कुछ शिक्षामित्र राम जेठमलानी जी का नाम लेकर ऐसे प्रचारित कर रहे हैं जैसे उन्होंने केस सुनवाई से पहले ही जीत लिया, आइए हम बताते हैं हकीकत क्या है?

शिक्षक शिक्षा मित्र साथियों  पिछले दो-तीन दिनों से एक टीम के लोगों द्वारा  सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का नाम लेकर ऐसे प्रचारित कर रहे हैं जैसे उन्होंने केस सुनवाई से पहले ही जीत लिया है। आइए हम बताते हैं हकीकत क्या है?

हम मानते है कि राम जेठमलानी जी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम वकीलों में आते हैं पर क्या आपको पता है कि पिछले दो सालों में वह कोई भी केस नही जीते हैं । पिछले 2 सालों से उन्होंने जिस भी बड़े केस को हाथ में लिया है वह सभी केस वह बुरी तरह हारे हैं । और आज उनकी शारीरिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि इतने वकीलों और भीड़ भाड़ के बीच में अपनी बात को जज महोदय को सुना सकें राम जेठमलानी जी की उम्र 95 साल हो चुकी है और वह व्हील चेयर के सहारे पर चलते है इसलिए वह 10 मिनट लगातार खड़े होकर बहस नहीं कर सकते ऐसी स्थिति में क्या वह कोर्ट में बैठकर बहस कर पाएंगे । आइये हम आपको बताते है पिछले दो सालों में जिन चर्चित केस में वह वकील की भूमिका में रहे उन केस में क्या हुआ ।

1- सुब्रत राय सहारा जिनको कोर्ट शर्त पर जमानत देने को तैयार था लेकिन राम जेठमलानी जी द्वारा जज महोदय से उलझने के कारण सुब्रत राय सहारा को जमानत नहीं मिली ।
2 - आसाराम का केस वह पिछले 3 साल से लड़ रहे हैं और इस केस में कोर्ट से उन्हें जबरदस्त फटकार लगी और कोर्ट से अभी तक आशाराम को जमानत नही मिली
3-  बिहार के सीवान के सांसद शहाबुद्दीन  को जिन्हें बिहार हाईकोर्ट से जमानत मिल मिली थी और बिहार सरकार उनकी जमानत को ख़ारिज कराने सुप्रीम कोर्ट गई । तो शहाबुद्दीन ने अपनी जमानत को बचाये रखने के लिए राम जेठमलानी को अपना वकील रखा पर यहां भी ये उनकी जमानत नहीं दिलवा पाए। और शहाबुद्दीन को जेल जाना पड़ा ।
4- एक और दिल्ली का चर्चित केस तंदूर हत्याकांड  के आरोपियों के वकील रहे और इनके पक्ष को इस केस में भी सजा हुई ।
साथ ही आपको जानकारी देते हैं कि जेठमलानी जी लालू यादव जी की पार्टी से राज्य सभा सदस्य हैं और कई बार वह माननीय नरेंद्र मोदी जी को अपने भाषणों में भला बुरा कह चुके हैं । जबकि mhrd और ncte को भी अभी कोर्ट में शिक्षा मित्र केस मे  पक्ष रखा जाना है जिसका सीधा असर हमारे केस पर पड़ सकता है ।
       फिर भी उक्त टीम की  ऐसी क्या मजबूरी की जो वकील साहब लगातार केस हार रहे हैं जिनका शरीर तक उनका साथ नहीं दे रहा है, न ही वह सर्विस मेटर के वकील हैं और न ही उनकी देश के प्रधान मंत्री से बनती है तो ऐसे वकील को  उक्त टीम द्वारा करने की क्या मजबूरी आन पड़ी ? क्या सिर्फ इसलिए कि बड़े वकील के नाम पर प्रदेश के शिक्षा मित्रों से बड़ा चंदा बसूला जा सके । फिर चाहे उसके लिए शिक्षा मित्रों के पैसे को बेकार में ही खर्च करना पड़े । या शिक्षा मित्रों के भविष्य से खिलवाड़ करना पड़े ।
मित्रो जिस तरह आज भी सचिन तेंदुलकर से बड़ा दुनियां में कोई खिलाडी नही है परंतु आज किसी होने वाले मैच में सिर्फ बड़ा खिलाडी होने भर मात्र से किसी महत्वपूर्ण मैच में तेंदुलकर को नहीं खिलाया  जा सकता बल्कि किसी भी  खिलाडी की वर्तमान फॉर्म के आधार पर ही उसे मैच में उतारा जाता है वैसे ही जेठमलानी जी को उनके 10 -20 साल के रिकार्ड के आधार पर नही बल्कि उनके वर्तमान केस रिकार्ड के आधार पर चयन करने का फैसला करना चाहिए था । आज अगर सर्विस मेटर में देखा जाये तो गोपाल सुब्रह्मण्यम या अन्य कई बड़े वकील जो सर्विस मेटर के जाने माने नाम है उन्हें कोर्ट में शिक्षा मित्रों की तरफ से इनके द्वारा किया  जाता तो निश्चित ही कोर्ट में शिक्षा मित्रों को अवश्य लाभ मिलता पर शायद गोपाल सर या अन्य वकील साहब के नाम पर इन्हें चंदे का लाभ न मिलता ।क्यूकि इन लोगों को शिक्षा मित्रों को कोर्ट में होने वाले लाभ से ज्यादा अपने चंदे के धंधे को चमकाने की ज्यादा फ़िक्र है ।
 टीम के लोग ये अच्छी तरह जान लो जो पैसा आप वर्वाद कर रहे हो ये आपके घर का पैसा नही है ये शिक्षा मित्रों के खून पसीने का पैसा है इसे आप संघठनो से लड़ने में खर्च न कर शिक्षा मित्रों की लड़ाई लड़ने में खर्च करो ।  यही शिक्षा मित्रों और आपके हित में होगा । वरना जिस दिन शिक्षा मित्र तुम लोगों की इस गन्दी राजनीती को समझ गया तो आप लोग कहीं ढूढ़ने से भी नहीं मिलोगे ।
जागरूक साथी सोचें और समझें और समय रहते इन लोगो को समझाएं वरना ऐसा न हो कि ये लोग पूरे शिक्षा मित्रों को ही ले डूबें ।
   आपका - एक आम शिक्षा मित्र

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