इलाहाबाद : शिक्षा विभाग के अफसरों ने शिक्षकों की नियुक्तियों में मनमर्जी से अर्हता बदली है। साथ ही अर्हता तय करने वाली संस्था को व्यापक बदलाव करने का निर्देश दिया, लेकिन चयन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सूबे की सरकार ने नियुक्तियां जहां की तहां रोक दी। इससे अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली है।
सरकार ने चयन का एक मानक बदलने का संकेत दिया है। उम्मीद है कि अर्हता में भी अब संशोधन होगा।
प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता माध्यमिक शिक्षा परिषद तय करता है। उसका अनुपालन अशासकीय कालेजों के साथ ही राजकीय कालेजों की नियुक्तियों में करने के स्पष्ट आदेश हैं। पिछले वर्ष शासन ने राजकीय कालेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्तियां करने का आदेश दिया। इसमें कई विषयों की अर्हता बदली गई साथ ही एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती मंडल के बजाय राज्य स्तर पर कराने के लिए नियमावली में भी बदलाव हुआ। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में पहली बार 1548 कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्तियां करने का भी एलान हुआ। यह भर्ती मेरिट के आधार पर होनी थी। शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए ऑनलाइन आवेदन तक ले लिए हैं। इस भर्ती में शिक्षा विभाग के अफसरों ने कंप्यूटर शिक्षकों की अर्हता में भी बदलाव कर दिया।
दरअसल यूपी बोर्ड के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा 25 जून 2001 को लागू हुई। उस समय कक्षा 11 व 12 और कक्षा 9 व 10 के शिक्षकों की अर्हता भी तय हुई। विभाग ने भले ही राजकीय, अशासकीय कालेजों में कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पद सृजन नहीं किया, लेकिन संविदा, अंशकालिक या फिर कालेज प्रबंधन के ठेके पर किस योग्यता का व्यक्ति किस कक्षा में पढ़ाएगा यह परिषद ने तय किया था। इसमें कंप्यूटर विज्ञान में एमटेक, बीटेक, एमएससी, पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर अप्लीकेशन व बीएससी कंप्यूटर विज्ञान आदि डिग्रियां अर्ह की गई। परिषद ने स्पष्ट किया कि उक्त विषय की योग्यता वालों में से यदि किसी ने बीएड किया है तो उसे वरीयता दी जाएगी। पिछले साल राजकीय कालेजों में कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति में अफसरों ने उक्त विषयों के साथ ही बीएड को अनिवार्य कर दिया। इससे अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी रही। उनका कहना था कि तकनीकी योग्यता वालों के लिए बीएड अनिवार्य नहीं होना चाहिए। अफसरों ने इसमें किसी की एक न सुनी और माध्यमिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया कि वह राजकीय कालेजों की अर्हता की तर्ज पर अपने यहां तय अर्हता में बदलाव कर दें। परिषद सचिव शैल यादव इस तर्क से सहमत नहीं हुई। उनका कहना है कि कंप्यूटर शिक्षा, खेल, संगीत जैसे विषय के शिक्षकों के लिए बीएड अनिवार्य नहीं हो सकता। सरकार ने जिस तरह से एलटी ग्रेड भर्ती मेरिट के बजाय लिखित परीक्षा से कराने का संकेत दिया है, अब अर्हता बदलने की उम्मीद है।
राजकीय कालेज में कंप्यूटर शिक्षक की बीएड अनिवार्यता प्रकरण
माध्यमिक शिक्षा परिषद की अर्हता में बीएड को वरीयता देने का निर्देश
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सरकार ने चयन का एक मानक बदलने का संकेत दिया है। उम्मीद है कि अर्हता में भी अब संशोधन होगा।
प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हता माध्यमिक शिक्षा परिषद तय करता है। उसका अनुपालन अशासकीय कालेजों के साथ ही राजकीय कालेजों की नियुक्तियों में करने के स्पष्ट आदेश हैं। पिछले वर्ष शासन ने राजकीय कालेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्तियां करने का आदेश दिया। इसमें कई विषयों की अर्हता बदली गई साथ ही एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती मंडल के बजाय राज्य स्तर पर कराने के लिए नियमावली में भी बदलाव हुआ। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में पहली बार 1548 कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्तियां करने का भी एलान हुआ। यह भर्ती मेरिट के आधार पर होनी थी। शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए ऑनलाइन आवेदन तक ले लिए हैं। इस भर्ती में शिक्षा विभाग के अफसरों ने कंप्यूटर शिक्षकों की अर्हता में भी बदलाव कर दिया।
दरअसल यूपी बोर्ड के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा 25 जून 2001 को लागू हुई। उस समय कक्षा 11 व 12 और कक्षा 9 व 10 के शिक्षकों की अर्हता भी तय हुई। विभाग ने भले ही राजकीय, अशासकीय कालेजों में कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पद सृजन नहीं किया, लेकिन संविदा, अंशकालिक या फिर कालेज प्रबंधन के ठेके पर किस योग्यता का व्यक्ति किस कक्षा में पढ़ाएगा यह परिषद ने तय किया था। इसमें कंप्यूटर विज्ञान में एमटेक, बीटेक, एमएससी, पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर अप्लीकेशन व बीएससी कंप्यूटर विज्ञान आदि डिग्रियां अर्ह की गई। परिषद ने स्पष्ट किया कि उक्त विषय की योग्यता वालों में से यदि किसी ने बीएड किया है तो उसे वरीयता दी जाएगी। पिछले साल राजकीय कालेजों में कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति में अफसरों ने उक्त विषयों के साथ ही बीएड को अनिवार्य कर दिया। इससे अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी रही। उनका कहना था कि तकनीकी योग्यता वालों के लिए बीएड अनिवार्य नहीं होना चाहिए। अफसरों ने इसमें किसी की एक न सुनी और माध्यमिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया कि वह राजकीय कालेजों की अर्हता की तर्ज पर अपने यहां तय अर्हता में बदलाव कर दें। परिषद सचिव शैल यादव इस तर्क से सहमत नहीं हुई। उनका कहना है कि कंप्यूटर शिक्षा, खेल, संगीत जैसे विषय के शिक्षकों के लिए बीएड अनिवार्य नहीं हो सकता। सरकार ने जिस तरह से एलटी ग्रेड भर्ती मेरिट के बजाय लिखित परीक्षा से कराने का संकेत दिया है, अब अर्हता बदलने की उम्मीद है।
राजकीय कालेज में कंप्यूटर शिक्षक की बीएड अनिवार्यता प्रकरण
माध्यमिक शिक्षा परिषद की अर्हता में बीएड को वरीयता देने का निर्देश
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