यूपी बजट: क्या विकास का वादा पूरा कर पाएंगे योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का पहला बजट पेश हो गया है. बजट में मुख्यमंत्री कर्मयोगी की छाप छोड़ने में विफल रहे. प्रदेश के प्रशासन और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में भी मुख्यमंत्री विफल ही रहे हैं.
योगी सरकार के पहले बजट में आगामी पांच सालों के लिए 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य रखा गया है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है.
योगी सरकार का टारगेट 5 साल में 70 लाख रोजगार और स्वरोजगार पैदा करने का है. पांच साल में 2 लाख पुलिस कर्मियों की भर्ती की जाएगी. इस साल 33 हजार पुलिस कर्मी भर्ती किए जाएंगे. योगी का पहला बजट राष्ट्रीय मीडिया में कोई विशेष धमक पैदा नहीं कर पाया है.
कर्ज माफी का वादा पूरा
उत्तर प्रदेश में रिवाज है कि हर बजट को सबसे बड़ा बजट बताया जाता है. इस बार भी कोई अपवाद नहीं है. साल 2017-18 के पेश बजट में कुल खर्च अनुमान 3 लाख 84 करोड़ रुपए है और कुल राजस्व प्राप्ति का अनुमान 3 लाख 77 हजार करोड़ रुपए का है. बजट घाटे का अनुमान 42 हजार 967 करोड़ रुपए है. प्रधानमंत्री मोदी के किसान कर्ज काफी के वादे को पूरा करने के लिए पहली कैबिनेट मीटिंग में कर्ज माफी पर सरकारी मोहर लगाई गई थी. अब इसे अमली जामा पहनाने के लिए बजट में 36 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
केवल 19 हजार करोड़ की नई योजनाएं
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के अनुसार तकरीबन 55 हजार करोड़ रुपए की नई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक कल्याण योजनाएं आदि शामिल हैं. टाइम्स आॅफ इंडिया के अनुसार यदि 55 हजार करोड़ रुपए में से 36 हजार करोड़ रुपए किसानों की कर्ज माफी के लिए है तो इसे घटना देने पर 19 हजार करोड़ रुपए में सारी नई परियोजनाएं समा गई हैं.
प्रधानमंत्री योजनाओं का पूरा ख्याल
योगी सरकार का पहला बजट केंद्र सरकार का पूरक बजट ज्यादा नजर आता है. प्रधानमंत्री मोदी के सबसे पसंदीदा कार्यक्रम स्वच्छ भारत अभियान के लिए प्रावधान दोगुना से ज्यादा 3255 करोड़ रुपए कर दिया गया है. प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपए, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए साढ़े चार हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
मलिन बस्तियों के विकास के लिए 385 करोड़ रुपए रखे गए हैं. प्रधानमंत्री सड़क योजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में है. स्वच्छ भारत (शहर )के लिए अलग से एक हजार करोड़ रुपए दिए गए है. स्मार्ट सिटी मिशन के लिए 1500 करोड़ रुपए, केंद्र की शहरीकरण योजना (AMRUT) को दो हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 2908 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए दिए गए हैं.प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए 112 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
धार्मिक पर्यटन को सर्वाधिक आवंटन
केंद्र सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के विशेष कार्यक्रम स्वदेशी दर्शन और प्रसाद में आवंटन सर्वाधिक बढ़ाया गया है. स्वदेश दर्शन के तहत वाराणसी में बौदृ सर्किट, अयोध्या में रामायण सर्किट और मथुरा में कृष्ण सर्किट के लिए 1200 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान है.
अखिलेश सरकार के पिछले बजट में इसके लिए महज 34 करोड़ रुपए का प्रावधान था यानी 30 गुना से ज्यादा आवंटन में बढ़ोतरी. प्रसाद योजना के तहत अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में अवसंरचना विकास के लिए 800 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
अयोध्या में सावन झूला, गोरखपुर में मल्हार और मथुरा में गीता शोध के लिए 40 करोड़ रुपए का प्रावधान अलग है. वाराणसी में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए 200 करोड़ रुपए दिए गए हैं. कैलाश मान सरोवर के प्रति यात्री को एक लाख रुपए अनुदान की भी घोषणा बजट में है.
दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह
संघ के विचारक और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय का इस साल जन्म शताब्दी है. राज्य सरकार बड़े स्तर पर यह जन्म शताब्दी समारोह मनाएगी. इसके लिए बजट में विशेष घोषणाएं की गई हैं.
मथुरा स्थित उनकी जन्म स्थली नगला चंद्रभान के विकास के लिए 5 करोड़ रुपए बजट में दिए गए हैं. राज्य के विश्वविद्यालयों में दीनदयाल पीठ की स्थापना के लिए 9 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
दीन दयाल ज्योति योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान योगी सरकार ने किया है. दीन दयाल नगर विकास के लिए 300 करोड़ रुपए रखे गए हैं. प्रदेश में पिछड़े ब्लाकों में 166 दीन दयाल उपाध्याय मॉडल राजकीय इंटर कॉलेज खोले जायेंगे. इसके लिए 25 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
इस बजट में अखिलेश सरकार की लोहिया आवास योजना, समाजवादी पेंशन योजना, लैपटॉप, कन्या विद्याधन आदि का उललेख नहीं है. अखिलेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोग्राम साइकिल ट्रैक को तोड़ने की घोषणा योगी सरकार कर चुकी है. पर इसपर कितना धन खर्च होगा, इसका कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं हैं.
शिक्षा पर आवंटन अपर्याप्त
प्रधानमंत्री योजनाओं और धार्मिक कार्यक्रम पर दोगुने से ज्यादा आवंटन बढ़ाया गया है, पर शिक्षा खर्च में यह बढ़ोतरी महज 19 फीसदी है. प्राइमरी विद्यार्थियों की खाकी यूनिफार्म मुख्यमंत्री को पसंद नहीं थी.
अब यूनिफार्म बदल दी गई है. प्राइमरी छात्र-छात्राओं को फ्री यूनिफार्म उपलब्ध कराने के लिए तकरीबन 124 करोड़ रुपए बजट में दिए गए हैं. इसके अलावा एक जोड़ी जूते, दो जोड़ी मौजे और एक स्वेटर भी इनको फ्री दिया जाएगा.
इसके लिए 300 करोड़ रुपए दिए गए हैं. फ्री में स्कूल बैग देने के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान हैं.अनुमान है कि फ्री स्कूल बैग, किताबों, यूनिफार्म, जूतों मौजों और स्वेटर पर तकरीबन 2560 रुपए का खर्च आएगा. उत्तर प्रदेश में एक लाख से ज्यादा सरकारी प्राइमरी स्कूलों और 45 हजार से ज्यादा उच्च प्राइमरी स्कूलों में 1.85 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं. पर यह फ्री सुविधाएं गरीब छात्र-छात्राओं को ही दी जाएंगी. इस लिहाज से ए आवंटन कम हैं. अब गरीब छात्र की व्याख्या पर काफी कुछ निर्भर है.
प्राइमरी शिक्षा की जर्जर हालात
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षा बहुत जर्जर है. उत्तर प्रदेश में शिक्षक-विद्यार्थी का अनुपात प्राइमरी शिक्षा में 30:1 का है, जो जबकि देश में यह अनुपात 23:1 है. ‘इंडिया स्पेंड’ की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण प्राइमरी स्कूलों में औसत 31 फीसदी शिक्षक गैर हाजिर रहते हैं.
राज्य में1,76,000 प्राइमरी शिक्षकों की कमी है. प्राइमरी स्कूलों में नियमित छात्रों का प्रतिशत 55 है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहद कम है. प्राइमरी शिक्षा का स्तर निम्न है. गणित शिक्षा में बच्चे लगातार पिछड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षा का त्रासदपूर्ण तथ्य यह है कि देश में प्राइमरी शिक्षा से उच्च प्राइमरी शिक्षा जाने वाले विद्यार्थी के मसले पर उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर खड़ा है.
100 में से तकरीबन 80 फीसदी बच्चे प्राइमरी से उच्च प्राइमरी में जाते हैं. बाल अधिकार रक्षा कमीशन के अनुसार उत्तर प्रदेश तकरीबन 8.4 फीसदी बच्चे पढ़ने की बजाए काम पर जाते हैं. पर प्राइमरी शिक्षा को सुधारने को कोई कोशिश अब तक योगी सरकार ने नहीं की है. लगभग यही हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है. यद्यपि कई नए मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा बजट में की गई है. इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बताई गई है.
बुंदेलखंड और पूर्वांचल के लिए विशेष पैकेज नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्र से बुंदेलखंड और पूर्वांचल जैसे विशेष पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज की मांग जोर-शोर से कर चुके हैं. पर उनके पहले बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है.
बजट में इन विशेष पिछड़े क्षेत्रों के लिए छिट-पुट घोषणाएं हैं, लेकिन उनसे इन क्षेत्रों की पतली आर्थिक हालात सुधरने की गुजाइंश न के बराबर है. बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस हाइवे की घोषणाएं मुख्यमंत्री योगी ने काफी धूमधाम से की थीं, पर बजट में इनके लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.
अब भी खड्डे भरेगी योगी सरकार
योगी सरकार ने पिछले 15 जून तक प्रदेश की सड़कों को खड्डा मुक्त बनाने की घोषणा की थी, पर इसे पूरा करने में विफल ही रही. अब बजट में सड़कों को खड्डा मुक्त बनाने के लिए तकरीबन 4000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.
यह स्वयं में योगी सरकार की विफलता पर बड़ी टिप्पणी है. राज्य में जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़कों के चौड़ी करण (4 लेन) के लिए592 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान है जो उंट के मुंह में जीरा है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने समयबद्ध पांच वादे किए थे, लेकिन उनमें एक भी अपनी समय सीमा में पूरा नहीं हुआ है. इनमें आगनबाड़ी कर्मियोंके मानदेय, गन्ना बकाया, शिक्षा मित्रों, पैरोल पर फरार अपराधियों का मसला अब भी बरकरार है, जिन्हें 45 से 120 दिन में अंदर पूरा करना था.
छाप छोड़ने में विफल मुख्यमंत्री
निर्विवाद रूप से 2007 में मायावती और 2012 में अखिलेश सरकार शुरू के 100 दिनों में अपनी स्पष्ट छाप छोड़ने में सफल रही थी. 100 दिनों में ही मायावती का कड़क प्रशासन दिखाई देने लगा था.
अखिलेश सरकार ने 100 दिनों में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस हाइवे, प्रदेश में 10 लाख बेरोजगारों को 1000 रुपए का भत्ता और छात्रों को फ्री लैपटाप बांटने की घोषणा कर जनता पर स्पष्ट छाप छोड़ी थी.
यह भी सच है कि अखिलेश सरकार के शुरू के 100 दिनों में कानून व्यवस्था की स्थिति दयनीय हो गई थी. सपा कार्यकत्ताओं का उत्पात भी भयावह रूप में शुरू हो गया था.
मुख्यमंत्री योगी से पूरी उम्मीद थी कि बेहद खराब कानून व्यवस्था, बढ़ते अपराधों और नेताओं के उत्पात से प्रदेश को मुक्ति दिला देंगे. लेकिन योगी सरकार के 100 दिन पूरे हो जाने के बाद भी सुधार के कोई संकेत नहीं है.
बीजेपी नेताओं के हुड़दंग पर कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर योगी सरकार की छवि धरातल पर है. बजट में मुख्यमंत्री योगी की कोई मौलिक छाप महसूस नहीं होती है.
पीड़ितों के घर जाते समय उनके शाही आवभगत के किस्से ज्यादा चर्चित हो रहे हैं. जबकि प्रदेश को वीआईपी कल्चर से मुक्त करने की घोषणा मुख्यमंत्री योगी ने की थी. मुख्यमंत्री योगी अपने मंत्रियों को भी काबू में नहीं रख पा रहे हैं. आए दिन उनके मंत्रियों के विवादास्पद और विरोधभासी बयानों से योगी सरकार घिरी नजर आती है.
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Breaking News This week