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प्राइवेट स्कूलों में इन शिक्षकों की जा सकती है नौकरी, जानिए क्या हैं आदेश

प्राइवेट स्कूलों में बेसिक और जूनियर स्तर पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के लिए अब अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। टीईटी नहीं करने वाले शिक्षकों की नौकरी भी जा सकती है।
केंद्र सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में भी टीईटी को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने इस मामले में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश भेजे हैं। एमएचआरडी की संयुक्त सचिव अनिता कर्णवाल ने राज्य को भेजे पत्र में टीईटी को लेकर विस्तार से केंद्र सरकार की चिंता को जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि एनसीटीई ने 25 अगस्त 2010 को जारी नोटिफिकेशन में शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के बारे में स्पष्ट प्रावधान कर दिया था।
अप्रशिक्षित शिक्षकों के खिलाफ मुहिम
इससे पहले केंद्र सरकार अप्रशिक्षित शिक्षकों को लेकर बड़ी मुहिम शुरू कर चुकी है। बेसिक जूनियर स्तर के अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड की शैक्षिक योग्यता पूरा करने के लिए अंतिम बार दो साल का वक्त दिया जा रहा है। मार्च 2019 के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी।
आदेश के अनुसार बेसिक स्तर पर शिक्षक के लिए बेसिक शिक्षा में डिप्लोमा (डीएलएड) और टीईटी पास होना जरूरी है। प्राइवेट स्कूलों में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। प्राइवेट स्कूल इस व्यवस्था को केवल सरकारी स्कूलों के लिए मानकर चल रहे हैं। जबकि, ये नियम सरकारी, सहायता प्राप्त और प्राइवेट, हर श्रेणी के स्कूल के लिए लागू है। यदि किसी स्कूल में मानक पूरे न करने वाले शिक्षक नियुक्त हों तो उनके खिलाफ शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) के तहत कार्रवाई की जाए। शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के अफसरों को इस मामले में कार्रवाई शुरू करने को कहा है।
आरटीई में शिक्षकों की योग्यता के मानक तय
एपीडी-एसएसए डॉ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत शिक्षक की योग्यता का मानक तय है। ये सरकारी और प्राइवेट सभी पर लागू है। केंद्र के निर्देश के अनुसार प्राइवेट स्कूलों को टीईटी के बाबत निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
निजी स्कूलों पर नकेल कसने को केंद्र सक्रिय
निजी स्कूलों में प्रवेश और फीस नियंत्रण को बन रहे कानून पर केंद्र ने गंभीरता दिखाई है। एमएचआरडी ने राज्यों ने उनके प्रस्तावित कानून का ब्योरा मांगा है। शिक्षा महानिदेशक कैप्टेन आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि केंद्र को सूचना दे दी गई है। अभी राज्य में कानून को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस कानून में नियम उल्लंघन अपराध की श्रेणी में लाया जा रहा है।
प्रस्तावित बिन्दु
हर स्कूल को शैक्षिक सत्र से पहले सार्वजनिक करनी होगी फीस
घोषित फीस के अलावा दूसरा शुल्क नहीं लिया जा सकेगा
रीएडमिशन-कैपीटेशन फीस और काशन मनी पर रहेगा पूर्ण प्रतिबंध
तीन साल तक फीस में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की जाएगी
सरकारी के समान ही निजी स्कूलों का भी नियमित निरीक्षण होगा
इस कानून का उल्लंघन करने पर संचालक को मिलेगी कड़ी सजा
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