सीतापुर हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी कर 10 डीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने के मामले में शासन ने कार्रवाई की है। दोषी पाए गए डायट प्राचार्य सीतापुर अशोक कुमार, तत्कालीन बीएसए राजेंद्र सिंह (वर्तमान तैनाती
रायबरेली डायट) व पन्ना राम (विभागीय कार्यालय लखनऊ में संबद्ध) को शासन ने निलंबित कर दिया है। इन तीनों अफसरों को निलंबन अवधि में शिक्षा निदेशक के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। अभी कुछ बीईओ व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
सितंबर 2016 में 16448 सहायक भर्ती अध्यापकों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसमें डीएड अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था। भर्ती को लेकर कुछ डीएड अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। उनका प्रकरण विचाराधीन होने के कारण हाईकोर्ट ने नियुक्ति पत्र न जारी करने के आदेश दिए थे। ये वे डीएड अभ्यर्थी थे, जिनका चयन मेरिट में हो गया था। सीतापुर में चयन समिति ने हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी कर अभ्यर्थियों को न केवल नियुक्ति पत्र जारी कर दिया बल्कि विद्यालय भी आवंटित कर दिया। गड़बडी का खुलासा दैनिक जागरण ने 11 जून के अंक में किया था। खबर प्रकाशित होने के बाद मामले की जांच शुरू हुई। तत्कालीन मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक महेंद्र सिंह राणा ने सीतापुर आकर अभिलेख तलब किए और प्रकरण की जांच की। जांच में समिति को दोषी ठहराते हुए रिपोर्ट निदेशक को भेज दी थी।
पहले लिपिक पर गिरी थी गाज: तत्कालीन बीएसए पन्ना राम ने मामले में प्रथमदृष्टया लिपिक नवल किशोर को दोषी पाकर निलंबित कर दिया था। इस मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई न होने से आहत लिपिक ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने निदेशक को तलब कर लिया था।
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रायबरेली डायट) व पन्ना राम (विभागीय कार्यालय लखनऊ में संबद्ध) को शासन ने निलंबित कर दिया है। इन तीनों अफसरों को निलंबन अवधि में शिक्षा निदेशक के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। अभी कुछ बीईओ व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
सितंबर 2016 में 16448 सहायक भर्ती अध्यापकों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसमें डीएड अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था। भर्ती को लेकर कुछ डीएड अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। उनका प्रकरण विचाराधीन होने के कारण हाईकोर्ट ने नियुक्ति पत्र न जारी करने के आदेश दिए थे। ये वे डीएड अभ्यर्थी थे, जिनका चयन मेरिट में हो गया था। सीतापुर में चयन समिति ने हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी कर अभ्यर्थियों को न केवल नियुक्ति पत्र जारी कर दिया बल्कि विद्यालय भी आवंटित कर दिया। गड़बडी का खुलासा दैनिक जागरण ने 11 जून के अंक में किया था। खबर प्रकाशित होने के बाद मामले की जांच शुरू हुई। तत्कालीन मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक महेंद्र सिंह राणा ने सीतापुर आकर अभिलेख तलब किए और प्रकरण की जांच की। जांच में समिति को दोषी ठहराते हुए रिपोर्ट निदेशक को भेज दी थी।
पहले लिपिक पर गिरी थी गाज: तत्कालीन बीएसए पन्ना राम ने मामले में प्रथमदृष्टया लिपिक नवल किशोर को दोषी पाकर निलंबित कर दिया था। इस मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई न होने से आहत लिपिक ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने निदेशक को तलब कर लिया था।
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