लखनऊ उत्तर प्रदेश
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों को नियम कानूनों की कोई परवाह नहीं है.
और तो और हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों की अवहेलना में भी वे संकोच नहीं कर
रहे हैं. ऐसा ही एक मामला लखनऊ में सामने आया है.
राजधानी के जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी नियम कानूनों को धता बताकर सात ऐसे शिक्षकों के वेतन जारी करने के आदेश दे दिये हैं जिनकी नियुक्ति को फर्जी बताकर पहले ही शिक्षा विभाग उन्हें निरस्त कर चुका है. जब कॉलेज के प्रबंधन ने वेतन जारी करने से मना कर दिया तो डीआईओएस ने पूरे स्कूल के स्टाफ का ही वेतन रोक लिया है.
राजधानी लखनऊ के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के शिक्षकों और दूसरे स्टाफ को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है. इन्हें वेतन के लाले इसलिए पड़े हैं क्योंकि कॉलेज के प्रधानाचार्य ने सात फर्जी शिक्षकों को वेतन देने से मना कर दिया है. इस मनाही से लखनऊ के डीआईओएस उमेश कुमार त्रिपाठी इतने तिलमिला उठे कि उन्होंने कॉलेज के प्रबंधन को एक ऐसा पत्र लिख डाला जो पूरी तरह गैरकानूनी और नियमों के विरूद्द है.
त्रिपाठी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यदि समय रहते वेतन जारी करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी तो वे अपने स्तर पर ही फैसला लेने के लिए बाध्य होंगे. कॉलेज प्रबंधन को ये नहीं मालूम था कि नियमों का पालन करने के एवज में वे पैसे-पैसे के लिए मुहताज हो जायेंगे.
नके रूख से नाराज डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने पिछले कई महीनों से पूरे कॉलेज के शिक्षकों और स्टाफ का वेतन रोक रखा है. फिर भी न जाने किन वजहों से लखनऊ के डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने शिक्षकों को वेतन जारी करने के आदेश जारी कर दिये. जब कॉलेज प्रबंधन ने इसका विरोध किया तो विभाग ने पुराने शिक्षकों और स्टाफ का भी वेतन रोक लिया. अब सवाल उठता है कि आखिर जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी आखिर उन सातों शिक्षकों को वेतन दिलाने के लिए इतने उतावले क्यों हैं.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं किया जा रहा है. कुशीनगर में डीआईओएस रहते हुए उन्होंने इसी तरह एक शिक्षक का वेतन जारी किया था जिसकी जांच आज भी विभाग में चल रही है.
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राजधानी के जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी नियम कानूनों को धता बताकर सात ऐसे शिक्षकों के वेतन जारी करने के आदेश दे दिये हैं जिनकी नियुक्ति को फर्जी बताकर पहले ही शिक्षा विभाग उन्हें निरस्त कर चुका है. जब कॉलेज के प्रबंधन ने वेतन जारी करने से मना कर दिया तो डीआईओएस ने पूरे स्कूल के स्टाफ का ही वेतन रोक लिया है.
राजधानी लखनऊ के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के शिक्षकों और दूसरे स्टाफ को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है. इन्हें वेतन के लाले इसलिए पड़े हैं क्योंकि कॉलेज के प्रधानाचार्य ने सात फर्जी शिक्षकों को वेतन देने से मना कर दिया है. इस मनाही से लखनऊ के डीआईओएस उमेश कुमार त्रिपाठी इतने तिलमिला उठे कि उन्होंने कॉलेज के प्रबंधन को एक ऐसा पत्र लिख डाला जो पूरी तरह गैरकानूनी और नियमों के विरूद्द है.
त्रिपाठी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यदि समय रहते वेतन जारी करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी तो वे अपने स्तर पर ही फैसला लेने के लिए बाध्य होंगे. कॉलेज प्रबंधन को ये नहीं मालूम था कि नियमों का पालन करने के एवज में वे पैसे-पैसे के लिए मुहताज हो जायेंगे.
नके रूख से नाराज डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने पिछले कई महीनों से पूरे कॉलेज के शिक्षकों और स्टाफ का वेतन रोक रखा है. फिर भी न जाने किन वजहों से लखनऊ के डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने शिक्षकों को वेतन जारी करने के आदेश जारी कर दिये. जब कॉलेज प्रबंधन ने इसका विरोध किया तो विभाग ने पुराने शिक्षकों और स्टाफ का भी वेतन रोक लिया. अब सवाल उठता है कि आखिर जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी आखिर उन सातों शिक्षकों को वेतन दिलाने के लिए इतने उतावले क्यों हैं.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं किया जा रहा है. कुशीनगर में डीआईओएस रहते हुए उन्होंने इसी तरह एक शिक्षक का वेतन जारी किया था जिसकी जांच आज भी विभाग में चल रही है.
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