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साल भर में दूसरे के नाम नौकरी करते पकड़े गए 6 शिक्षक, 12 की जांच

बेसिक शिक्षा विभाग में एक ही नाम और पते पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का मामला फिर प्रकाश में आया है। एक साल में ऐसे छह शिक्षकों के पकड़े जाने और 12 अन्य के खिलाफ जांच चलने के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। मसलन ट्रेनिंग से लेकर नियुक्ति प्रक्रिया तक कई बार जांच होती है।
इसके बावजूद फर्जीवाड़े का यह खेल चल रहा है। शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े में शामिल लोग अंक पत्र और प्रमाण किसी और का रहता है और किसी और की फोटो लगाकर उसे ट्रेनिंग करा देते हैं और वे नौकरी भी पा जाते हैं। जिस छात्र की नियुक्ति होती है, उसके प्रमाण पत्र, नाम और पते की जांच कराने के लिए वाराणसी और इलाहाबाद बोर्ड ऑफिस भेजा जाता है। छात्रों के प्रमाणपत्रों की मिलान की जाती है और उसे सही कहते हुए भेज दिया जाता है। फर्जी प्रमाणपत्रों को जब जांच के लिए भेजा जाता है तो भी वे पकड़ में नहीं आते।

बंद हो गई सीडी बनवाने की प्रक्रिया :विशिष्ट बीटीसी के तहत नियुक्ति प्रकिया में फर्जीवाड़े की शिकायत ज्यादा होने के बाद वर्ष 2011 में बोर्ड ने सभी नियुक्तियों व प्रमाणपत्रों की सीडी बनवाने का निर्देश दिया था। बोर्ड की मंशा थी कि सीडी के तहत जांच के दौरान सभी नियुक्तियों का मिलान किया जाएगा। डायट के विशेषज्ञों की माने तो शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान छात्र द्वारा दिया गया नाम व पता तथा शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच बोर्ड के अलावा उनके पढ़े हुए स्कूलों से भी कराई जानी चाहिए। क्योंकि बोर्ड में सिर्फ उनका शैक्षणिक प्रमाण पत्र, नाम और पता ही होता है।

अभी 12 शिक्षकों की और चल रही जांच : बेसिक शिक्षा विभाग में एक सत्र के दौरान छह फर्जी शिक्षकों कार्रवाई हो चुकी है और अभी 12 से अधिक शिक्षकों की जांच चल रही है। इन पर भी दूसरे के नाम, पते व प्रमाण पत्रों नौकरी करने की शिकायत है। मगर बेसिक विभाग इन सभी मामलों में देरी होने का कारण प्रशासन का साथ नहीं देना बता रहा है।
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