अब यूपी में निजी बीएड-बीटीसी कॉलेजों की जांच के आदेश

 वर्षों से विवादित और मानकों के उल्लंघन के सवालों के घेरे में रहे बीएड कॉलेजों पर आखिरकार सरकार ने जांच बैठा ही दी। शासन ने प्रदेश के समस्त बीएड एवं बीटीसी कॉलेजों में विभिन्न बिंदुओं पर जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। प्रमुख सचिव बीएल मीणा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के प्रत्येक मंडल के किसी एक जनपद के सभी निजी बीएड और बीटीसी कॉलेजों की जांच की जाए। पहले चरण में प्रदेश के 18 जिलों में कॉलेजों की जांच के लिए समिति घोषित कर दी गई  है। 



मेरठ, मुजफ्फरनगर, मथुरा, मुरादाबाद, एटा और बरेली की जांच समाज कल्याण के सहायत निदेशक सिद्धार्थ मिश्र करेंगे। लखनऊ, कानपुर नगर, अंबेडकर नगर, बस्ती, गोण्डा, संतकबीर नगर जिलों की जांच इन्दुमति निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग जबकि प्रयागराज, गाजीपुर, मिर्जापुर, झांसी, बांदा एवं औरेया की जांच पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के उप निदेशक अजीत प्रताप सिंह करेंगे। ये सभी अपनी समिति के अध्यक्ष होंगे। जिलों में जांच के लिए ऑडिटर एवं अन्य स्टॉफ ले जा सकेंगे। प्रत्येक जिले में एडीएम भी नियुक्त होंगे। सात दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। इस आदेश से चौधरी चरण सिंह विवि से संबद्ध जिलों के 400 से ज्यादा बीएड और बीटीसी कॉलेज जांच के घेरे में आ गए हैं। 

यह की जाएंगी जांच

-सत्र 19-20 एवं 20-21 में बीएड-बीटीसी कोर्स में प्रवेश के लिए हुए एंट्रेंस में नियत नीति, छात्रों के प्रवेश हेतु न्यूनतम कटऑफ, सीटों के सापेक्ष एससी एसटी छात्रों के आरक्षण नियमों के अनुसार प्रवेश। 
- कॉलेजों की मान्यता, कोर्स की संबद्धता, स्वीकृत सीट और निर्धारित शुल्क का परीक्षण।  
- कोर्स में नियुक्त शिक्षकों की न्यूनतम अर्हता, सत्यापन में कार्यरत शिक्षकों की शैक्षिक अर्हता की जांच। 
- कॉलेजों में टीचिंग के लिए कक्ष और आधारभूत ढांचे की स्थिति।
- जिस भूमि पर कॉलेज चल रहा है उस भूमि पर अन्य प्रकार के संस्थानों का सत्यापान।

सही से जांच हुई तो लटकेंगे ताले
माना जा रहा है कि इस जांच से प्रदेश में सैकड़ों बीएड-बीटीसी कॉलेजों पर ताले लटकने तय हैं। इन कॉलेजों में मानक पूरे नहीं हो रहे। स्टॉफ की नियुक्ति अधिकांश कॉलेजों में केवल कागजों पर है। मानकों के अनुसार सेलरी नहीं दी जाती। एक ही कैंपस में बीएड, बीटीसी, ट्रेडिशनल कोर्स और फॉर्मेसी जैसे कॉलेज चलाए जा रहे हैं। मानकों के अनुसार प्राप्त फीस सेलरी और संसाधनों पर खर्च नहीं की जा रही।