बेरोज़गारी दूर करने को लेकर सरकार की नीति क्या?

रेलवे ने जब भर्ती निकाली तो उम्र सीमा दो-दो साल कम कर दी, जब हंगामा हुआ तो पहले की तरह बहाल कर दी गई. बदलाव ही करना है तो उसका एक तरीका है, उसका ऐलान दो साल पहले किया जाए.
चार-चार साल से नौजवान नौकरी की तैयारी कर रहे हैं और जब फार्म निकले तो उम्र से लेकर फीस के कारण बाहर कर दिए जाएं यह उचित नहीं है.
नौकरी सीरीज़ का 17वां अंक है. आख़िरकार भारतीय रेलवे को यह बात समझ में आ गई कि परीक्षा का शुल्क 500 रुपये रखने का कोई तुक नहीं था. अब फैसला हुआ है कि परीक्षा के बाद 400 रुपये वापस कर दिए जाएंगे. आरक्षित श्रेणी के छात्रों को भी 250 रुपये वापस कर दिए जाएंगे. जब आप आईएएस के इम्तहान का फार्म 100 रुपये में भर रहे हैं तो रेलवे के ग्रुप डी की परीक्षा का फार्म 500 रुपये में क्यों भरेंगे, बहरहाल रेलवे को यह बात समझ आ गई है. यह सटीक उदाहरण है कि परीक्षाओं को लेकर हमारी संस्थाएं कितनी गंभीर हैं. रेलवे ने जब भर्ती निकाली तो उम्र सीमा दो-दो साल कम कर दी, जब हंगामा हुआ तो पहले की तरह बहाल कर दी गई. बदलाव ही करना है तो उसका एक तरीका है, उसका ऐलान दो साल पहले किया जाए. चार-चार साल से नौजवान नौकरी की तैयारी कर रहे हैं और जब फार्म निकले तो उम्र से लेकर फीस के कारण बाहर कर दिए जाएं यह उचित नहीं है. यही नहीं, दूसरी भारतीय भाषाओं को बाहर कर दिया गया जिसे अब फिर से बहाल किया गया है. तो आपने देखा कि बहाली निकालने का श्रेय लेने में रेलवे महकमा इतना मशरूफ हो गया उसे परीक्षा की तीन तीन शर्तों को बीच रास्ते में बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अभी भी देखिए फीस को लेकर क्या फैसला हुआ है. परीक्षा होने के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा. क्या बेहतर नहीं होता कि जिन्होंने नहीं भरा है उन्हें पैसा न देने के लिए कह दिया जाता. भारत भर में कई भर्तियों का इतिहास ऐसा है कि फार्म का पैसा जमा कर चयन आयोग परीक्षा रद्द कर देते हैं. बेरोज़गारों के ख़ून पसीने के करोड़ों रुपये इन आयोगों के पास जमा है. वे वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं. हमने खादी ग्रामोद्योग का ही बताया था कि 1200 रुपये फार्म के लिए गए, परीक्षा रद्द हो गई, पैसे का पता नहीं. बताइये 1200 रुपये फार्म भरने का क्या कोई तुक है. नौकरी सीरीज़ से तमाम सरकारों के भीतर हड़कंप तो मचा है मगर वे अनुभवी हैं. उन्हें पता है कि जैसे ही इस मुद्दे से हटूंगा सब कुछ सामान्य हो जाएगा. वैसे इतनी आसानी से इस सीरीज़ से हटने वाला नहीं हूं. छात्रों के साथ हो रही इस राष्ट्रीय लूट से बड़ी इस वक्त देश में कोई ख़बर नहीं है. 17 सीरीज़ का कुछ तो असर होता.

ये तस्वीर उस तमाशे का है जो हर स्टाफ सलेक्शन कमीशन के इम्तहान के साथ शुरू हो जाता है. भोपाल के केएनपी कालेज ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी में 21 फरवरी की सुबह 10.30 बजे परीक्षा शुरू होनी थी. सवा बारह बजे बताया जाता है कि पेपर रद्द हो गया है और नया प्रश्न पत्र दिया जाएगा. 12.30 बजे से दोबारा परीक्षा शुरू हो जाती है. बाकी छात्र दोबारा परीक्षा देने लगते हैं मगर कुछ छात्रों ने इसका विरोध कर दिया. अब 12 बजकर 50 मिनट पर बताया जाता है कि परीक्षा फिर से रद्द हो गई. यानी दो से ढाई घंटे के भीतर दो बार परीक्षा रद्द हुई और दो बार शुरू हुई. मगर परीक्षा केंद्र स्टाफ सलेक्शन कमीशन को यह लिख कर देता है कि छात्रों ने ही एसएससी सीजीएल 2017 टीयर टू की परीक्षा का बहिष्कार किया है. अब जब छात्रों को यह पता चलता है तो वे परीक्षा केंद्र पर हंगामा करने लग जाते हैं. छात्र परीक्षा केंद्र पर जम जाते हैं. फिर पुलिस पहुंचती है. अब बातचीत की नौटंकी शुरू होती है. 9 बजे रात तक छात्र वहां डटे रहे. सेंटर ने लिखित रूप से दिया कि एसएससी को पूरी घटना की जानकारी दी जाएगी तब जाकर छात्र वहां से हटे. दोबारा परीक्षा कब होगी अभी यह नहीं मालूम है. लेकिन ये हाल है हमारी परीक्षा व्यवस्था का.

कर्मचारी चयन आयोग टीयर टू की परीक्षा ले रहा है. यह परीक्षा 17 फरवरी से लेकर 22 फरवरी तक होनी है. एसएससी ने अपनी सफाई में कहा है कि सर्विस प्रदाता ने कमिशन को सूचना दी कि तकनीकी समस्या के कारण कुछ जगहों पर डेटा डाउनलोड नहीं हो पा रहा है. इसलिए फिर से डेटा डाउनलोड की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी, इससे हुई देरी के कारण देश भर में विभिन्न परीक्षा स्थलों पर 12.10 पर परीक्षा शुरू हो सकी. और दो घंटे में यानी 2.10 पर सफलतापूर्वक पूरी हुई, 41,331 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी, 80 प्रतिशत हाज़िर हुए. केवल केएनपी कालेज ऑफ साईंस एंड टेक्नॉलजी भोपाल और साइबर सिटी ऑनलाइन इग्जामिनेश सेंटर पटना में कैंडिडिट ने पेपर 1 की परीक्षा नहीं दी.

छात्रों के दावे और एसएससी सफाई में कितना अंतर है. नवभारत टाइम्स के नरेंद्र नाथ की एक जनवरी की एक रिपोर्ट है. राज्यसभा में कार्मिक राज्य मंत्री ने लिखित जवाब दिया है कि 2016-17 के बीच एसएससी यानी कर्मचारी चयन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और रेलवे भर्ती बोर्ड से भरने वाले पदों में 2014-15 के मुकाबले 12500 की कमी आई है. 2017 के बजट सत्र में कार्मिक राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि 2015 में केंद्र सरकार की सीधी भर्तियां 2013 के मुकाबले 89 फीसदी कम थीं. अब इन दोनों आंकड़ों को पढ़ें. सही तस्वीर का अंदाज़ा नहीं मिलता है. छात्र कहते हैं कि रेलवे ने इन चार वर्षों में भर्ती बहुत कम निकाली. मगर मंत्री जी के आंकड़े में एसएससी, रेलवे और यूपीएससी में पदों की संख्या में मात्र 12500 की कमी आई. यही नहीं, एसएससी की परीक्षा पास कर करीब 20,000 छात्र अप्वाइंटमेंट लेटर का इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ विभागों में मिला है मगर अभी भी बहुत से विभागों से बुलावे का इंतज़ार हो रहा है. किसी विभाग से चिट्ठी मिल रही है किसी से नहीं.

पोस्टल विभाग पर हमारी सीरीज़ का ठीक ठाक असर पड़ा है. यूपी के छात्रों ने बताया कि पोस्टल विभाग ने 500 से अधिक छात्रों को लेटर देना शुरू कर दिया है. लखनऊ और गोंडा डिविज़न में जल्दी ही इनकी ज्वाइनिंग होने वाली है. हम सबने इनसे गुज़ारिश की है कि कभी हिन्दू मुस्लिम न करें. इस प्रोजेक्ट को चार महीने के अंदर बंद करा देना. नफरत की इस राजनीति और टीवी पर चलने वाले डिबेट से आप नौजवान दंगाई बन सकते हैं, इंजीनियर या डाक्टर नहीं.

पोस्टल विभाग के लिए चुने गए महाराष्ट्र सर्किल के छात्रों को भी ऐसी खुशखबरी का इंतज़ार है. उन्हें इस तरह की कोई सूचना नही दी जा रही है कि चिट्ठी कब मिलेगी. यही हाल फिल्म डिविज़न में पास होने वाले छात्रों का भी है. अगर हमारी सीरीज़ से 500 छात्रों के जीवन पर असर पड़ता है तो हम मारे खुशी के इसे मई तक करने की सोच रहे हैं. पहले फरवरी तक ही सोचा था अब मई तक करेंगे. जब से हमने ये सीरीज़ की है छात्रों में भी जागरूकता आई है. वे जगह जगह आवाज़ उठा रहे हैं.

राजस्थान में चयन आयोग की सुस्ती और लापरवाही के ख़िलाफ़ पुतला दहन से लेकर पकौड़ा तलन कार्यक्रम किए जा रहे हैं. राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन का भी रिकार्ड बहुत खराब है बाकी राज्यों के चयन आयोग की तरह. बेरोज़गार छात्र हमारी सहयोगी हर्षा कुमारी सिंह से भी मिलने आए. अपनी व्यथा बताई और देखा तो वे भी चौंक गईं. बहुत से छात्र एनडीटीवी दिल्ली के दफ्तर के बाहर भी जमा होने लग जा रहे हैं. अगर आपको प्राइम टाइम से अप्वाइंटमेंट लेटर मिल सकता है तो आ जाइये.

इसके अलावा आप ये तस्वीरें देखिए जो राजस्थान से आईं हैं. बेरोज़गार छात्र किस तरह प्रदर्शन कर रहे हैं. इनके नारे में पकौड़ा घुस गया है मगर शांतिपूर्ण तरीके से होने वाले इन प्रदर्शनों को कोई गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है. क्या नेताओं को हिन्दू मुस्लिम टापिक पर इतना भरोसा हो गया है कि ये नौजवान नौकरी छोड़कर फिर बहक जाएंगे. इस वीडियो में लड़कियां मंत्री जी के पांव पड़ने लगी हैं. पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ के चरणों में गिर रही हैं ताकि मंत्री जी जागे. इनकी मांग है कि पंचायती राज की लंबित भर्तियां भरी जाएं. नंगे बदन नौजवानों का यह मार्च अजमेर का है जो उपचुनाव के वक्त निकला था. ये तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती को लेकर मार्च निकाल रहे थे. बेरोज़गारी ने आंदोलन को कितना रचनात्मक बना दिया है, मगर जो सरकारें हैं उन पर कोई असर नहीं पड़ता है.

हर्षा की जानकारी के मुताबिक राजस्थान में दो लाख 44 हज़ार पद ख़ाली हैं. सरकार का वादा है कि इस साल के अंत तक 95,667 नौकरियां दी जाएंगी. इस वादे के अनुसार भी सवा लाख पद खाली रह जाते हैं. बहुत से छात्र जो परीक्षा लेकर ज्वाइनिंग लेटर का इंतज़ार कर रहे हैं उनका क्या. उस पर सरकार का क्या कमिटमेंट है. छात्र ये जानना चाहते हैं. अदालती चक्कर में अटके होने का बहाना बहुत वाजिब नहीं लगता. सरकार और चयन आयोग चाहे तो अदालतों से गुज़ारिश कर जल्दी फैसले की मांग कर सकते हैं ताकि छात्रों का जीवन बर्बाद न हो. जिस राज्य में 70 हज़ार से अधिक पद कोर्ट में अटके हों वहां हाहाकार मच जाना चाहिए. यह बताता है कि कोर्ट की हालत कितनी खराब है. निश्चित रूप से जजों की संख्या कम होगी. केस की संख्या ज्यादा. इसी का नतीजा जनता भुगत रही है. क्या राजस्थान सरकार इस बात का जवाब देगी कि 2016 में पुलिस इंस्पेक्टर के फार्म भरे गए थे, अभी तक परीक्षा क्यों नहीं हुई है. हर्षा की जानकारी चौंकाने वाली है. कई सारी परीक्षाओं के शुल्क के रूप में सरकार के खजाने में 428 करोड़ वापस आ गए हैं. बेरोज़गारों की जेब से क्या शानदार कमाई है. नौकरी न दो, उनसे 428 करोड़ कमा लो.

यह चिट्ठी हमारी नौकरी सीरीज़ का परिणाम हो सकती है. हमने आंठवे अंक में दिखाया था कि राजस्थान में डेटा एंट्री आपरेटर का इम्तहान जून जुलाई 2017 में पास कर छात्र ज्वाइनिंग लेटर का इंतज़ार कर रहे थे. जब हमने नौकरी सीरीज़ में दिखाया तो अब जाकर अप्वाइंटमेंट लेटर मिलने शुरू हो हुए हैं. कायदे से सरकार को इस एक साल का भी वेतन देना चाहिए. 999 डेटा एंट्री आपरेटर को लेटर मिलना शुरू हो गया है. आप सब को बधाई. हिन्दू मुस्लिन न करने के अपने प्रण पर कायम रहिएगा. दहेज मत लीजिएगा.

हमारी नौकरी सीरीज़ के बाद छात्रों का कहना है कि ज्वाइनिंग लेटर मिलना शुरू हो गया. नौकरी सीरीज़ के तहत जो डेटा संग्रह हो रहा है नौजवानों को मानसिक यातना देने का उसे लेकर कोई भी अच्छा शोध प्रबंध लिख सकता है. उत्तर प्रदेश के सहायक अभियंताओं के पत्र मिले हैं. इन्होंने परीक्षा पास की, नौकरी ज्वाइन की मगर सब बर्ख़ास्त हो गए. अदालत ने कहा कि इन्हें बहाल किया जाए मगर अभी तक इनकी बहाली नहीं हो रही है. आखिर क्या वजह है कि हर राज्य में ऐसा हो रहा है.
sponsored links: