नई दिल्ली : केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान और शिक्षक कैडर (200 प्वाइंट रोस्टर) में आरक्षण अध्यादेश 2019 के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. जस्टिस एसए बोबडे की खंडपीठ वकील प्रिया शर्मा और पृथ्वीराज चौहान की ओर से जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में कहा गया है कि यह ऑर्डिनेंस अल्ट्रावायरस है जो कि मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 200 प्वाइंट रोस्टर अध्यादेश के अमल पर रोक लगाने की मांग की गई है. दरअसल, विश्वविद्यालय आरक्षण रोस्टर को लेकर यह विवाद उस समय शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में आरक्षण रोस्टर का निर्धारण विवि को यूनिट मानकर तय करने की बजाय विभाग को यूनिट मानकर तय करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद यूजीसी ने सभी विवि को आदेश जारी कर विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया था. आपको बता दें कि मोदी सरकार के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी थी. इससे पहले कैबिनेट ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए आरक्षण तंत्र संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इस अध्यादेश में विभाग या विषय की बजाए विश्वविद्यालय या कॉलेज को इकाई माना गया था.
इस निर्णय से शिक्षक कैडर में सीधी भर्ती के तहत 5000 से अधिक रिक्तियों को भरते समय यह सुनिश्चित किया गया है कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का पूरी तरह से अनुपालन हो सके और जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नियत आरक्षणप्रावधान का पालन हो सके. इस विषय पर छात्रों और शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. इन संगठनों की ओर से सरकार से आग्रह किया गया था कि शिक्षक पदों में आरक्षण इकाई के रूप में कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट की रोस्टर प्रणाली को बहाल करने के लिये अध्यादेश लाया जाए.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण रोस्टर बहाल करने को प्रतिबद्ध है और इस संबंध में किसी विरोध प्रदर्शन की जरूरत नहीं है.
primary ka master, primary ka master current news, primarykamaster, basic siksha news, basic shiksha news, upbasiceduparishad, uptet
Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 200 प्वाइंट रोस्टर अध्यादेश के अमल पर रोक लगाने की मांग की गई है. दरअसल, विश्वविद्यालय आरक्षण रोस्टर को लेकर यह विवाद उस समय शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में आरक्षण रोस्टर का निर्धारण विवि को यूनिट मानकर तय करने की बजाय विभाग को यूनिट मानकर तय करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद यूजीसी ने सभी विवि को आदेश जारी कर विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया था. आपको बता दें कि मोदी सरकार के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी थी. इससे पहले कैबिनेट ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए आरक्षण तंत्र संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इस अध्यादेश में विभाग या विषय की बजाए विश्वविद्यालय या कॉलेज को इकाई माना गया था.
इस निर्णय से शिक्षक कैडर में सीधी भर्ती के तहत 5000 से अधिक रिक्तियों को भरते समय यह सुनिश्चित किया गया है कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का पूरी तरह से अनुपालन हो सके और जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नियत आरक्षणप्रावधान का पालन हो सके. इस विषय पर छात्रों और शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. इन संगठनों की ओर से सरकार से आग्रह किया गया था कि शिक्षक पदों में आरक्षण इकाई के रूप में कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट की रोस्टर प्रणाली को बहाल करने के लिये अध्यादेश लाया जाए.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण रोस्टर बहाल करने को प्रतिबद्ध है और इस संबंध में किसी विरोध प्रदर्शन की जरूरत नहीं है.
primary ka master, primary ka master current news, primarykamaster, basic siksha news, basic shiksha news, upbasiceduparishad, uptet
Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/