शिक्षामित्र केस पर सुप्रीमकोर्ट ने भोला शुक्ल की याचिका पर क्या कहा...पढें रबीअ बहार की ये पोस्ट

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1. चूंकि शिक्षामित्र आवश्यक अर्हताएं पूर्ण नहीं करते हैं इसलिए वे पद पर बने रहने के हकदार नहीं हैं हालांकि शिक्षामित्रों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए राज्य को एक उचित समय तक इनकी सेवाएं बनाये रखने की छूट दी गयी इसके बाद इनके स्थान पर नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी तब तक इन्हें पूर्व शर्तो पर बनाये रखा जाए।

2. चूँकि शिक्षा मित्र नियमित रूप से नियुक्त नहीं थे और
न ही अर्हताधारी शिक्षक है इसलिये शिक्षक के समान वेतन पर उनका विस्तार करना उचित नहीं होगा जैसा कि वर्तमान में उनके लिए मांग पेश की जा रही है। हालांकि आंतरिक मामले पर गौर करते हुए राज्य को दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।

3. कोर्ट को यह समझाया गया कि 25 जुलाई 2017 को आये यूपी सरकार बनाम आनंद कुमार यादव वाले फैसले के बाद से 69000 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया की गई थी जिसमे 41500 शिक्षकों का चयन कर लिया गया है। इस चयन प्रक्रिया में कोर्ट के समक्ष ये साफ नहीं किया गया है कि उपलब्ध शिक्षामित्रों में से कितने शिक्षामित्र चयनित हुए हैं या नहीं।
लेकिन *राज्य सरकार को बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों का चयन जल्दी से जल्द पूरा करना चाहिये। ताकि सभी योग्य शिक्षामित्र जो चयनित होने के आकांक्षी हैं नियमित शिक्षक के रूप में चयनित होने की प्रतिस्पर्धा का लाभ उठा सकें जैसा कि पहले से उनके लिए लाभ लेने का विस्तार किया गया था।*

4. इसलिए कोर्ट राज्य सरकार को ये निर्देश जारी करता है कि चयन प्रक्रिया के लिए रिक्तियों की वास्तविक संख्या का आकलन करने के बाद, जितनी जल्दी हो सके अधिमानतः आज से छह सप्ताह से लेकर छह महीने के भीतर चयन प्रक्रिया का समापन करे।

5. सभी शिक्षामित्र जो यद्द्पि योग्यता रखते हैं उन्हें चयनित होने का अवसर मिले जैसाकि 25 जुलाई 2017 को आये यूपी सरकार बनाम आनंद कुमार यादव वाले फैसले के पैरा 33 में उन्हें लाभ दिया गया है।

6. ये राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वो वेटेज का क्या फॉर्मूला अपनाती है कोर्ट का सुझाव है कि 4 साल अनुभव वाले शिक्षामित्रों को एक फीसदी वेटेज देने का फार्मूला अपनाया जा सकता है।
©रबीअ बहार