सुप्रीम कोर्ट 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण विवाद ,,,

 सुप्रीम कोर्ट 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण विवाद ,,,


सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस साहब की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ में सुनवाई हो रही है, जब लखनऊ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हो रही थी तब भी और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के साथ साथ अनारक्षित वर्ग की स्पेशल अपील में आरक्षित वर्ग के दोहरे/तिहरे आरक्षण की बात बार बार बोली जा रही है।



यहां पर सर्वप्रथम तो ये स्पष्ट करना है की किसी भी परीक्षा में या भर्ती में फार्म भरते समय आरक्षित वर्ग को आनारक्षित वर्ग के समान एक आधार बनाने के लिए कुछ छूट(रिलेक्सेशन) मिलती है,। जैसे की फार्म भरते समय शुल्क में छूट,अधिकतम आयु सीमा में छूट, न्यूनतम पासिंग मार्क/कट ऑफ में छूट उस को आनारक्षित वर्ग के लोग आरक्षण (रिजर्वेशन)समझने की भूल या यूं कहें की न्यायालय में उस छूट को आरक्षण साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।फिलहाल कोशिश जरूर करें पर परिणाम शून्य ही होगा।


आरक्षित वर्ग को उपरोक्त छूट(रिलेक्सेशन) उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 8 उप धारा 1,2 से मिला है जिसको हटा पाना 69000 शिक्षक भर्ती से असम्भव है।


एटीआरई को एक पात्रता परीक्षा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच और सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच पहले ही मान चुकी है।और पात्रता परीक्षा में मिली छूट को आरक्षण का नाम देना बचकानी बात है।


और अगर एक बार को एटीआरई को सलेक्शन का पार्ट मान भी लिया जाएगा तो भी अंको,आयु में छूट को आरक्षण का नाम नहीं दिया जा सकेगा और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 3 (6) और नियम 8(1)(2) प्रभावी रहेगा।


हर राज्य सरकार को अपनी सुविधानुसार अपने प्रदेश की शोषित वंचित जातियों और वहां की परिस्थितियों के अनुसार आरक्षण देने व उसके नियम बनाने के लिए विशेष अधिकार संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के उप नियमों के अन्तर्गत मिले हैं जिन पर अतिक्रमण करना न्यायपालिका के लिए कठिन है।सबके अपने अधिकार और क्षेत्र हैं जिन पर अतिक्रमण नहीं हो सकता।


सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और आनारक्षित वर्ग की स्पेशल अपील में दिपा ई वी के मुकदमें का कई बार जिक्र आया है फिलहाल Deepa E.V. बनाम Union of India को नज़ीर बनाने वाले उपरोक्त आदेश का पैरा 8 और जितेंद्र सिंह (supra) के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पैरा 65 और 72 पढ़ लें फिलहाल अगर आप नहीं पढ़ेंगे तो आरक्षित वर्ग के वकील जरूर कोर्ट में पढ़ेंगे।

8. Learned counsel for the appellant mainly relied upon the judgment of this Court in Jitendra Kumar Singh and Another v. State of Uttar Pradesh and Others, reported in (2010) 3 SCC 119, which deals with the U.P. Public Services (Reservation for Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes) Act, 1994 and Government order dated 25.3.1994. On a perusal of the above judgment, we find that there is no express bar in the said U.P. Act for the candidates of SC/ST/OBC being considered for the posts under General Category. In such facts and circumstances of the said case, this Court has taken the view that the relaxation granted to the reserved category candidates will operate a a level playing field. In the light of the express bar provided under the proceedings dated 1.7.1998 the principle laid down in Jitendra Kumar Singh (supra) cannot be applied to the case in hand.


9. Learned senior counsel appearing for the respondents has also drawn our attention to paragraph Nos.65 and 72 in Jitendra Kumar Singh (supra) to contend that principle in Jitendra Kumar Singh (supra) are in the context of interpretation of U.P. Act 1994 and in the particular factual situation of the said case. Paragraphs 65 and 72, read as under:-


“65. In any event the entire issue in the present appeals need not be decided on the general principles of law laid down in various judgments as noticed above. In these matters, we are concerned with the interpretation of the 1994 Act, the Instructions dated 25.3.1994 and the G.O. dated 26.2.1999.

The controversy herein centres around the limited issue as to whether an OBC who has applied exercising his option as a reserved category candidate, thus becoming eligible to be considered against a reserved vacancy, can also be considered against an unreserved vacancy if he/she secures more marks than the last candidate in the general category.


72. Soon after the enforcement of the 1994 Act the Government issued instructions dated 25.3.1994 on the subject of reservation for Scheduled Castes, Scheduled Tribes and other backward groups in the Uttar Pradesh Public Services. These instructions, inter alia, provide as under:-


"4. If any person belonging to reserved categories is selected on the basis of merits in open competition along with general category candidates, then he will not be adjusted towards reserved category, that is, he shall be deemed to have been adjusted against the unreserved vacancies. It shall be immaterial that he has availed any facility or relaxation (like relaxation in age limit) available to reserved category."

From the above it becomes quite apparent that the relaxation in age limit is merely to enable the reserved category candidate to compete with the general category candidate, all other things being equal. The State has not treated the relaxation in age and fee as relaxation in the standard for selection, based on the merit of the candidate in the selection test i.e. Main Written Test followed by Interview. Therefore, such relaxations cannot deprive a reserved category candidate of the right to be considered as a general category candidate on the basis of merit in the competitive examination. Sub-section (2) of Section 8 further provides that Government Orders in force on the commencement of the Act in respect of the concessions and relaxations including relaxation in upper age limit which are not inconsistent with the Act continue to be applicable till they are modified or revoked.”


आरक्षण के नियम और आरक्षित वर्ग को दी जाने वाली छूट (रिलेक्सेशन) और आरक्षण को समझने के लिए अभी हाल में ही पुलिस भर्ती के विज्ञापन (विज्ञप्ति संख्या-पीआरपीबी:एक 1(50)/2023 दिनांक 23/12/2023)के नियम 3 उपखंड 4 और नियम 5 उपखंड 2,5,6,7,11 का अवलोकन खुद करें।।


और राज्य सरकार ने पुलिस भर्ती में सभी अभ्यर्थियों को सीधे सीधे आयु में छूट प्रदान की है(उत्तर प्रदेश लोक सेवा भर्ती के लिए आयु सीमा में शिथलीकरण नियमावली 1992 के नियम 3)चाहे वो आरक्षित वर्ग का हो या अनारक्षित वर्ग का सबको अपने विशेष अधिकार से छूट दी है अब इसे कोई आरक्षण का नाम दे तो वह भी उसकी बेवकूफी है क्योंकि इस छूट का लाभ सिर्फ आरक्षित वर्ग ने ही नहीं बल्कि आनारक्षित वर्ग ने भी उठाया है।


और 69000 भर्ती में विकलांग अभ्यर्थियों को भी शुल्क,आयु,अंकों में छूट(रिलेक्सेशन) दिया गया है चाहे वो आरक्षित वर्ग का हो या अनारक्षित वर्ग का यह भी विशेष छूट है क्योंकी ऐसे लोगों को एक समान पटल और समान अवसर प्रदान कर सेवा में समान भागीदारी करने के लिए ही ऐसी छूट की व्यवस्था राज्य और साथ ही साथ केन्द्र द्वारा बनाई गयी है।


और बेसिक शिक्षा परिषद की भर्ती में आरक्षण नियम 8,9 और नियम 14 के अपेंडिक्स से तय होगा न की अपेंडिक्स में घुसने के पहले...हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आपने आदेश में ये बात स्वंय बताई है।


बाकी आनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने अपनी सुविधानुसार हर बार अपनी प्रेयर कोर्ट के सामने बदली है जैसे की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कट ऑफ मैटर की सुनवाई के समय एटीआरई को पात्रता परीक्षा करने की मांग की और अब आरक्षण मैटर में एटीआरई को चयन का आधार बनाने की मांग कर रहे हैं।और तो और इन लोगों ने जिस भर्ती में जिस चयन प्रक्रिया के नियम से चयन पाया है उसे ही दूषित और गलत बता रहें हैं।




और जब 69000 शिक्षक भर्ती में आवेदन और परीक्षा हुई तो इसके पहले तक कहीं भी यह नहीं बताया गया की आरक्षित वर्ग या अनारक्षित वर्ग के लिए पासिंग मार्क या कट ऑफ क्या रहेगी और जब पासिंग मार्क और कट ऑफ बताया ही नहीं गया कट ऑफ परीक्षा के बाद लगाया गया तो किसी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी ने बिना जानकारी और बिना मांगे अंकों में छूट लेकर आरक्षण कैसे ले लिया?ये तो उसे बाद में पता चला की उसे 5% की छूट मिलेगी और उसे ये कट ऑफ चाहिए होगी ये परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए, फिर बिना मांगे और जाने छूट को आरक्षण बोलना बचकाना है।।