लखनऊ : प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। विभिन्न जिलों में जल्द 100 से अधिक और फर्जी शिक्षकों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कई जिलों में फर्जी शिक्षकों
की छानबीन तेज की है। साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया की गिरफ्तारी के बाद कुछ अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी तेज की गई है। एटीएफ ने जून 2018 में सबसे पहले मथुरा में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला पकड़ा था। जिसके बाद से अब तक करीब एक हजार फर्जी शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है। इस वर्ष भी अब तक 123 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं।फर्जी दस्तावेजों से लेकर अन्य जाली स्थानान्तरण आदेश के जरिए विभिन्न जिलों में धड़ल्ले से फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। एसटीएफ ने इस मामले की जांच में शुक्रवार को 100 से अधिक फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति करा चुके बड़े गिरोह को पकड़ा था। सरगना राम निवास, फर्जी शिक्षक र¨वद्र कुमार व दिल्ली स्थित डाटा साफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज कंपनी के अधिकारी संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद शनिवार को इस धांधली में शामिल रहे परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक को दबोचा गया है।
एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ला के अनुसार आरोपितों से पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर उनके कई अन्य साथियों की भी तलाश की जा रही है। राम निवास से जिन 100 फर्जी शिक्षकों का ब्योरा मिला है, संबंधित जिलों में उनकी भी छानबीन शुरू कर दी गई है।
वहीं इस वर्ष अब तक 29 जिलों में 123 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं। इनमें 63 ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरे के शैक्षणिक दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल की थी। 56 ने जाली अंकपत्रों के जरिए नौकरी हासिल की थी। दो फर्जी स्थानान्तण आदेश के जरिए, एक जन्मतिथि में फेरबदल कर और एक बीएड की मार्कशीट में गड़बड़ी कर भर्ती हुआ था।