लाभ केवल याचियों को मिलेगा, चयनित अभ्यर्थियों पर असर नहीं**
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीजीटी अध्यापक भर्ती 2021 में दो प्रश्नों के गलत उत्तरों पर उठे विवाद को गंभीरता से लेते हुए केस को विषय विशेषज्ञ समिति को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट के आधार पर याचियों को ही अतिरिक्त अंक देने और उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
चयनित व नियुक्त अध्यापकों पर असर नहीं पड़ेगा
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस पूरी प्रक्रिया का पहले से चयनित या नियुक्त अध्यापकों पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
समिति की रिपोर्ट का लाभ केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगा जिन्होंने याचिका दायर की है।
समिति को 4 सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि:
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विशेषज्ञ समिति चार सप्ताह में कार्यवाही पूरी करे,
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और उसके बाद आयोग दो सप्ताह में वैधानिक प्रक्रिया पूरी करे।
कोर्ट ने आयोग को यह भी निर्देश दिया कि समिति की पूरी रिपोर्ट आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से अपलोड की जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड (अब शिक्षा सेवा आयोग) ने 2021 में टीजीटी भर्ती का विज्ञापन जारी किया था।
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10 अगस्त 2021 को परिणाम के बाद उत्तरकुंजी प्रकाशित हुई।
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अभ्यर्थियों की आपत्तियों के बाद पुनरीक्षित उत्तरकुंजी जारी की गई।
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इसके बावजूद कला, इतिहास, होम साइंस और सोशल साइंस विषयों के कुछ प्रश्नों को लेकर अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दाखिल कीं।
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कोर्ट ने माना कि दो प्रश्नों पर उठी आपत्तियों पर पुनः विचार आवश्यक है।
किन अभ्यर्थियों ने चुनौती दी
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कला विषय – 22 अभ्यर्थी
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होम साइंस – 4 अभ्यर्थी
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सोशल साइंस – 7 अभ्यर्थी
इन सभी ने उत्तरकुंजी की शुद्धता पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दाखिल की थीं।
नियामक प्राधिकारी को चेतावनी
कोर्ट ने यह भी कहा कि:
“हम किसी ऐसे आदेश से पहले, जो अन्य परिणाम उत्पन्न कर सकता है, परीक्षा नियामक प्राधिकारी को तथ्यों को स्पष्ट करने का अवसर दे रहे हैं। अनुपालन न होने पर प्राधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ेगा।”
कोर्ट ने नियामक प्राधिकारी को आवश्यकतानुसार सुधार करने और अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने की पूर्ण स्वतंत्रता भी दी।
याचिकाओं का निस्तारण
यह आदेश
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न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (कृष्ण कुमार सहित अन्य याचिकाओं में)
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तथा न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं विवेक सरन (प्रीति पांडेय की याचिका में)
द्वारा पारित किया गया।