इलाहाबाद : प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक व महाविद्यालयों में शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया ठप हो गई है। दोनों आयोगों के अध्यक्ष व सदस्यों के इस्तीफे के बाद रुटीन सरकारी कामकाज ही हो रहा है।
दोनों को शासन के अगले कदम का है। शासन भी नए आयोग गठन की ड्राफ्ट कमेटी का गठन व नए अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता आदि तय करने के बाद कोई गतिविधि नहीं हो रही है। 1सूबे के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक चयन करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में 2011 प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक विषयों के परिणाम लंबित हैं और उनका साक्षात्कार करके रिजल्ट घोषित करना है। साथ ही 2016 की लिखित परीक्षा कराई जानी हैं। अशासकीय महाविद्यालयों के भी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र में 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में नौ विषयों का साक्षात्कार लंबित हैं और नई भर्तियों के लिए निकले विज्ञापन के तहत परीक्षा करानी है। यह सारी प्रक्रिया फिलहाल ठप पड़ी है, क्योंकि शासन ने दोनों आयोगों का विलय कराकर नया आयोग गठित करने को कहा है। ऐसे में दोनों के अध्यक्ष व सदस्य त्यागपत्र भी दे चुके हैं, अब केवल सचिव व अन्य कार्यालय स्टॉफ रोजमर्रा के काम कर रहा है। नए निर्देशों का हर कोई कर रहा है। उधर, शासन ने नए आयोग गठन के लिए ड्राफ्ट कमेटी और उसकी मॉनीटरिंग के लिए शासन में एक कमेटी बनाई थी, उसकी भी दो-तीन बैठकें हुई, जिसमें नए आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता पर चर्चा की गई है। उसे अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है और न ही दोनों आयोगों के विलय का प्रस्ताव ही बन पाया है। इससे उहापोह का माहौल है। इस बीच चयन बोर्ड की पुरानी गड़बड़ियों के प्रकरण रह-रहकर सामने आ रहे हैं।
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दोनों को शासन के अगले कदम का है। शासन भी नए आयोग गठन की ड्राफ्ट कमेटी का गठन व नए अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता आदि तय करने के बाद कोई गतिविधि नहीं हो रही है। 1सूबे के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक चयन करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में 2011 प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक विषयों के परिणाम लंबित हैं और उनका साक्षात्कार करके रिजल्ट घोषित करना है। साथ ही 2016 की लिखित परीक्षा कराई जानी हैं। अशासकीय महाविद्यालयों के भी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र में 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में नौ विषयों का साक्षात्कार लंबित हैं और नई भर्तियों के लिए निकले विज्ञापन के तहत परीक्षा करानी है। यह सारी प्रक्रिया फिलहाल ठप पड़ी है, क्योंकि शासन ने दोनों आयोगों का विलय कराकर नया आयोग गठित करने को कहा है। ऐसे में दोनों के अध्यक्ष व सदस्य त्यागपत्र भी दे चुके हैं, अब केवल सचिव व अन्य कार्यालय स्टॉफ रोजमर्रा के काम कर रहा है। नए निर्देशों का हर कोई कर रहा है। उधर, शासन ने नए आयोग गठन के लिए ड्राफ्ट कमेटी और उसकी मॉनीटरिंग के लिए शासन में एक कमेटी बनाई थी, उसकी भी दो-तीन बैठकें हुई, जिसमें नए आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता पर चर्चा की गई है। उसे अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है और न ही दोनों आयोगों के विलय का प्रस्ताव ही बन पाया है। इससे उहापोह का माहौल है। इस बीच चयन बोर्ड की पुरानी गड़बड़ियों के प्रकरण रह-रहकर सामने आ रहे हैं।
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