अधिक होता है और ये पॉलिसीधारक के लिए काफी महंगे उत्पाद साबित होते हैं।
इसके साथ ही बीमा कमीशन पर टीडीएस काटने के लिए थ्रैशहोल्ड सीमा में वृद्धि की जाए और इसे 20,000 रुपये के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया जाए। धारा 194सी, 194डी, 194आई और 194 जे के अंतर्गत टीडीएस प्रमाण पत्रों को त्रैमासिक आधार पर जारी किया जाए। वैकल्पिक रूप से इसे धारा 192 के अनुसार वार्षिक आधार पर भी जारी करने की अनुमति देनी चाहिए।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
वित्त कानून, 2012 में उल्लेख किया गया है कि धारा 80 सी और धारा 10 (10डी) के अंतर्गत कर लाभ उठाने के लिए पेंशन प्लान को छोड़कर सभी बीमा पॉलिसी द्वारा वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 10 गुणा अधिक कवर पेश किए जाने की जरूरत है। जीवन बीमा उद्योग ने पहले सुझाव दिया था कि कर राहत को सम एश्योर्ड के बजाय पॉलिसी की अवधि से जोड़ा जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि 10 से अधिक वर्ष की पॉलिसी की अवधि वाले प्रस्ताव को कर राहत प्रदान की जानी चाहिए इससे दीर्घकालिक बचत की आदत को बढ़ावा मिलेगा ।
पेंशन फंड में योगदान के लिए 1 लाख रुपये की सीमा को समाप्त करना चाहिए और पेंशन के लिए सम्पूर्ण योगदान को कर मुक्त किया जाना चाहिए। पेंशन स्कीम के अधिकांश कर्मचारी/सदस्य पेंशन स्कीम के लिए 1 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर विचार करना पसंद करेंगे, क्योंकि इससे उन्हें अधिकतम अंतिम एन्युटी भुगतान मिलेगा और उनकी सेवानिवृत्ति संबंधित जरूरतें भी पूरी हो पाएंगी।
सरकार को अलग से दीर्घकालिक बचत उपकरणों के लिए विशेष कर रियायत पर विचार करना चाहिए इसे मौजूदा कर सीमा से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इससे व्यवस्थित एवं निरंतर दीर्घकालिक बचत की आदत को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा हमारा सुझाव है कि विभिन्न बीमा उत्पादों पर लागू सेवा कर की दरों पर दोबारा विचार करना चाहिए। खासतौर से पारंपरिक और सिंगल प्रीमियम उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इन पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर बहुत अधिक होता है और ये पॉलिसीधारक के लिए काफी महंगे उत्पाद साबित होते हैं।
इसके साथ ही बीमा कमीशन पर टीडीएस काटने के लिए थ्रैशहोल्ड सीमा में वृद्धि की जाए और इसे 20,000 रुपये के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया जाए। धारा 194सी, 194डी, 194आई और 194 जे के अंतर्गत टीडीएस प्रमाण पत्रों को त्रैमासिक आधार पर जारी किया जाए। वैकल्पिक रूप से इसे धारा 192 के अनुसार वार्षिक आधार पर भी जारी करने की अनुमति देनी चाहिए।
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