प्री प्राइमरी कक्षाओं में अध्यापन के लिए अनिवार्य नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग (एनटीटी) करने के बावजूद नौकरी और करियर की संभावना न होने पर युवाओं ने इसे नकार दिया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने एनटीटी की 1500 सीटों के लिए केवल महिला अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। अंतिम तिथि आठ दिसंबर तक महज 542 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराते हुए फीस जमा की है। यानी शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स की लगभग दो तिहाई सीटें इस साल खाली रह जाएंगी।
प्रदेशभर के 21 एनटीटी संस्थानों में से दस ने 2016 से संबद्धता ली थी। जबकि आठ निजी कॉलेजों ने पिछले साल 2021 से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से संबद्धता ली है। मात्र तीन कॉलेज 2016 के पहले के हैं। सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी के अनुसार दाखिले की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
सीटी नर्सरी, डीपीएड में भी नहीं दिखाई खास रुचि
युवाओं ने शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों सीटी नर्सरी और डीपीएड में भी खास रुचि नहीं दिखाई है। सीटी नर्सरी की 61 सीटों के लिए सिर्फ महिलाओं से आवेदन मांगे गए थे। इसके लिए कुल 219 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। जबकि डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीपीएड) के लिए महिला-पुरुष दोनों अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। डीपीएड की 130 सीटों के लिए 365 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है।
सरकारी शिक्षक भर्ती के लिए नहीं मान्य
शिक्षक प्रशिक्षण के ये तीनों ही कोर्स सरकारी स्कूलों की शिक्षक भर्ती में मान्य नहीं है इसके बावजूद हर साल प्रवेश दिया जाता है। एनटीटी और सीटी नर्सरी करने के बाद निजी स्कूलों में अवसर मिल जाते हैं लेकिन उसमें अधिकतर लोगों की रुचि नहीं रहती। यही कारण है कि अब इन पाठ्यक्रमों की पूछ नहीं रह गई है। वैसे भी जब डीएलएड (बीटीसी) और बीएड करके लाखों बेरोजगार धक्के खा रहे हैं तो इन पाठ्यक्रमों को करने वालों को कौन पूछे।