कानपुर : बीएड की पढ़ाई के लिए अब स्नातक होना जरूरी नहीं है। दरअसल, जल्द ही 12वीं पास विद्यार्थी भी बीएड कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे। चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम के लिए नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने भी इस पर मुहर लगा दी है। नए पाठ्यक्रम का गजट जारी होने के साथ ही इसकी नियमावली भी तैयार हो चुकी है।
एनसीटीई स्तर पर नए पाठ्यक्रम को मान्यता मिलने के बाद विद्यार्थी पांच के बजाय चार वर्ष में बीएड की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। अभी तक स्नातक के बाद बीएड में दाखिला होता है। यह पाठ्यक्रम दो वर्ष का होता है। स्नातक की तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद इस डिग्री के लिए पांच साल लगते हैं। जबकि इंटरमीडिएट के बाद बीएड करने से छात्रों का एक साल बचेगा। नई व्यवस्था सत्र 2020-21 से लागू होने की संभावना है।
बीएड के चार वर्षीय पाठ्यक्रम की मान्यता केवल उन्हीं कालेजों को मिलेगी, जिनमें कला, विज्ञान और वाणिज्य विषय में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर की पढ़ाई हो रही हो। बीएड के नए पाठ्यक्रम में छात्र सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई करेंगे। प्रत्येक सेमेस्टर में 125 दिन यानि साल में 250 दिन कक्षाएं लगेंगी। अभी साल में 200 दिन पढ़ाई होती है। इसके अलावा हफ्ते में 40 घंटे कक्षाएं अनिवार्य रहेंगी।
छात्रों की कक्षाओं में 80 फीसद व इंटर्नशिप में 90 फीसद उपस्थिति अनिवार्य है। इसके अलावा इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 12वीं में 50 फीसद अंक जरूरी हैं। उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि कालेजों में लागू करने के लिए एनओसी, मान्यता, संबद्धता, विश्वविद्यालय नियमावली में इस पाठ्यक्रम को शामिल करने समेत अन्य चरणों से गुजरना होगा। इसमें कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा।
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बीएड के चार वर्षीय पाठ्यक्रम की मान्यता केवल उन्हीं कालेजों को मिलेगी, जिनमें कला, विज्ञान और वाणिज्य विषय में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर की पढ़ाई हो रही हो। बीएड के नए पाठ्यक्रम में छात्र सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई करेंगे। प्रत्येक सेमेस्टर में 125 दिन यानि साल में 250 दिन कक्षाएं लगेंगी। अभी साल में 200 दिन पढ़ाई होती है। इसके अलावा हफ्ते में 40 घंटे कक्षाएं अनिवार्य रहेंगी।
छात्रों की कक्षाओं में 80 फीसद व इंटर्नशिप में 90 फीसद उपस्थिति अनिवार्य है। इसके अलावा इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 12वीं में 50 फीसद अंक जरूरी हैं। उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि कालेजों में लागू करने के लिए एनओसी, मान्यता, संबद्धता, विश्वविद्यालय नियमावली में इस पाठ्यक्रम को शामिल करने समेत अन्य चरणों से गुजरना होगा। इसमें कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा।
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