शिक्षमित्रों की प्रमुख मांगों एवं उत्तर
प्रदेश की सरकार के साथ हुई वार्ता व आश्वासन के उपरान्त अभी तक विवेचित
शासनादेश लागू नहीं हुआ। इस संबंध में शिक्षामित्र 18 मई से अनवरत आन्दोलन
पर हैं।
आम शिक्षक शिक्षामित्र संघ उत्तर प्रदेश के अनुसार प्रदेश में
पिछले एक वर्ष में तकरीबन 708 शिक्षा मित्रों की मृत्यु हो चुकी है। तकरीबन
1,24,000 शिक्षामित्रों को समायोजित कर दिया गया है। उन्हें केंद्र द्वारा
2017 में निर्देशित समान वेतन समान कार्य से भी वर्जित किया जा रहा है।
मृतक के परिवारों को मुआवज़ा देने का कोई भी प्रावधान सज्ञान में नहीं आया
है।
संजय सिंह ने कहा, “उत्तर प्रदेश शासन
शिक्षामित्र को गुमराह करने का काम कर रही है। तमाम शिक्षा मित्रों ने
गरीबी व लाचारी के चलते आत्महत्या की, व कईयों की मौत मुफलिसी में हुई। अभी
भी स्वास्थ्य के मामलों में शिक्षामित्रों की स्थिति बहुत नाज़ुक है। वह
विपक्ष के नेताओं से शिक्षामित्रों की गतिविधियों के विरुद्ध कदम उठाने की
अपील करेंगे।
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