लखनऊ : बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की ओर से मातहतों को सख्त हिदायत दी गई है। हर स्तर पर सार्थक प्रयास कर सुधार किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
मगर बेसिक शिक्षा विभाग के हाल ठीक उलट हैं। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी विभाग की लापरवाही परत दर परत सामने आ रही है। पहले दाखिला सूची में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी फिर दूसरी सूची जारी किए जाने में हीलाहवाली किया जाना, इसी को दर्शाता है।
मालूम हो कि आरटीई की पहली सूची 25 अप्रैल को जारी की गई थी। इसमें करीब 2600 छात्रों के नाम शामिल थे। एनआइसी द्वारा लाटरी के जरिए जारी की गई दाखिला सूची में तमाम गड़बड़ी उजागर हुई। आरटीई के तहत बच्चों को एक किमी के दायरे में आने वाले स्कूल एलॉट किए जाने थे। मगर सूची में बच्चों को 8 से 10 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में दाखिला लेने के लिए भेज दिया गया। जिसका सीधा खामियाजा अभिभावकों को उठाना पड़ा। अभिभावकों ने मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी से की। जब सूची की पड़ताल हुई तो ऐसे करीब 600 मामले सामने आए, जिसके बाद विभाग ने अपनी इस लापरवाही पर पर्दा डालना शुरू कर दिया।
अभिभावकों का दबाव पड़ने व मामला गले की फांस बनता देख विभाग ने जल्द संशोधित सूची जारी करने का दम भरा। विभाग द्वारा करीब तीन सप्ताह बीतने के बाद संशोधित सूची जारी नहीं की गई। अधिकारियों की दलील रही कि 15 मई को जारी होने वाली दूसरी सूची के साथ ही संशोधित सूची जारी की जाएगा। मगर 20 मई बीत जाने के बाद भी विभाग द्वारा न तो संशोधित सूची जारी की गई, न ही आरटीई की दूसरी सूची।
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मगर बेसिक शिक्षा विभाग के हाल ठीक उलट हैं। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी विभाग की लापरवाही परत दर परत सामने आ रही है। पहले दाखिला सूची में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी फिर दूसरी सूची जारी किए जाने में हीलाहवाली किया जाना, इसी को दर्शाता है।
मालूम हो कि आरटीई की पहली सूची 25 अप्रैल को जारी की गई थी। इसमें करीब 2600 छात्रों के नाम शामिल थे। एनआइसी द्वारा लाटरी के जरिए जारी की गई दाखिला सूची में तमाम गड़बड़ी उजागर हुई। आरटीई के तहत बच्चों को एक किमी के दायरे में आने वाले स्कूल एलॉट किए जाने थे। मगर सूची में बच्चों को 8 से 10 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में दाखिला लेने के लिए भेज दिया गया। जिसका सीधा खामियाजा अभिभावकों को उठाना पड़ा। अभिभावकों ने मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी से की। जब सूची की पड़ताल हुई तो ऐसे करीब 600 मामले सामने आए, जिसके बाद विभाग ने अपनी इस लापरवाही पर पर्दा डालना शुरू कर दिया।
अभिभावकों का दबाव पड़ने व मामला गले की फांस बनता देख विभाग ने जल्द संशोधित सूची जारी करने का दम भरा। विभाग द्वारा करीब तीन सप्ताह बीतने के बाद संशोधित सूची जारी नहीं की गई। अधिकारियों की दलील रही कि 15 मई को जारी होने वाली दूसरी सूची के साथ ही संशोधित सूची जारी की जाएगा। मगर 20 मई बीत जाने के बाद भी विभाग द्वारा न तो संशोधित सूची जारी की गई, न ही आरटीई की दूसरी सूची।
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