शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट से पठन-पाठन पर असर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Latest updates

जागरण संवाददाता, मेरठ : सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे गणित के सामान्य सवाल नहीं हल कर पा रहे, हिंदी की किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, शिक्षक बनने की दौड़ में शामिल होने वाले बहुत से अभ्यर्थी भी प्राइमरी की परीक्षा में ही फेल हो रहे हैं, जिसका अंदाजा हर साल होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा के परिणाम से लगाया जा सकता है।
प्राइमरी और माध्यमिक स्तर पर सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन का स्तर लगातार गिर रहा है। इसका एक बड़ा कारण शिक्षकों का शिक्षा का स्तर है। शिक्षक बनने की कतार में खड़े बहुत से अभ्यर्थियों के पास अपेक्षित योग्यता नहीं है। परास्नातक तक की डिग्री लेने के बाद भी बहुत से अभ्यर्थी प्राइमरी और जूनियर स्तर की पात्रता परीक्षा को पास नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा होने के बाद से तो शिक्षकों की शैक्षणिक गुणवत्ता और सामने आने लगी है। पिछले दो साल से निराशाजनक परिणाम देखने को मिल रहा है, जिसमें 80 फीसदी अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता परास्नातक है, लेकिन वह प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं की परीक्षा में फेल हो रहे हैं।
चौंका रहे सीटीइटी के नतीजे, 2014 के बोलते परिणाम : प्राइमरी स्तर के स्कूल में शिक्षक बनने वाले अभ्यर्थियों में पुरुषों में केवल 12.95 और जूनियर में महज 3.13 फीसदी सीटीइटी पास कर पाए। महिलाओं में देखें तो प्राइमरी में 11.95 फीसद और जूनियर में मात्र 2.80 फीसद पास हुईं।
2015 में थोड़ा सा सुधार : फरवरी 2015 के सीटीइटी के नतीजे देखें तो प्राइमरी में 19.26, जूनियर में 9.62 फीसद पुरुष अभ्यर्थी सफल हुए थे। महिलाओं में प्राइमरी में 17.90 और जूनियर में 9.16 फीसद सफल हुईं।


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