प्राचार्य के पद पर चयन विवादित होने के बावजूद डॉ.अजब सिंह यादव और डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी को उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का सदस्य बनाने का दांव राज्य सरकार को उल्टा पड़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से आयोग का मेंबर बनने की योग्यता खो चुके इन दो सदस्यों की नियुक्ति को राज्य सरकार को निरस्त करना पड़ा है। उच्च शिक्षा विभाग ने दोनों सदस्यों की नियुक्ति निरस्त किये जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। दोनों सदस्यों की नियुक्ति रद होने से आयोग में एक बार फिर कोरम का संकट पैदा हो गया है।
शीर्ष अदालत ने प्राचार्य पद पर चयनित जिन 157 शिक्षकों को रिवर्ट करने का आदेश दिया है, उनमें डॉ.अजब सिंह यादव और डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी भी शामिल हैं। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सदस्यों के प्राचार्य पद पर हुए चयन को ही रद कर दिया है, इसलिए दोनों सदस्य प्राचार्य का कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से ही प्राचार्य नहीं रह गए। योग्यता न रखने के कारण आयोग के सदस्य पद पर उनकी नियुक्ति अवैधानिक हो चुकी थी। लिहाजा सरकार को उनकी नियुक्ति रद करने का कदम उठाना पड़ा। उच्चतर शिक्षा आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों के छह पद सृजित हैं। दोनों सदस्यों की नियुक्त रद होने के बाद अब आयोग में अध्यक्ष प्रभात मित्तल के अलावा सिर्फ एक सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी ही बचे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से आयोग का मेंबर बनने की योग्यता खो चुके इन दो सदस्यों की नियुक्ति को राज्य सरकार को निरस्त करना पड़ा है। उच्च शिक्षा विभाग ने दोनों सदस्यों की नियुक्ति निरस्त किये जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। दोनों सदस्यों की नियुक्ति रद होने से आयोग में एक बार फिर कोरम का संकट पैदा हो गया है।
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शीर्ष अदालत ने प्राचार्य पद पर चयनित जिन 157 शिक्षकों को रिवर्ट करने का आदेश दिया है, उनमें डॉ.अजब सिंह यादव और डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी भी शामिल हैं। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सदस्यों के प्राचार्य पद पर हुए चयन को ही रद कर दिया है, इसलिए दोनों सदस्य प्राचार्य का कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से ही प्राचार्य नहीं रह गए। योग्यता न रखने के कारण आयोग के सदस्य पद पर उनकी नियुक्ति अवैधानिक हो चुकी थी। लिहाजा सरकार को उनकी नियुक्ति रद करने का कदम उठाना पड़ा। उच्चतर शिक्षा आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों के छह पद सृजित हैं। दोनों सदस्यों की नियुक्त रद होने के बाद अब आयोग में अध्यक्ष प्रभात मित्तल के अलावा सिर्फ एक सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी ही बचे हैं।
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