69000 शिक्षक भर्ती: बीटीसी Vs बीएड

#69000_शिक्षक_भर्ती
#बीटीसीVsबीएड

◼️आज पी.एन.पी. ने 69000 लिखित परीक्षा परिणाम के आंकड़े जारी किए तो बीटीसी पास अभ्यर्थियों के लिए परेशानी खड़ी हो गई। प्राप्त अपुष्ट आंकड़ों के अनुसार मात्र #38610_बीटीसी धारी उत्तीर्ण हुए जबकि लगभग #1लाख_बीएड धारी पास हुए।


◼️ सरकार ने 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा सम्पन्न कराई। इस परीक्षा में बीएड वालों को भी सम्मिलित कर लिया गया।
सरकार को ऐसा करने के लिए अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन करना चाहिए था, जोकि नहीं किया गया।


◼️ जब सरकार को अपनी भूल का एहसास हुआ तब सरकार ने लिखित परीक्षा कराने के बाद 24 जनवरी 2019 को अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए बीएड को लिखित परीक्षा में शामिल करने का प्रावधान किया। सरकार ने इस संशोधन को पीछे की तिथि यानि 1 जनवरी 2018 से लागू किया।
नियमतः ऐसा संशोधन करना सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, एक्ट के अनुसार संशोधन पिछली तिथि से लागू नहीं हो सकता।

◼️ ऐसा संशोधन करने के बाद भी सरकार बीएड को शामिल करने की सारी औचारिकताएं पूरी नहीं कर सकी इसलिए उसने फिर से दिनांक 7 मार्च 2019 को नियमावली में 24 वां संशोधन कर दिया। यह संशोधन भी 23 वें संशोधन की ही तरह पीछे की तिथि  28 जून 2018 से लागू किया गया।

◼️ जब सिंगल बेंच में कटऑफ विवाद चल रहा था तब न्यायाधीश महोदय ने इस अनॉम्ली को ऐड्रेस किया और अपने निर्णय में यह कहा कि इस तरह से बीएड को इस परीक्षा में सम्मिलित किया जाना गलत है। लेकिन फिर उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी अभ्यर्थी द्वारा बीएड के सम्मिलित होने को चुनौती नहीं दी गई है इसलिए हम इस पर कोई निर्णय नहीं दे सकते।

◼️ डबल बेंच ने भी उपरोक्त को आधार बनाकर तथा एनसीटीई के मापदंडों को राज्य सरकार के लिए बाध्यता मानकर बीएड को ठीक मान लिया।

◼️लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस तरह रेट्रोप्रोस्पेक्टिव प्रभाव से किया गया संशोधन क्या वाकई में जायज़ और कानूनी है ?

🟥 बीटीसीधारी अभ्यर्थियों को चाहिए कि वो अध्यापक सेवा नियमावली में किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती हाईकोर्ट में  चुनौती देते हुए इसकी वैधता का परीक्षण अवश्य कराएं।

🔴 प्राथमिक की नौकरी में पहला अधिकार आपका है, अपने अधिकारों के लिए हर स्तर पर कोशिश करिए, जीत मिलने की प्रबल सम्भावना है।