38908 शिक्षक पास, शून्य पद वाले फेल:- प्रदेश की तीन शिक्षक भर्तियों में जिला वरीयता के नियम पर मुहर, अभ्यर्थी कर सकते हैं विशेष अपील

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक की तीन भर्तियों से विवाद का साया उठ गया है। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने जिला वरीयता के नियम पर मुहर लगा दी है।
इससे तीनों भर्तियों के 38908 शिक्षक सुरक्षित हो गए हैं, वहीं जिन जिलों में पद ही नहीं थे या जहां कम पद थे और वहां के अभ्यर्थियों ने अधिक पद वाले जिलों में आवेदन किया था उनकी नियुक्ति फिर लटक गई है। शून्य पद वाले जिलों के अभ्यर्थी अब विशेष अपील में जा सकते हैं, उनका रास्ता साफ हो गया है।

परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 12460 शिक्षकों की भर्ती दिसंबर 2016 में शुरू हुई। इसमें प्रदेश के 51 जिलों में भर्ती के पद घोषित हुए, जबकि 24 जिलों में पद शून्य थे। शून्य पद वाले जिलों के हजारों अभ्यर्थियों को सुविधा दी गई कि वह जिस जिले में चाहे आवेदन कर लें। मई 2018 में जब नियुक्ति पत्र बांटने की बारी आई तो उन जिलों के अभ्यर्थियों ने विरोध किया जिनकी नियुक्ति शून्य पद वाले जिलों के अभ्यर्थियों के कारण छिन रही थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो लखनऊ खंडपीठ की सिंगल बेंच ने दूसरे जिले से प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी। इस भर्ती में करीब सात हजार नियुक्ति पा चुके हैं, जबकि पांच हजार से अधिक पद अभी इसी विवाद के कारण खाली पड़े हैं।

इस भर्ती के प्रभावित अभ्यर्थियों ने अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के नियम 14(1) (ए) के तहत प्रशिक्षण पाने वाले जिले को वरीयता देने के प्रावधान को चुनौती दी। इस याचिका में सहायक अध्यापक भर्ती 16448 के भी अभ्यर्थी शामिल हो गए, क्योंकि इसमें भी तीन जिलों हापुड़, बागपत व जालौन में पद शून्य थे और वहां के अभ्यर्थियों को भी कहीं से भी आवेदन करने की छूट दी गई थी।