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अपने साथ पढ़ने वाली छात्रा की ब्रा खोल देना क्‍या लड़कपन है

कितनी बार ऐसा होता है जब बच्चे कुछ ऐसा करते हैं जो ना सिर्फ भद्दा और आपत्तिजनक होता है बल्कि नज़रअंदाज करने के लायक भी नहीं होते. ऐसे में बच्चों की गलती बताने और उन्हें डांटने के बजाय लड़कपन की हरकत मानकर इसे इग्नोर कर देते हैं.
लेकिन इस मां और उसकी बेटी ने इस हरकत को नज़रअंदाज़ नहीं किया और ऐसी सज़ा दी कि ज़िंदगी भर याद रखेंगे.

पीड़ित लड़की की मां एक हॉस्पीटल में इमरजेंसी नर्स हैं. उन्हें उनकी बेटी के स्कूल से एक फोन आता है. कहा जाता है कि जल्दी से जल्दी वो बेटी के स्कूल पहुंचे इमरजेंसी है. कारण जानना चाहेंगे? इनकी बेटी ने एक लड़के की नाक तोड़ दी थी! क्यों? वो लड़का इसकी ब्रा स्ट्रीप को खींचा करता था और बार-बार मना करने के बाद भी परेशान करता था. इसके बाद बेटी के लिए मां ने जो जवाब दिया वो आंखें खोल देने वाला है. पढ़िए पूरी कहानी उनकी ही जुबानी-

"मैं एक इमरजेंसी रुम नर्स हूँ. हमें इमरजेंसी रुम में फोन ले जाने की इजाजत नहीं है. अपनी शिफ्ट के दौरान फोन को हमें लॉकर में रखना होता है. उस दिन भी ऐसा ही हुआ था. मेरा फोन लॉकर में रखा था और मैं इमरजेंसी रुम में एक मरीज को देख रही थी. तभी हॉस्पीटल के रिसेप्शन पर मेरे लिए एक कॉल आई. हॉस्पीटल के प्राइवेट लाइन नंबर पर ये फोन आया था इसलिए मैं थोड़ा हड़बड़ा गई थी.

girl_650_030717025806.jpgबेटी पर गर्व करो

फोन: "मैं [शिक्षक] आपकी बेटी के स्कूल से बोल रहीं हूं. स्कूल में एक घटना हुई है जिसमें आपकी बेटी संलिप्त है. इसलिए आपको तुरंत स्कूल आना पड़ेगा."

मैं: "क्या हुआ? मेरी बेटी बीमार है या कोई चोट आई है क्या? दो घंटे में मेरी शिफ्ट खत्म हो जाएगी. क्या तब तक इंतजार नहीं कर सकते?"

फोन: "आपकी बेटी ने एक छात्र को बुरी तरीके से मारा है. हम पिछले 45 मिनट से आपको कॉल कर रहे हैं लेकिन आप अपना फोन नहीं उठा रही हैं. यह बहुत गंभीर मामला है और आपको तुरंत यहां आना पड़ेगा."

मैं जल्दी-जल्दी स्कूल पहुंचती हूं. वहां मुझे सीधा प्रिंसिपल के कार्यालय में भेज दिया गया. वहां मेरी बेटी, उसके सलाहकार, एक पुरुष शिक्षक, प्राचार्य, एक लड़का जिसके नाक के चारों ओर खून से लाल हैं और चेहरा लाल हो चुका है, और उसके माता-पिता को देखती हूं.

प्राचार्य: "श्रीमती. [मेरा नाम], हम आभारी हैं कि 'आखिरकार' आपको यहां आने की फुरसत मिल ही गई!"

मैं: "जी हाँ, हॉस्पिटल के इमरजेंसी रुम में व्यस्तता तो होती ही है. पिछले एक घंटे से मैं एक साल साल के बच्चे को 40 टांके लगा रही थी. उसे उसकी मां ने ही इतनी बुरी तरीके से पीटा था और फिर मुझे इस मामले के बारे में पुलिस को भी बताना पड़ा. आपको हुई असुविधा के लिए खेद है."

(मैंने देखा की प्रिसिंपल शर्मिंदा नहीं होने का प्रयास करने लगा. इसके बाद, वह मुझे बताता है कि आखिर बात क्या हो गई और मुझे इतनी इमरजेंसी में यहां क्यों बुलाया गया है. वहां खड़े लड़के ने मेरी बेटी की ब्रा को खींचा था जिसके जवाब में मेरी बेटी ने उसे दो बार मुंह में घूंसा मार दिया. और अब वह खून से लथपथ है. मुझे ऐसा लगा कि उस वक्त कमरे में खड़ा हर शख्स लड़के की गलती के बजाय मेरी बेटी से ज्यादा नाराज था.)

मैं: "ओह. तो अब आपलोग यह जानना चाहते हैं कि इस लड़के के खिलाफ अपनी बेटी पर यौन हमला करने के लिए मैं केस करना चाहती हूं या नहीं? साथ ही स्कूल में ये घटना हुई है और स्कूल ने इसे होने दिया, उसके लिए मैं स्कूल के खिलाफ भी केस करुंगी या नहीं?"

(मेरे यौन उत्पीड़न का उल्लेख करने और एक ही सांस में सब बोल जाने से वो सभी घबरा से गए.)

शिक्षक: "मुझे नहीं लगता कि यह इतना गंभीर मामला है."

सलाहकार: "हमें इस मुद्दे को ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहिए."

प्रिंसिपल: "मुझे लगता है कि आप बात को समझ नहीं रहीं."

(इतनी बात होते-होते लड़के की मां रोने लगती है. मैं अपनी बेटी की ओर मुड़ी और उससे पूछा कि आखिर हुआ क्या था.)

बेटी: "ये लगातार मेरी ब्रा को खींचता जा रहा था. मैंने कई बार इसे ऐसा करने से मना किया लेकिन ये नहीं माना. तब मैंने टीचर को बताया. टीचर ने मुझे कहा कि इसे इग्नोर करो. तभी लड़के ने फिर से मुझे परेशान किया और मेरी ब्रा को खोल दिया. तब मैंने उसे मारा. मेरे मारने के बाद ही ये रुका."

bra_650_030717055442.jpgबचकानी मान कर हर हरकत को ना करें नजरअंदाज

(मैं शिक्षक की ओर मुड़ी)

मैं: "आप उसे ऐसा करते देखते रहे? आपने उसे रोका क्यों नहीं? आप जरा इधर आइए और मुझे अपकी पैंट को पकड़ना है."

शिक्षक: "क्या?! नहीं!"

मैं: "क्यों? क्या ये आपको ठीक नहीं लगता है? अच्छा ठीक है. आप जाकर श्रीमती [सलाहकार] की ब्रा खींचिए. देखिए उनको इसमें कितना मज़ा आता है. या फिर इस लड़के की मां की या फिर मेरी ही ब्रा को ही खींच लीजिए. क्या आपको लगता है कि ये बच्चे हैं सिर्फ इसलिए ये मजेदार है? "

प्राचार्य: "श्रीमती [मेरा नाम]. देखिए आप बुरा मत मानिएगा लेकिन आपकी बेटी ने इस लड़के को बुरी तरीके से मारा है."

मैं: नहीं. मेरी बेटी ने अपना बचाव किया है. ये लड़का उसका यौन शोषण कर रहा था. मेरी बेटी ने सिर्फ इस यौन हमले के खिलाफ अपना बचाव किया है. आप इस लड़के को  देखें; ये लगभग 6 फुट का लड़का है जिसका वजन 72-73 किलो के करीब होगा. वहीं मेरी बेटी सिर्फ 5 फुट और 35-38 किलो वजन वाली लड़की है. ये लड़का मेरी बेटी से लंबा और दोगुने वजन का है. उसके पैर लम्बे हैं. आखिर कितनी बार मेरी बेटी उसे छूने देती? क्लासरूम में जिस आदमी को मेरी बेटी की रक्षा करनी चाहिए थी वो बजाय उसे परेशान होने से बचाने के, घटना को ही इग्नोर करने की सलाह देता है तो आखिर मेरी बेटी को क्या करना चाहिए था? इस लड़के ने मेरी बेटी के ब्रा को इतना तेज़ खींचा कि वो खुल गया."

(लड़के की मां अभी भी रो रही थी. वहीं उसके पिता थोड़े गुस्से में तो हैं लेकिन शर्मिंदा भी हो रहे हैं. टीचर मुझसे नजरें मिलाने से कतरा था. मैंने प्रिंसिपल को देखा.)

मैं: "मैं अपनी बेटी को घर ले जा रही हूँ. मुझे लगता है कि लड़के ने सबक सीख लिया है. और साथ ही मैं आशा करती हूं कि दोबारा इस स्कूल में ऐसा कुछ कभी ना हो. ना  सिर्फ मेरी बेटी के साथ, बल्कि इस स्कूल के किसी भी और लड़की के साथ. आप ऐसी कोई घटना अपने किसी स्टाफ के साथ नहीं होने देंगे. लेकिन आखिर क्यों आपको लगता है कि एक 15 साल की लड़की के साथ ये सब होना नॉर्मल है? मैं इस पूरी घटना को स्कूल प्रशासकों को रिपोर्ट कर रही हूं. लड़के की तरफ मुड़ते हुए मैंने कहा- "अगर तुमने मेरी बेटी को फिर से छूने की कोशिश की तो मैं तुम्हें यौन उत्पीड़न के लिए गिरफ्तार करवा दूंगी. समझ आया?"

मैं बहुत गुस्सा में थी. मैंने अपनी बेटी की चीजों को इकट्ठा किया और वहां से निकल गई. इस घटना को मैंने स्कूल प्रशासन के सामने के सामने रखा और स्कूल बोर्ड में इसकी शिकायत भी की. स्कूल बोर्ड के कई लोगों को मैं जानती थी. उन्होंने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया.

उस टीचर और लड़के से दूर मेरी बेटी को दूसरी क्लास में डाल दिया गया है."
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