तैयारी ही नहीं ले रहे टीईटी पास कराने की गारंटी

बहराइच : सरकारी शिक्षक बनने का सपना संजोए बीएड, बीटीसी व दो वर्षीय बीटीसी उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। सरकार के इस फैसले से जहां प्रशिक्षुओं में टीईटी पास करने की बेचैनी है।
वहीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए प्रशिक्षु को¨चग सेंटर का सहारा ले रहे हैं। को¨चग सेंटरों के टीईटी गुरु तैयारी कराने के साथ ही परीक्षा उत्तीर्ण कराने की गारंटी तक ले रहे हैं। इसके एवज में प्रशिक्षुओं से कोर्स पूरा कराने के लिए पांच से सात हजार रुपये बतौर फीस वसूल रहे हैं। अवैध रूप से संचालित को¨चग सेंटरों का मकड़जाल शहर से लेकर कस्बों तक फैला हुआ है। इनकी संख्या तकरीबन तीन दर्जन होगी।

प्रदेश सरकार ने गुणवत्तापरक शिक्षण प्रणाली के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा नियम लागू किया है। बीटीसी, बीएड व शिक्षामित्रों को सरकारी शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। जिले में 3570 शिक्षामित्र हैं। इनमें 400 शिक्षामित्र पूर्व में हुई टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, जबकि 3100 शिक्षामित्रों को नवंबर माह में होनी वाली परीक्षा में बैठना है। तकरीबन 2000 बीएड व बीटीसी प्रशिक्षु हैं, जो परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इनमें अधिकांश पूर्व परीक्षा में बैठ चुके हैं, लेकिन उत्तीर्ण नहीं हो सके। टीईटी परीक्षा की चुनौती को देखते हुए को¨चग सेंटरों की भरमार है। जगह-जगह को¨चग सेंटर संचालित है, जो प्रशिक्षुओं को परीक्षा की तैयारी व पास कराने का जिम्मा ले रहे हैं। झांसे में आकर प्रशिक्षु भी फीस की मुहं मांगी रकम देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। शहर में लगभग डेढ़ दर्जन को¨चग सेंटर संचालित हो रहे हैं। किराये के भवन में हो रहे संचालित
अधिकांश को¨चग सेंटर किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। जिनका कराया 10 से 15 हजार रुपये मासिक है। को¨चग सेंटरों का संचालन तीन शिफ्टों में किया जा रहा है। सुबह छह से आठ तो अपराह्न चार बजे से 10 बजे तक संचालित होता है। एक बैच में अमूमन 40 से 50 प्रशिक्षु होते हैं। सरकारी शिक्षक ही बने टीईटी गुरु

अधिकांश को¨चग सेंटर संचालक सिर्फ व्यवस्था देखते हैं, जबकि शिक्षण कार्य के लिए इंटर व डिग्री कालेज के प्रवक्ताओं को हायर किया गया है। इसके एवज में उन्हें प्रति प्रशिक्षु के हिसाब से मोटी रकम दी जाती है। सिर्फ 10 फीसदी ही को¨चग सेंटर ऐसे हैं,जो संचालक स्वयं टीईटी की तैयारियां करा रहे हैं। अपराह्न जैसे-तैसे वे लोग शिक्षण कार्य निपटाने के बाद ही आते हैं।