लखीमपुर: शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण की सीमा पांच वर्ष से घटाकर
दो वर्ष करने की मांग को लेकर शिक्षक लामबंद हो गए हैं। शिक्षकों ने कहा
कि पूर्व में स्थानांतरण की सीमा तीन वर्ष थी, जिसे बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी
गई है। इसे लेकर जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश के शिक्षकों में रोष
व्याप्त है।
शिक्षकों का कहना है कि उनके गृह जनपदों में भी वर्तमान समय में पद रिक्त हैं। फिर यह बाध्यता क्यों। सरकार नए पदों पर भर्ती कर देगी फिर पांच या 10 वर्ष में भी पद रिक्त न होने की स्थिति में उनका स्थानांतरण न हो सकेगा।
अंतरजनपदीय स्थानांतरण की सीमा घटाने को लेकर जिले के शिक्षकों ने अपने शिक्षक संघ के पदाधिकारियों, क्षेत्रीय प्रतिनिधियों, विधायकों व सांसदों से इसके लिए समर्थन लेकर अपनी मांग को शासन तक पहुंचाने की मुहिम चला रखी है। इसी क्रम में शिक्षकों ने शनिवार को प्राथमिक शिक्षक संघ मितौली के अध्यक्ष होमेश्वर पांडेय को ज्ञापन सौंपा। इसके साथ ही कस्ता विधायक सौरभ ¨सह सोनू को भी शासन से मिलकर नियमावली में संशोधन करवाने की मांग की। शिक्षकों का कहना है कि अपने गृह जनपद से दूर शिक्षिकाएं अपने दुधमुंहे बच्चे को लेकर जहां अकेले रहने को मजबूर हैं, वहीं उनके नौनिहालों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कुछ शिक्षकों में पति-पत्नी दोनों शिक्षक हैं और अलग-अलग जनपदों में तैनात हैं, जिससे वह अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। जिससे उन्हें दोहरी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। इस दौरान सुधेश पांडेय, संजय ¨सह, अमरीष कुमार, अतुल तिवारी, वरूण श्रीवास्तव, देवेश बाजपेयी, महेंद्र वर्मा, आलोक वाजपेयी, विनोद कश्यप, अनिल ¨सह, नवल ¨सह समेत तमाम लोग मौजूद थे।
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शिक्षकों का कहना है कि उनके गृह जनपदों में भी वर्तमान समय में पद रिक्त हैं। फिर यह बाध्यता क्यों। सरकार नए पदों पर भर्ती कर देगी फिर पांच या 10 वर्ष में भी पद रिक्त न होने की स्थिति में उनका स्थानांतरण न हो सकेगा।
अंतरजनपदीय स्थानांतरण की सीमा घटाने को लेकर जिले के शिक्षकों ने अपने शिक्षक संघ के पदाधिकारियों, क्षेत्रीय प्रतिनिधियों, विधायकों व सांसदों से इसके लिए समर्थन लेकर अपनी मांग को शासन तक पहुंचाने की मुहिम चला रखी है। इसी क्रम में शिक्षकों ने शनिवार को प्राथमिक शिक्षक संघ मितौली के अध्यक्ष होमेश्वर पांडेय को ज्ञापन सौंपा। इसके साथ ही कस्ता विधायक सौरभ ¨सह सोनू को भी शासन से मिलकर नियमावली में संशोधन करवाने की मांग की। शिक्षकों का कहना है कि अपने गृह जनपद से दूर शिक्षिकाएं अपने दुधमुंहे बच्चे को लेकर जहां अकेले रहने को मजबूर हैं, वहीं उनके नौनिहालों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कुछ शिक्षकों में पति-पत्नी दोनों शिक्षक हैं और अलग-अलग जनपदों में तैनात हैं, जिससे वह अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। जिससे उन्हें दोहरी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। इस दौरान सुधेश पांडेय, संजय ¨सह, अमरीष कुमार, अतुल तिवारी, वरूण श्रीवास्तव, देवेश बाजपेयी, महेंद्र वर्मा, आलोक वाजपेयी, विनोद कश्यप, अनिल ¨सह, नवल ¨सह समेत तमाम लोग मौजूद थे।
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