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ऐसे थे हमारे अब्दुल कलम आज़ाद।

आदरणीय एपीजे अब्दुल कलाम साहब का नाम जब भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया और उनके शपथ ग्रहण की तिथि तय हो गई तो प्रोटोकाल व व्यवस्था में लगे एक अधिकारी ने उनसे पूछा - सर,
आपके शपथ ग्रहण समारोह में आपके परिवार और मित्रों में से किन किन को बुलाना है, लिखवाइये।
कलाम साहब बोले - "नाम तो याद नहीं है पर जिन जिन शिक्षकों ने मुझे प्राथमिक कक्षाओं में पढाया है उन सभी को ससम्मान समारोह में बुलाया जाये।"
सार।
किसी देश का बौद्धिक विकास उस देश के योग्य शिक्षकों पर निर्भर करता है। समाज में एक शिक्षक वर्ग ही है जो समाज को परिवर्तित करने का माद्दा रखता है। ऐसा श्रीमान आज़ाद साहब का मानना था।
सादर।


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