वोट बैंक की राजनीति का दिखा शिक्षामित्रों पर असर ,सुप्रीम कोर्ट की जिस गेंद पर क्लीन बोल्ड हुये शिक्षामित्र
दरअसल वो थी नोबॉल अब फ़्री हिट का लाभ देगी योगी सरकार ।
हम भारत गणराज्य के स्वतंत्र नागरिक हैं ।जहाँ के संविधान में न्यायपालिका को सर्वोच्च माना गया है । इसमें कोई शक नहीं परन्तु इसके आदेशों पर भी यदि वैकल्पिक व्यवस्था को लागू कर दिया जाय तो शायद इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाना चाहिये । जैसा कि अभी हाल ही में शिक्षामित्रों के प्रकरण में जिस प्रकार से देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद उ.प्र. की शिक्षा व्यवस्था में भूचाल सा आ गया था ।
राज्य की योगी सरकार के मंत्री ,विधायक आदि सभी शिक्षामित्रों की आवभगत करते हुये देखे गये ।जबकि न्यायालय के आदेशानुसार कुछ मानक तय किये गये । जिन्हें समग्र रूप से लागू करने, न करने का उत्तरदायित्व राज्य की योगी पर डाल दिया गया । योगी सरकार द्वारा शायद राजनीतिक लाभ के कारण ही न्यायालय के द्वारा अयोग्य घोषित शिक्षामित्रों की माँगों को मानने पर सहमति व्यक्त की ।
शिक्षा मित्रो की लगभग सभी मांग मान ली गयी है 1 = 2 साल के अंदर 5- 6 tet 2 = प्रतिवर्ष अनुभव के आधार पर 4 अंक ( यानि 17× 4 =68 अंक और 10, 12, स्नातक के अंक जुड़ेंगे ही , मतलब मेरिट पे सेलेक्शन तय) 3 = जबतक स्थाई जॉइनिंग नही होती तबतक 20000 ₹ प्रति माह योगी जी ये बताओ इन गंवार, अनपढो को इतना छुट दे रहे आख़िर क्यू ?? इनकी #भीड़तंत्र से डर गए आप ?? चइत्ता सारा कंडीशन लगा रखा है इन्होंने और आप हर वो शर्त मान रहे और टेट पास बीएड ,
बीटीसी अभ्यर्थी सिर्फ #वैकेंसी निकालने की मांग कर रहें , ये नही हो पा रहा आपसे ,क्यों ? जैसे अनपढ़ गंवार शिक्षामित्र है वैसे ही #बीजेपी वाक़ई इसमें कोई संदेह नही । अगर सरकार पढ़ी लिखी होती तो आज अनपढो को 20000 फ़्री का और बीएड, बीटीसी , टेट पास को बेरोजगार और #कुंठित बनाकर हज़ार रुपये का भी मोहताज नही करती । डिग्री वाले 2000 पे प्राइवेट काम करें और ये 12वीं पास शिक्षा मित्र 20000 ₹ कमाएं लानत है ऐसी सरकार पर जो योग्यता को दरकिनार करते हुये अयोग्य लोगो का साथ दे रही है। क्या यही है भारतीय की वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति !
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दरअसल वो थी नोबॉल अब फ़्री हिट का लाभ देगी योगी सरकार ।
हम भारत गणराज्य के स्वतंत्र नागरिक हैं ।जहाँ के संविधान में न्यायपालिका को सर्वोच्च माना गया है । इसमें कोई शक नहीं परन्तु इसके आदेशों पर भी यदि वैकल्पिक व्यवस्था को लागू कर दिया जाय तो शायद इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाना चाहिये । जैसा कि अभी हाल ही में शिक्षामित्रों के प्रकरण में जिस प्रकार से देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद उ.प्र. की शिक्षा व्यवस्था में भूचाल सा आ गया था ।
राज्य की योगी सरकार के मंत्री ,विधायक आदि सभी शिक्षामित्रों की आवभगत करते हुये देखे गये ।जबकि न्यायालय के आदेशानुसार कुछ मानक तय किये गये । जिन्हें समग्र रूप से लागू करने, न करने का उत्तरदायित्व राज्य की योगी पर डाल दिया गया । योगी सरकार द्वारा शायद राजनीतिक लाभ के कारण ही न्यायालय के द्वारा अयोग्य घोषित शिक्षामित्रों की माँगों को मानने पर सहमति व्यक्त की ।
शिक्षा मित्रो की लगभग सभी मांग मान ली गयी है 1 = 2 साल के अंदर 5- 6 tet 2 = प्रतिवर्ष अनुभव के आधार पर 4 अंक ( यानि 17× 4 =68 अंक और 10, 12, स्नातक के अंक जुड़ेंगे ही , मतलब मेरिट पे सेलेक्शन तय) 3 = जबतक स्थाई जॉइनिंग नही होती तबतक 20000 ₹ प्रति माह योगी जी ये बताओ इन गंवार, अनपढो को इतना छुट दे रहे आख़िर क्यू ?? इनकी #भीड़तंत्र से डर गए आप ?? चइत्ता सारा कंडीशन लगा रखा है इन्होंने और आप हर वो शर्त मान रहे और टेट पास बीएड ,
बीटीसी अभ्यर्थी सिर्फ #वैकेंसी निकालने की मांग कर रहें , ये नही हो पा रहा आपसे ,क्यों ? जैसे अनपढ़ गंवार शिक्षामित्र है वैसे ही #बीजेपी वाक़ई इसमें कोई संदेह नही । अगर सरकार पढ़ी लिखी होती तो आज अनपढो को 20000 फ़्री का और बीएड, बीटीसी , टेट पास को बेरोजगार और #कुंठित बनाकर हज़ार रुपये का भी मोहताज नही करती । डिग्री वाले 2000 पे प्राइवेट काम करें और ये 12वीं पास शिक्षा मित्र 20000 ₹ कमाएं लानत है ऐसी सरकार पर जो योग्यता को दरकिनार करते हुये अयोग्य लोगो का साथ दे रही है। क्या यही है भारतीय की वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति !
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