सरकारी नौकरी हथियाने के लिए फर्जी डिग्री का खेल सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया हैं। फर्जी डिग्री, स्वतंत्रा संग्राम सेनानी, विकलांग समेत विभिन्न फर्जी दस्तावेज के बदौलत गोरखपुर समेत ग्याहर जिले में करीब दो हजार शिक्षक एसटीएफ के रडार पर है।
इनकी नियुक्ति में शिक्षा विभाग के बाबुओं का दामन भी दागदार हैं। सब कुछ जानकार अनजान बनने वाले शिक्षा विभाग के कुछ बाबुओं की मिली भगत सामने आयी है। फर्जी शिक्षकों के साथ बाबू भी जेल के पीछे जा सकते है। देवरिया जिले के फर्जी कागजात तैयार करने वाला सरगना अश्वनी कुमार श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद जांच की रफ्तार और तेज हो गयी है। फर्जी कागजात के बदौलत नौकरी करने वाले शिक्षकों पर वैिक कसने के लिए एसटीएफ ने गोरखपुर, देवरिया और सिद्वार्थनगर समेत 11 जिले के बीएसए को पत्र भेजकर कुंडली मांगी है। गोरखपुर,बस्ती और देवी पाटन मंडल के विभिन्न जिले में कूटरचित, फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र तैयार कर शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी करने वाला सरगना देवरिया जिले खुखुंदू थाने के बरडीहा निवासी अश्वनी कुमार श्रीवास्तव पुत्र लक्ष्मीशंकर और मुक्तिनाथ निवासी दानोपुर कातवाली देवरिया की गिरफ्तारी के बाद फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। सरगना की गिरफ्तारी के दौरान यह बात सामने आयी कि उसने ही फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज तैयार करने के बदले दस हजार से लेकर एक लाख रुपये लेता था। उसी फर्जी कागजात के सहारे शिक्षा विभाग की गठजोड़ से नौकरी मिलना आसान हो जाती थी। बताया जाता है कि पिछले दिनों प्रदेश के कई जिले में फर्जी डिग्री पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले पुलिस के शिकंजे में आने के बाद राज का खुलासा हुआ था। फर्जी डिग्री के बदौलत नौकरी पाने वालों के खिलाफ शासन के निर्देश पर एसटीएफ को जांच करने का आदेश मिला था। इसी आदेश के तहत एसटीएफ की टीम फर्जीवाड़ा का खुलासा करते हुए अभी तक सरगना समेत पांच को गिरफ्तार कर चुकी है। फर्जी अंक पत्र तैयार करने वाले सरगना से गोपनीय पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि अरुणांचल, राजस्थान, उत्तराखंड, एमीटी विविद्यालय के नाम की फर्जी मार्कशीट और अन्य कागजता पैसा लेकर भुंजे की तरह बांटता था। सूत्र बताते है कि सरगना अश्वनी फर्जी डिग्री कागजता तैयार करने का खेल वर्ष 2000 से कर रहा है लेकिन वह 2014 से फर्जीवाड़ा का खेल सामने आया है। फर्जी डिग्री व अन्य कागजात से करीब दस हजार लोगों को दे चुका है। उसका कहना है कि शिक्षक की नौकरी के साथ ही स्वाय विभाग और लोक निर्माण विभाग के अलावा चतुर्थ श्रेणी की नौकरी पाने वालों की संख्या अधिक है। इस खेल का खुलासा नहीं होने के पीछे बड़ा रैकेट काम करता है। नौकरी मिलने के बाद सत्यापन के लिए शिक्षा विभाग के बाबुओं की रोल अहम है। विना कागजात की जांच किये ही सत्यापन कर ‘‘ओके’ कर देते है और उसके बदले अलग से रकम जेब में पहुंच जाती है। फर्जी शिक्षकों की जांच के मामले में एसटीएफ यूनिट गोरखपुर के प्रभारी सत्य प्रकाश का कहना है कि अभी तक सरगना समेत पांच गिरफ्तार हो चुके है शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मदद मांगी जा रही है।
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इनकी नियुक्ति में शिक्षा विभाग के बाबुओं का दामन भी दागदार हैं। सब कुछ जानकार अनजान बनने वाले शिक्षा विभाग के कुछ बाबुओं की मिली भगत सामने आयी है। फर्जी शिक्षकों के साथ बाबू भी जेल के पीछे जा सकते है। देवरिया जिले के फर्जी कागजात तैयार करने वाला सरगना अश्वनी कुमार श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद जांच की रफ्तार और तेज हो गयी है। फर्जी कागजात के बदौलत नौकरी करने वाले शिक्षकों पर वैिक कसने के लिए एसटीएफ ने गोरखपुर, देवरिया और सिद्वार्थनगर समेत 11 जिले के बीएसए को पत्र भेजकर कुंडली मांगी है। गोरखपुर,बस्ती और देवी पाटन मंडल के विभिन्न जिले में कूटरचित, फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र तैयार कर शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी करने वाला सरगना देवरिया जिले खुखुंदू थाने के बरडीहा निवासी अश्वनी कुमार श्रीवास्तव पुत्र लक्ष्मीशंकर और मुक्तिनाथ निवासी दानोपुर कातवाली देवरिया की गिरफ्तारी के बाद फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। सरगना की गिरफ्तारी के दौरान यह बात सामने आयी कि उसने ही फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज तैयार करने के बदले दस हजार से लेकर एक लाख रुपये लेता था। उसी फर्जी कागजात के सहारे शिक्षा विभाग की गठजोड़ से नौकरी मिलना आसान हो जाती थी। बताया जाता है कि पिछले दिनों प्रदेश के कई जिले में फर्जी डिग्री पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले पुलिस के शिकंजे में आने के बाद राज का खुलासा हुआ था। फर्जी डिग्री के बदौलत नौकरी पाने वालों के खिलाफ शासन के निर्देश पर एसटीएफ को जांच करने का आदेश मिला था। इसी आदेश के तहत एसटीएफ की टीम फर्जीवाड़ा का खुलासा करते हुए अभी तक सरगना समेत पांच को गिरफ्तार कर चुकी है। फर्जी अंक पत्र तैयार करने वाले सरगना से गोपनीय पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि अरुणांचल, राजस्थान, उत्तराखंड, एमीटी विविद्यालय के नाम की फर्जी मार्कशीट और अन्य कागजता पैसा लेकर भुंजे की तरह बांटता था। सूत्र बताते है कि सरगना अश्वनी फर्जी डिग्री कागजता तैयार करने का खेल वर्ष 2000 से कर रहा है लेकिन वह 2014 से फर्जीवाड़ा का खेल सामने आया है। फर्जी डिग्री व अन्य कागजात से करीब दस हजार लोगों को दे चुका है। उसका कहना है कि शिक्षक की नौकरी के साथ ही स्वाय विभाग और लोक निर्माण विभाग के अलावा चतुर्थ श्रेणी की नौकरी पाने वालों की संख्या अधिक है। इस खेल का खुलासा नहीं होने के पीछे बड़ा रैकेट काम करता है। नौकरी मिलने के बाद सत्यापन के लिए शिक्षा विभाग के बाबुओं की रोल अहम है। विना कागजात की जांच किये ही सत्यापन कर ‘‘ओके’ कर देते है और उसके बदले अलग से रकम जेब में पहुंच जाती है। फर्जी शिक्षकों की जांच के मामले में एसटीएफ यूनिट गोरखपुर के प्रभारी सत्य प्रकाश का कहना है कि अभी तक सरगना समेत पांच गिरफ्तार हो चुके है शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मदद मांगी जा रही है।
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