इलाहाबाद : कान्वेंट स्कूलों की तरफ अभिभावकों के बढ़ते रुझान से फिक्रमंद बेसिक शिक्षा परिषद, अपने स्कूलों की दशा और दिशा को सुधारने में जुटा है। परिषदीय विद्यालयों में ग्राम शिक्षा समितियों और अभिभावकों से बेहतर तालमेल इस प्रयास को और भी मजबूती प्रदान कर सकता है।
विद्यालय प्रबंध समिति और ग्राम शिक्षा समिति यह दायित्व हालांकि पहले से निभा रही हैं लेकिन, इस बार सभी बेसिक शिक्षाधिकारी को भेजे गए निर्देश में अभिभावकों को भी पठन सहगामी गतिविधियों में शामिल करने को प्रमुखता दी गई है। सर्वशिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक की ओर से भेजे गए पत्र को निदेशक बेसिक शिक्षा डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी बीएसए को भेज कर निर्देशों से अवगत कराया है।
इस निर्देश के मुताबिक ग्राम शिक्षा समितियों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभिभावकों के साथ सरल भाषा में कक्षावार और विषयवार सीखने के प्रतिफल पर चर्चा की जाए। यह बताएं कि वे किस प्रकार अपने पाल्य को सीखने की जानकारी दें। बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों/उपलब्धियों को उनके अभिभावक से साझा किया जाए। जो माता-पिता शिक्षित हैं वे भी शैक्षिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए कक्षा में पढ़ाई और सुनाई गई कविता-कहानियों को पढ़कर बच्चों को सुनाएंगे।
अभिभावकों को भी इस बात के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा कि स्कूल में होने वाली दैनिक गतिविधियों के बारे में अपने पाल्यों से जानें और घर पर भी शैक्षणिक माहौल तैयार करें। शिक्षा को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने के भी निर्देश हैं जिससे कि अभिभावक भी शिक्षा के महत्व को भली भांति समझें .
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विद्यालय प्रबंध समिति और ग्राम शिक्षा समिति यह दायित्व हालांकि पहले से निभा रही हैं लेकिन, इस बार सभी बेसिक शिक्षाधिकारी को भेजे गए निर्देश में अभिभावकों को भी पठन सहगामी गतिविधियों में शामिल करने को प्रमुखता दी गई है। सर्वशिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक की ओर से भेजे गए पत्र को निदेशक बेसिक शिक्षा डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी बीएसए को भेज कर निर्देशों से अवगत कराया है।
इस निर्देश के मुताबिक ग्राम शिक्षा समितियों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभिभावकों के साथ सरल भाषा में कक्षावार और विषयवार सीखने के प्रतिफल पर चर्चा की जाए। यह बताएं कि वे किस प्रकार अपने पाल्य को सीखने की जानकारी दें। बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों/उपलब्धियों को उनके अभिभावक से साझा किया जाए। जो माता-पिता शिक्षित हैं वे भी शैक्षिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए कक्षा में पढ़ाई और सुनाई गई कविता-कहानियों को पढ़कर बच्चों को सुनाएंगे।
अभिभावकों को भी इस बात के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा कि स्कूल में होने वाली दैनिक गतिविधियों के बारे में अपने पाल्यों से जानें और घर पर भी शैक्षणिक माहौल तैयार करें। शिक्षा को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने के भी निर्देश हैं जिससे कि अभिभावक भी शिक्षा के महत्व को भली भांति समझें .
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