टीईटी 2017: पासिंग मार्क्स भी नहीं जुटा सके 92% से उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारी, खुली पोल

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) 2017 ने शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की हकीकत को आईना दिखा दिया है। शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य इस परीक्षा में सबसे खराब परिणाम बीएड डिग्रीधारियों का रहा। शुक्रवार को घोषित रिजल्ट में बीएड करने वाले 92 प्रतिशत अभ्यर्थी पास होने के योग्य 150 में से 90 नंबर नहीं जुटा सके।
प्राथमिक (कक्षा एक से पांच तक) एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों (कक्षा छह से आठ तक) के लिए दो कैटेगरी में टीईटी कराई जाती है। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में बीटीसी, उर्दू बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, डीएड, बीएलएड और मोअल्लिम-ए-उर्दू या समकक्ष उपाधिधारक शामिल हो सकते हैं। जबकि उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में बीटीसी के अलावा बीएड, बीएड (विशेष शिक्षा) या समकक्ष डिग्री हासिल करने वाले शामिल हो सकते हैं। उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में अधिकतर बीएड वाले ही आवेदन करते हैं। यूपी-टीईटी 2017 में उच्च प्राथमिक स्तर का परिणाम 7.87 प्रतिशत रहा। इसमें शामिल 5 लाख 31 हजार 712 अभ्यर्थियों में से महज 41हजार 888 पास हुए और 4 लाख 89 हजार 824 (92 प्रतिशत) कामयाबी का मुंह नहीं देख सके। प्राथमिक स्तर की परीक्षा का परिणाम 17.34 फीसदी रहा। इसमें सम्मिलित 2 लाख 76 हजार 636 अभ्यर्थियों में से 47 हजार 975 ही पास हो सके।स्पष्ट है कि 2 लाख 28 हजार 661 (83 प्रतिशत) बीटीसी करने वाले शिक्षक बनने के लिए आवश्यक योग्यता हासिल नहीं कर सके।

जानकार बीएड शिक्षा की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण प्रदेशभर में कुकुरमुत्ते की तरह खुले प्राइवेट कॉलेजों को मानते हैं। 1100 से अधिक संस्थानों में से 103 सरकारी और एक हजार से अधिक प्राइवेट कॉलेज हैं। जाहिर है कि सरकारी संस्थानों से 10 गुना अधिक प्राइवेट कॉलेज बीएड की पढ़ाई करा रहे हैं। टीईटी में असफल सबसे अधिक इन्हीं प्राइवेट कॉलेजों से निकले छात्र हैं।


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