69000 : MCD DELHI
1) 01 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट से पारित ऑर्डर इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि जहां लॉ डिफाइंड नहीं होता वहां पर कोर्ट का नेचर Poly Vocal रहता है।
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2) नियोक्ता भर्ती के नियम भर्ती प्रारम्भ होने के बाद बदल सकता है या नहीं ये अभी डिफाइंड नहीं है। इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट की अलग अलग बेंच अलग अलग ओपिनियन रखती है।
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3) 01 अगस्त 2019 में भी केवल सुभाष चन्द्र मारवाह केस के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत दे दी जबकि दूसरे केसेस लाइक के मंजुश्री, हिमानी मलहोत्रा, पी मोहनन आदि इसके विपरीत दृष्टि रखते हैं।
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4) यही कारण है कि के मंजुश्री, हिमानी मल्होत्रा, पी मोहनन पिल्लई आदि के साथ 68500 में 40 45 करवाया गया और 69000 में हम उन्ही केसेस को दरकिनार करके उनकी काट के साथ कोर्ट में हैं।
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5) दिल्ली MCD में जब तक रूल ऑफ द गेम DECIDE हो पाता तब तक MCD भर्ती करा ले गयी थी और सांप निकल जाने के बाद लकीर ही पिटी क्योंकि लॉ डिफाइंड नहीं है अतः 13 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी के मंजूश्री, हिमानी मल्होत्रा, पी मोहनन पिल्लई को सुनने की बजाए सुभाष चन्द्र मारवाह को सुना और जो हो गया उसे वैसे ही रहने दिया
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6) लेकिन 69000 यूपी में स्थिति अलग है यहां अभी रिजल्ट तक नहीं आया है इसलिए मामले को दिल्ली MCD से कम्पेर नहीं किया जा सकता।
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7) अतएव भलाई इसी में है कि BY HOOK और CROOK 60 65 पर रिजल्ट जारी करवा लिया जाए यह अंतरिम आदेश पर होता है तो 60 65 अमर हो जाएगी अन्यथा मामला सुप्रीम कोर्ट से ही निस्तारित होगा और तेज प्रकाश पाठक के साथ होगा।
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8) तब तक के लिए चूंकि लॉ डिफाइंड ही नही है ये मैटर पूरा डिस्करेशन बेस्ड हो जाता है यानी एक जज उन्ही ग्राउंड्स पर असहमत हो सकता है तो दूजा उन्ही पर सहमत। उनके विवेक पर निर्भर करता है क्योंकि लॉ या डॉक्ट्रिन डिफाइंड नहीं है।
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9) इसलिए ही हम बार बार जोर दे रहे थे कि अंतरिम ऑर्डर पर भर्ती करा ली जाए और उन ग्राउंड्स के लिए सरकार को पैरवी और बहस करने के लिए बाध्य किया जाए लेकिन अफसोस लोग हद से ज्यादा आशावादी है।
1) 01 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट से पारित ऑर्डर इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि जहां लॉ डिफाइंड नहीं होता वहां पर कोर्ट का नेचर Poly Vocal रहता है।
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2) नियोक्ता भर्ती के नियम भर्ती प्रारम्भ होने के बाद बदल सकता है या नहीं ये अभी डिफाइंड नहीं है। इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट की अलग अलग बेंच अलग अलग ओपिनियन रखती है।
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3) 01 अगस्त 2019 में भी केवल सुभाष चन्द्र मारवाह केस के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत दे दी जबकि दूसरे केसेस लाइक के मंजुश्री, हिमानी मलहोत्रा, पी मोहनन आदि इसके विपरीत दृष्टि रखते हैं।
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4) यही कारण है कि के मंजुश्री, हिमानी मल्होत्रा, पी मोहनन पिल्लई आदि के साथ 68500 में 40 45 करवाया गया और 69000 में हम उन्ही केसेस को दरकिनार करके उनकी काट के साथ कोर्ट में हैं।
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5) दिल्ली MCD में जब तक रूल ऑफ द गेम DECIDE हो पाता तब तक MCD भर्ती करा ले गयी थी और सांप निकल जाने के बाद लकीर ही पिटी क्योंकि लॉ डिफाइंड नहीं है अतः 13 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी के मंजूश्री, हिमानी मल्होत्रा, पी मोहनन पिल्लई को सुनने की बजाए सुभाष चन्द्र मारवाह को सुना और जो हो गया उसे वैसे ही रहने दिया
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6) लेकिन 69000 यूपी में स्थिति अलग है यहां अभी रिजल्ट तक नहीं आया है इसलिए मामले को दिल्ली MCD से कम्पेर नहीं किया जा सकता।
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7) अतएव भलाई इसी में है कि BY HOOK और CROOK 60 65 पर रिजल्ट जारी करवा लिया जाए यह अंतरिम आदेश पर होता है तो 60 65 अमर हो जाएगी अन्यथा मामला सुप्रीम कोर्ट से ही निस्तारित होगा और तेज प्रकाश पाठक के साथ होगा।
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8) तब तक के लिए चूंकि लॉ डिफाइंड ही नही है ये मैटर पूरा डिस्करेशन बेस्ड हो जाता है यानी एक जज उन्ही ग्राउंड्स पर असहमत हो सकता है तो दूजा उन्ही पर सहमत। उनके विवेक पर निर्भर करता है क्योंकि लॉ या डॉक्ट्रिन डिफाइंड नहीं है।
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9) इसलिए ही हम बार बार जोर दे रहे थे कि अंतरिम ऑर्डर पर भर्ती करा ली जाए और उन ग्राउंड्स के लिए सरकार को पैरवी और बहस करने के लिए बाध्य किया जाए लेकिन अफसोस लोग हद से ज्यादा आशावादी है।