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बेसिक शिक्षकों के अवकाश पर अफसर जल्दी मोहर नहीं लगाते, महानिदेशक के स्तर से स्क्रीनिंग में ज्यादातर बड़े शहर मिले फिसड्डी

 कानपुर : परिषदीय शिक्षकों को छुट्टी देने में जौनपुर सबसे आगे है तो कानपुर काफी पीछे। कानपुर में शिक्षकों के अवकाश पर अफसर जल्दी मोहर नहीं लगाते। जब स्कूल महानिदेशक के स्तर से इसकी स्क्रीनिंग की गई तो ज्यादातर बड़े शहर इस मामले में फिसड्डी साबित हुए।



जौनपुर में जो भी छुट्टियों के लिए आवेदन किए गए उसमें से 93.53 फीसदी का निस्तारण कर दिया गया। दिसंबर के पहले पखवाड़े तक की रिपोर्ट के अनुसार यहां किसी को ज्यादा भटकना नहीं पड़ा। इसी तरह अलीगढ़ (93.25) और भदोही (93.19) में भी परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को अधिक परेशान नहीं होना पड़ा। 


इसी तरह औरैया (92.08), बलिया (92.09), बस्ती (92.74), फिरोजाबाद (92.48), गोंडा (92.79), खीरी (92.74), संत कबीर नगर (92.63), सोनभद्र (92.04), वाराणसी (92.42) में आसानी से अवकाश मिल रहा है। वैसे तो शत प्रतिशत अवकाश के आवेदनों का निस्तारण होना चाहिए। फिर भी इन जनपदों की रिपोर्ट को सकारात्मक माना गया है।


कानपुर समेत कई जनपदों में छुट्टी लेना आसान नहीं है। सबसे खराब स्थिति शामली (86.53) लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर की है जहां केवल 86.61 फीसदी के अवकाश आवेदनों का निस्तारण हो सका। कानपुर नगर में 87.24 प्रतिशत आवेदनों का ही निस्तारण हो सका। कुल 14746 में 12103 का निस्तारण हुआ। 393 का निस्तारण नहीं हो सका। 


अन्य जनपदों में अमेठी (86.26), बदायूं 88.64 बुलंदशहर (88.30), चंदौली (88.91) आगरा (89.69), (89.06), , प्रयागराज (88.68), हरदोई (88.44), कानपुर देहात (88.17) के अलावा मेरठ (86.94), पीलीभीत (88.30) आदि में अवकाश स्वीकृत होने की गति अपेक्षाकृत अधिक रही।


● इनके साथ अलीगढ़, भदोही भी आसपास, औसत 93 से अधिक


● औरैया, बस्ती, फिरोजाबाद, गोंडा और खीरी भी 92 फीसद से ज्यादा


● गौतम बुद्धनगर छुट्टी देने में सबसे पीछे, 86.61 प्रतिशत ही दी


● कानपुर नगर भी पीछे, 87.24 प्रतिशत को ही मिल पा रही छुट्टी

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