राज्य ब्यूरो, लखनऊ :
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के लिए शिक्षक पात्रता
परीक्षा (टीईटी) से छूट दिलाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है
कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने और 1:40
शिक्षक-छात्र अनुपात सुनिश्चित करने के लिए 1999-2000 में शिक्षामित्र
योजना शुरू की गई थी। तब से परिषदीय स्कूलों में तकरीबन 1.7 लाख
शिक्षामित्र नियुक्त किये जा चुके हैं।
यह शिक्षामित्र 15-16 वर्षों से स्कूलों में नियमित रूप से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद वर्ष 2010 से शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। शिक्षा के अधिकार कानून के लागू होने पर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की स्वीकृति से दूरस्थ शिक्षा के जरिये शिक्षामित्रों को प्राथमिक शिक्षा शास्त्र में दो वर्षीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देते हुए राज्य सरकार ने उन्हें प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का फैसला किया। इस फैसले के तहत लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया जा चुका है लेकिन हाई कोर्ट ने इस समायोजन को अवैध ठहरा दिया है। यह कहते हुए कि राज्य सरकार को शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि उनसे मुलाकात कर उन्हें समस्या से अवगत करा चुके हैं। सीएम ने पीएम से अनुरोध किया है कि इन परिस्थितियों में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के लिए उन्हें टीईटी से छूट दिलाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रलय को निर्देशित करें। एक अक्टूबर को मुख्य सचिव आलोक रंजन ने एनसीटीई के अध्यक्ष को पत्र भेजकर शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिलाने की मांग की है। शिक्षामित्रों के मामले में राज्य सरकार दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। एक तरफ तो शिक्षामित्रों को एनसीटीई के जरिये टीईटी से छूट दिलाने की कोशिशें की जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर कर चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यह शिक्षामित्र 15-16 वर्षों से स्कूलों में नियमित रूप से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद वर्ष 2010 से शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। शिक्षा के अधिकार कानून के लागू होने पर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की स्वीकृति से दूरस्थ शिक्षा के जरिये शिक्षामित्रों को प्राथमिक शिक्षा शास्त्र में दो वर्षीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देते हुए राज्य सरकार ने उन्हें प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का फैसला किया। इस फैसले के तहत लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया जा चुका है लेकिन हाई कोर्ट ने इस समायोजन को अवैध ठहरा दिया है। यह कहते हुए कि राज्य सरकार को शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि उनसे मुलाकात कर उन्हें समस्या से अवगत करा चुके हैं। सीएम ने पीएम से अनुरोध किया है कि इन परिस्थितियों में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के लिए उन्हें टीईटी से छूट दिलाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रलय को निर्देशित करें। एक अक्टूबर को मुख्य सचिव आलोक रंजन ने एनसीटीई के अध्यक्ष को पत्र भेजकर शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिलाने की मांग की है। शिक्षामित्रों के मामले में राज्य सरकार दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। एक तरफ तो शिक्षामित्रों को एनसीटीई के जरिये टीईटी से छूट दिलाने की कोशिशें की जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर कर चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC